latest-news

अंतरराष्ट्रीय सूफी रंग महोत्सव 2024 का समापन

अंतरराष्ट्रीय सूफी रंग महोत्सव 2024 का समापन

शोभना शर्मा।  अजमेर में आयोजित 17वें अंतरराष्ट्रीय सूफी रंग महोत्सव (ISRF) 2024 का समापन समारोह भव्यता और उत्साह के साथ सम्पन्न हुआ। इस चार दिवसीय महोत्सव में 500 से अधिक कलाकृतियों का प्रदर्शन किया गया, जो सूफीवाद, कला और सांस्कृतिक विविधता का अनूठा उत्सव था। इस महोत्सव का आयोजन चिश्ती फाउंडेशन द्वारा अजमेर शरीफ दरगाह के महफिल-ए-समा खाना में किया गया, जो एक ऐतिहासिक और आध्यात्मिक स्थल है।

ISRF 2024 में न केवल भारत के बल्कि 32 विभिन्न देशों के कलाकारों ने भाग लिया। कलाकारों के बीच अरबी और फारसी मूल की कृतियों का अद्वितीय प्रदर्शन देखने को मिला। इसमें सुलेख, चित्रकला, शिलालेख, और सूफी संगीत जैसे कला रूपों का प्रदर्शन हुआ। इस आयोजन ने चिश्ती सूफी परंपरा की बहुलवादी प्रथाओं का प्रसार किया, जो हज़रत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती ग़रीब नवाज़ (आरए) के मौलिक सिद्धांतों पर आधारित हैं – ‘सबके लिए प्रेम और किसी से द्वेष नहीं।’

समापन समारोह और विशेष अतिथि

समापन समारोह में भारत के 40 राज्यों के शिक्षाविद, विद्वान, सूफी कलाकार, सुलेखक और देश-विदेश के विभिन्न अतिथि शामिल हुए। इस महोत्सव के आयोजनकर्ता और चिश्ती फाउंडेशन के अध्यक्ष हाजी सैयद सलमान चिश्ती ने समापन समारोह में सभी गणमान्य व्यक्तियों और प्रतिभागियों का धन्यवाद किया। उन्होंने कहा कि एक सच्चा सूफी वही है, जो सामाजिक और मानवीय सेवा में अपना योगदान देता है, जाति, धर्म और संस्कृति से परे।

समारोह में डॉ. फहीम खान और अन्य विशिष्ट अतिथियों को वैश्विक शांति और मानवता की सेवा के लिए वैश्विक शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया। साथ ही आर्यसमाज के प्रकाश जी महाराज को अंतरधार्मिक सद्भाव के प्रतीक के रूप में सम्मानित किया गया। इस मौके पर दरगाह अजमेर शरीफ के वरिष्ठ खुद्दाम-ए-ख्वाजा द्वारा सभी अतिथियों को चिश्ती सूफी दस्तारबंदी से सम्मानित किया गया।

सूफी रंग महोत्सव की विशेषताएं

इस महोत्सव के दौरान सूफीवाद पर आधारित सेमिनार और शिलालेख प्रदर्शन पूरे दिन चलते रहे। कलाकारों और शिक्षाविदों के साथ-साथ नौकरशाहों, फिल्म निर्माताओं, और अन्य समाजसेवी संस्थाओं ने भी इस आयोजन में भाग लिया। अजमेर के इस सूफी महोत्सव ने विश्व शांति, अंतरधार्मिक सद्भाव और राष्ट्रीय एकता के लिए एक सशक्त मंच प्रदान किया।

यह आयोजन न केवल सूफी कलाओं का उत्सव था, बल्कि यह समाज के सभी वर्गों के बीच आपसी समझ, प्रेम और सहयोग को बढ़ावा देने वाला एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक आयोजन भी था। इस महोत्सव के माध्यम से चिश्ती सूफी परंपरा के सिद्धांतों का प्रचार-प्रसार करते हुए, प्रेम और मानवता के संदेश को फैलाया गया।

अगले वर्ष की उम्मीदें

17वें सूफी रंग महोत्सव 2024 के सफल समापन के साथ, इस महोत्सव ने एक बार फिर से सूफी कला, संगीत और आध्यात्मिकता के अनूठे संगम को दर्शाया। अगले वर्ष के महोत्सव के लिए उम्मीदें और भी ऊंची हैं, जहाँ अधिक संख्या में कलाकार, विद्वान और अतिथि इस उत्सव का हिस्सा बनेंगे।

post bottom ad

Discover more from MTTV INDIA

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading