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सुप्रीम कोर्ट ने एकता मॉल और राजस्थान मंडपम परियोजना पर लगी रोक हटी

सुप्रीम कोर्ट ने एकता मॉल और राजस्थान मंडपम परियोजना पर लगी रोक हटी

मनीषा शर्मा। राजस्थान में प्रस्तावित दो प्रमुख विकास परियोजनाओं को लेकर चल रहे विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को बड़ा फैसला सुनाया। शीर्ष अदालत ने जयपुर में प्रस्तावित एकता मॉल और राजस्थान मंडपम परियोजनाओं को रोकने की मांग वाली जनहित याचिका को खारिज कर दिया। इस फैसले से राज्य सरकार को बड़ी राहत मिली है। अदालत ने स्पष्ट किया कि जिस भूमि पर परियोजना प्रस्तावित है, वह वन भूमि नहीं है और याचिका में कोई औचित्य नहीं पाया गया।

मुख्य न्यायाधीश बी. आर. गवई और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन की पीठ ने यह आदेश दिया। याचिका T.N. Godavarman Thirumulpad v. Union of India मामले में दायर की गई थी, जिसमें परियोजना स्थल को वन भूमि घोषित करने और निर्माण रोकने की मांग की गई थी।

टीएन गोदावर्मन मामले से जुड़ी थी याचिका

यह मामला IA No. 231707 of 2025 in W.P. (C) No. 202 of 1995 से संबंधित था। इसमें याचिकाकर्ताओं ने कहा था कि जयपुर के सांगानेर तहसील स्थित डोल का बाड़ क्षेत्र में जो भूमि एकता मॉल और राजस्थान मंडपम परियोजनाओं के लिए चुनी गई है, वह वन भूमि है। इसलिए इसे वन (संरक्षण) अधिनियम, 1980 के तहत संरक्षित घोषित किया जाना चाहिए और वहां किसी भी प्रकार का निर्माण रोका जाए।

राज्य सरकार ने इस दावे का पुरजोर विरोध किया और कहा कि संबंधित भूमि 1979 में ही औद्योगिक प्रयोजन के लिए अधिग्रहित की गई थी। इसकी वैधता निचली अदालतों से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक पहले ही साबित हो चुकी है। साथ ही यह भूमि 1991, 2011 और 2025 के मास्टर प्लान में भी औद्योगिक क्षेत्र के रूप में दर्ज है।

राज्य सरकार और RIICO की दलील

राजस्थान सरकार और RIICO की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और अतिरिक्त महाधिवक्ता शिव मंगल शर्मा ने अदालत में पैरवी की। उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता इस परियोजना को रोकने के लिए लगातार अदालतों का दरवाजा खटखटा रहे हैं। उन्होंने पहले भी इसी तरह की याचिकाएं National Green Tribunal (NGT) और Rajasthan High Court में दाखिल की थीं, जिन्हें खारिज कर दिया गया था।

सरकार की ओर से बताया गया कि उच्च न्यायालय ने तो याचिकाकर्ताओं पर तथ्यों को छिपाने के आरोप में ₹1 लाख का जुर्माना भी लगाया था। सरकार ने कहा कि यह परियोजना पूरी तरह कानूनी है और पर्यावरणीय मानकों का पालन किया गया है।

पर्यावरण पर भी रखी गई दलील

राज्य सरकार ने अदालत को यह भी बताया कि परियोजना स्थल पर कोई पेड़ नहीं काटे गए हैं। केवल 56 पेड़ों को विधिवत अनुमति प्राप्त कर प्रत्यारोपित किया गया है और इसके बदले दस गुना अधिक पौधे प्रतिपूरक वृक्षारोपण के रूप में लगाए जा चुके हैं।

सरकार ने कहा कि यह परियोजना क्षेत्र के आर्थिक विकास और रोजगार सृजन के लिए महत्वपूर्ण है और इसमें पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाला कोई कदम नहीं उठाया गया है।

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा

सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ताओं के आरोपों में कोई तथ्यात्मक आधार नहीं है। अदालत ने कहा कि भूमि पहले से ही औद्योगिक प्रयोजन के लिए चिन्हित है और इसे वन भूमि घोषित करने की कोई वैधानिक आवश्यकता नहीं है। अदालत ने इस आधार पर याचिका को निराधार बताते हुए खारिज कर दिया।

यह फैसला न केवल इस विशेष परियोजना के लिए, बल्कि राजस्थान में भविष्य में औद्योगिक विकास से जुड़ी अन्य योजनाओं के लिए भी एक बड़ा उदाहरण बन सकता है।

एकता मॉल और राजस्थान मंडपम परियोजनाएं

राजस्थान सरकार ने जयपुर के सांगानेर क्षेत्र में 95 एकड़ भूमि पर एकता मॉल और राजस्थान मंडपम सहित कई बड़े प्रोजेक्ट की मंजूरी दी है। एकता मॉल प्रधानमंत्री की वन डिस्ट्रिक्ट, वन प्रोडक्ट पहल का हिस्सा है। इसके अलावा राजस्थान मंडपम में ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर, आईटी टॉवर, फाइव स्टार और फोर स्टार होटल्स तथा रिहायशी टावर बनाए जाने की योजना है।

इन परियोजनाओं को लेकर राज्य सरकार का दावा है कि यह जयपुर को निवेश और पर्यटन का हब बनाने में मददगार साबित होंगी। हजारों लोगों के लिए रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे।

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