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नॉन RAS से IAS प्रमोशन पर सुप्रीम कोर्ट की मुहर

नॉन RAS से IAS प्रमोशन पर सुप्रीम कोर्ट की मुहर

मनीषा शर्मा। राजस्थान हाईकोर्ट के बाद अब सुप्रीम कोर्ट ने भी नॉन RAS से IAS में प्रमोशन को सही ठहराते हुए राजस्थान प्रशासनिक सेवा परिषद (RAS एसोसिएशन) की याचिका खारिज कर दी। एसोसिएशन ने हाईकोर्ट के 5 दिसंबर 2024 के फैसले के खिलाफ विशेष अनुमति याचिका (SLP) दायर की थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया।

सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि राज्य सरकार ने प्रमोशन प्रक्रिया में कोई नियम नहीं तोड़ा है। हालांकि, RAS एसोसिएशन पर हाईकोर्ट द्वारा लगाए गए 5 लाख के जुर्माने को घटाकर 2 लाख कर दिया गया।

हाईकोर्ट के फैसले पर आपत्ति, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने नहीं माना तर्क

RAS एसोसिएशन ने अपनी याचिका में कहा था कि सरकार केवल विशेष परिस्थितियों में ही नॉन RAS अधिकारियों को IAS में प्रमोट कर सकती है। नियमों के मुताबिक, IAS पदों के 33.33% कोटे में से अधिकतम 15% पद ही नॉन RAS अधिकारियों के लिए आरक्षित किए जा सकते हैं।

हालांकि, एसोसिएशन ने आरोप लगाया कि सरकार हर साल पर्याप्त संख्या में RAS अधिकारियों की उपलब्धता के बावजूद नॉन RAS अधिकारियों को प्रमोट कर रही है। इसके लिए UPSC (संघ लोक सेवा आयोग) को सिफारिशें भेजी जा रही हैं, जो नियमों के विपरीत है।

लेकिन IAS (रिक्रूटमेंट) रूल्स 1954 के तहत सरकार को यह अधिकार प्राप्त है कि वह विशेष परिस्थितियों में नॉन सिविल सर्विसेज के अधिकारियों को IAS में प्रमोट करने की सिफारिश UPSC को भेज सकती है। इसके लिए जरूरी है कि –

  1. राज्य में विशेष परिस्थितियां उत्पन्न हुई हों।
  2. जिन अधिकारियों को प्रमोशन दिया जा रहा है, उनमें कोई विशेष योग्यता हो, जो मौजूदा सिविल सर्विस अधिकारियों में नहीं है।

RAS एसोसिएशन ने तर्क दिया कि हाईकोर्ट ने इन तथ्यों को नजरअंदाज कर सरकार के पक्ष में फैसला सुनाया। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस दलील को खारिज करते हुए हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा।

सुप्रीम कोर्ट का फैसला: सरकार का निर्णय नियमों के तहत वैध

सुप्रीम कोर्ट में अतिरिक्त महाधिवक्ता शिव मंगल शर्मा ने सरकार का पक्ष रखते हुए कहा कि IAS भर्ती नियम, 1954 के तहत नॉन RAS अधिकारियों को प्रमोशन देना पूरी तरह वैध है।

उन्होंने बताया कि सरकार नियमों का पालन करते हुए केवल 15% पदों पर ही नॉन RAS अधिकारियों का प्रमोशन कर रही है। इस सीमा को कभी भी पार नहीं किया गया।

शेष IAS पदों पर केवल RAS अधिकारियों को ही प्रमोट किया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार की इस प्रक्रिया को सही माना और RAS एसोसिएशन की याचिका को निराधार करार दिया।

विशेषज्ञता के आधार पर दिया जाता है प्रमोशन

सरकार ने अपने बचाव में यह भी दलील दी कि नॉन RAS से IAS में प्रमोशन केवल उन अधिकारियों को दिया जाता है, जो अपने क्षेत्र के विशेषज्ञ होते हैं।

उदाहरण के लिए –

  • यदि कोई अधिकारी शिक्षा, चिकित्सा, वित्त या अन्य किसी विशेष क्षेत्र में लंबे समय तक कार्य कर चुका है और उसने असाधारण प्रदर्शन किया है, तो उसे IAS में प्रमोट किया जा सकता है।

  • सरकार यह सुनिश्चित करती है कि इस तरह का प्रमोशन केवल नियमों के तहत और योग्य अधिकारियों को ही मिले।

RAS एसोसिएशन को कोर्ट की फटकार, जुर्माना घटाया गया

हाईकोर्ट ने RAS एसोसिएशन की याचिका को बेबुनियाद मानते हुए 5 लाख का जुर्माना लगाया था। कोर्ट ने कहा था कि यह याचिका व्यक्तिगत हितों के कारण दायर की गई थी और इससे न्यायपालिका का समय बर्बाद हुआ।

हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस जुर्माने को घटाकर 2 लाख कर दिया।

क्या है IAS में प्रमोशन का नियम?

IAS (रिक्रूटमेंट) रूल्स 1954 के तहत IAS में प्रमोशन दो तरीकों से होता है –

  1. राज्य सिविल सेवा (RAS) से प्रमोशन
  2. नॉन सिविल सेवा (अन्य विभागों) से प्रमोशन

सरकार को यह अधिकार प्राप्त है कि वह विशेष परिस्थितियों में योग्य नॉन सिविल सर्विस अधिकारियों को भी IAS में प्रमोट कर सकती है।

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