मनीषा शर्मा। स्ट्रोक एक गंभीर चिकित्सा स्थिति है जो हर साल लाखों लोगों की जान लेती है। विश्व स्ट्रोक संगठन (WSO) के अनुसार, दुनिया में हर साल 1 करोड़ 22 लाख से ज्यादा लोग पहली बार स्ट्रोक का सामना करते हैं। इनमें से लगभग 65 लाख लोग अपनी जान गंवा देते हैं।
भारत में यह स्थिति और भी गंभीर है। नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के अनुसार, स्ट्रोक देश में मौत का दूसरा सबसे बड़ा कारण है। यहां हर 40 सेकंड में एक व्यक्ति को स्ट्रोक होता है और हर 4 मिनट में एक व्यक्ति की मौत होती है।
स्ट्रोक क्या है?
स्ट्रोक तब होता है जब मस्तिष्क तक पहुंचने वाला रक्त प्रवाह बाधित हो जाता है, या तो किसी आर्टरी में ब्लॉकेज के कारण या आर्टरी के फटने की वजह से। इसके परिणामस्वरूप मस्तिष्क को ऑक्सीजन और पोषक तत्वों की आपूर्ति रुक जाती है, जिससे मस्तिष्क की कोशिकाएं मरने लगती हैं।
स्ट्रोक के प्रकार
- इस्केमिक स्ट्रोक:
- यह तब होता है जब मस्तिष्क तक जाने वाली कोई रक्त वाहिका ब्लॉकेज के कारण बंद हो जाती है।
- स्ट्रोक के 87% मामले इसी प्रकार के होते हैं।
- हैमरेजिक स्ट्रोक:
- यह तब होता है जब कोई रक्त वाहिका फट जाती है।
- टीआईए (ट्रांजिएंट इस्केमिक अटैक):
- इसे “मिनी स्ट्रोक” भी कहा जाता है। इसमें रक्त प्रवाह कुछ समय के लिए बाधित होता है।
भारत में स्ट्रोक के बढ़ते मामले
ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज (GBD) के आंकड़ों के अनुसार, भारत में पिछले 30 वर्षों में स्ट्रोक के मामलों में 51% की बढ़ोतरी हुई है।
इसके मुख्य कारण हैं:
- बदलती जीवनशैली
- उच्च रक्तचाप और मधुमेह
- मोटापा
- असंतुलित खानपान
स्ट्रोक के लक्षण पहचानें: FAST ट्रिक
FAST ट्रिक का उपयोग करके स्ट्रोक के लक्षण तुरंत पहचाने जा सकते हैं:
- F (Face): चेहरे का एक हिस्सा झुक सकता है। मुस्कुराने पर चेहरे का संतुलन बिगड़ सकता है।
- A (Arms): एक या दोनों भुजाओं में कमजोरी या सुन्नता हो सकती है।
- S (Speech): बोलने में दिक्कत हो सकती है या शब्द अस्पष्ट हो सकते हैं।
- T (Time): समय पर इलाज बेहद जरूरी है। तुरंत एंबुलेंस बुलाएं और मरीज को अस्पताल ले जाएं।
स्ट्रोक से बचाव के लिए सुझाव
1. हेल्दी डाइट अपनाएं
- फल, सब्जियां, और साबुत अनाज का सेवन करें।
- कम वसा वाले डेयरी उत्पाद और प्रोटीन से भरपूर खाद्य पदार्थ शामिल करें।
- नमक और शुगर का सेवन कम करें।
2. वजन नियंत्रित करें
- मोटापा स्ट्रोक का सबसे बड़ा जोखिम कारक है।
- हेल्दी डाइट और नियमित व्यायाम से वजन नियंत्रित रखें।
3. फिजिकल एक्टिविटी बढ़ाएं
- प्रतिदिन कम-से-कम 30-45 मिनट की एक्सरसाइज करें।
- योग, जॉगिंग और तैराकी जैसे व्यायाम हृदय और मस्तिष्क स्वास्थ्य को बढ़ावा देते हैं।
4. धूम्रपान और शराब से बचें
- स्मोकिंग और शराब का सेवन स्ट्रोक का जोखिम कई गुना बढ़ा देता है।
5. ब्लड प्रेशर और शुगर को नियंत्रित रखें
- हाई ब्लड प्रेशर स्ट्रोक का मुख्य कारण है।
- मधुमेह होने पर नियमित ब्लड शुगर चेक करवाएं।
6. चिकित्सकीय स्थिति पर नजर रखें
- नियमित रूप से कोलेस्ट्रॉल और ब्लड प्रेशर की जांच कराएं।
- दिल की बीमारियों का सही इलाज लें।
7. तनाव प्रबंधन
- मेडिटेशन और रिलैक्सेशन तकनीकों का अभ्यास करें।
- पर्याप्त नींद (7-8 घंटे) लें।
स्ट्रोक का उपचार
अगर मरीज को 4.5 घंटे के भीतर अस्पताल पहुंचा दिया जाए, तो थ्रॉम्बोलिसिस नामक प्रक्रिया से ब्लॉकेज को हटाकर मस्तिष्क तक रक्त प्रवाह फिर से शुरू किया जा सकता है।
थ्रॉम्बेक्टॉमी
यह एक सर्जिकल प्रक्रिया है, जिसमें रक्त के थक्कों को हटाया जाता है। यह इस्केमिक स्ट्रोक के मामलों में उपयोगी होती है।
रेहैबिलिटेशन
स्ट्रोक से उबरने के लिए फिजियोथेरेपी, ऑक्यूपेशनल थेरेपी और स्पीच थेरेपी की जरूरत होती है।