नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने 15 फरवरी, 2024 को एक ऐतिहासिक फैसले में चुनावी बॉन्ड योजना को असंवैधानिक करार देते हुए इसे रद्द कर दिया। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय पीठ ने कहा कि यह योजना सूचना के अधिकार का उल्लंघन है और यह जनता के हित में नहीं है।
चुनावी बॉन्ड योजना क्या है?
भारत सरकार ने इलेक्टोरल बॉन्ड योजना की घोषणा 2017 में की थी। इस योजना को सरकार ने 29 जनवरी 2018 को कानूनन लागू कर दिया था। आसान भाषा में इसे अगर हम समझें तो इलेक्टोरल बॉन्ड राजनीतिक दलों को चंदा देने का एक वित्तीय जरिया है। यह एक वचन पत्र की तरह है जिसे भारत का कोई भी नागरिक या कंपनी भारतीय स्टेट बैंक की चुनिंदा शाखाओं से खरीद सकता है और अपनी पसंद के किसी भी राजनीतिक दल को गुमनाम तरीके से दान कर सकता है।
चुनावी बॉन्ड योजना कैसे काम करती थी?
इलेक्टोरल बॉन्ड 1,000 रुपए के मल्टीपल में पेश किए जाते थे जैसे कि 1,000, ₹10,000, ₹100,000 और ₹1 करोड़ की रेंज में हो सकते हैं। ये आपको एसबीआई की कुछ शाखाओं पर आपको मिल जाते थे। कोई भी डोनर जिनका KYC- COMPLIANT अकाउंट हो इस तरह के बॉन्ड को खरीद सकते थे, और बाद में इन्हें किसी भी राजनीतिक पार्टी को डोनेट किया जा सकता था। इसके बाद रिसीवर इसे कैश में कन्वर्ट करवा सकता था। इसे कैश कराने के लिए पार्टी के वैरीफाइड अकाउंट का यूज किया जाता था। इलेक्टोरल बॉन्ड भी सिर्फ 15 दिनों के लिए वैलिड रहते थे।
चुनावी बॉन्ड योजना को रद्द करने के क्या कारण हैं?
सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड योजना को रद्द करते हुए कहा कि यह योजना सूचना के अधिकार का उल्लंघन है। कोर्ट ने कहा कि यह योजना राजनीतिक दलों को अज्ञात स्रोतों से धन प्राप्त करने की अनुमति देती है, जो पारदर्शिता की कमी और भ्रष्टाचार को बढ़ावा देती है।
चुनावी बॉन्ड योजना के रद्द होने का क्या असर होगा?
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का राजनीतिक दलों और चुनाव प्रणाली पर बड़ा असर होगा। अब राजनीतिक दलों को पारदर्शी तरीके से धन जुटाने के लिए नए तरीके खोजने होंगे। यह फैसला काले धन को राजनीतिक प्रणाली में प्रवेश करने से रोकने में भी मदद कर सकता है।
2017 से 2024 तक की घटनाओं का क्रम:
2017:
- वित्त विधेयक में चुनावी बॉन्ड योजना पेश की गई।
- मुख्य याचिकाकर्ता एनजीओ ‘एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स’ ने योजना को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया।
- SC ने एनजीओ द्वारा दायर जनहित याचिका पर केंद्र और EC को नोटिस जारी किया।
2018:
- केंद्र सरकार ने चुनावी बॉन्ड योजना को अधिसूचित किया।
2022:
- चुनावी बॉन्ड योजना में एक वर्ष में बिक्री के दिनों को 70 से बढ़ाकर 85 करने के लिए संशोधन किया गया, जहां कोई भी विधानसभा चुनाव निर्धारित हो सकता है।
2023:
- सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली एससी बेंच ने योजना के खिलाफ याचिकाओं को पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ को भेजा।
- सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने योजना के खिलाफ याचिकाओं पर सुनवाई शुरू की।
- सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा।
2024:
- सुप्रीम कोर्ट ने योजना को रद्द करते हुए सर्वसम्मति से फैसला सुनाया।