शोभना शर्मा। कृषि मंत्री किरोड़ी लाल मीणा ने इस्तीफे के सवाल पर चुप्पी साध ली है। किरोड़ी लाल मीणा शनिवार को माउंट आबू दौरे पर थे। इस दौरान उनसे इस्तीफे को लेकर सवाल किया गया, लेकिन उन्होंने मुंह पर अंगुली रखकर चुप्पी बनाए रखी।
लोकसभा चुनावों की भाजपा प्रदेश मुख्यालय में हुई समीक्षा बैठक में किरोड़ी लाल मीणा शामिल नहीं हुए। उन्होंने लोकसभा चुनावों की आचार संहिता हटने के बाद से ही सरकारी काम से दूरी बना रखी है। वे सचिवालय और कृषि भवन के अपने दफ्तर नहीं जा रहे हैं और सरकारी गाड़ी भी छोड़ रखी है। आचार संहिता लगने के कारण सभी मंत्रियों ने सरकारी गाड़ी लौटा दी थी, लेकिन आचार संहिता हटने के बाद भी किरोड़ी लाल मीणा ने सरकारी गाड़ी नहीं ली और अब भी प्राइवेट गाड़ी से ही चल रहे हैं। आज टोंक-सवाई माधोपुर सहित 6 सीटों पर लोकसभा चुनावों के नतीजों पर समीक्षा के लिए उम्मीदवारों और विधायकों सहित स्थानीय नेताओं को बुलाया गया था। टोंक-सवाई माधोपुर सीट पर हार की समीक्षा बैठक में किरोड़ी लाल मीणा नहीं आए। इसे उनके इस्तीफे से जोड़कर देखा जा रहा है।
किरोड़ी लाल मीणा का इस्तीफा लगभग तैयार है और उसे मुख्यमंत्री को भेजने भर की देरी है। फिलहाल उन्होंने इस मुद्दे पर कोई भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है। लोकसभा चुनावों के प्रचार के दौरान मीणा ने घोषणा की थी कि अगर भाजपा उम्मीदवार दौसा सीट हारा तो वे मंत्री पद से इस्तीफा दे देंगे। भाजपा दौसा सीट हार गई, साथ ही पूर्वी राजस्थान की कई सीटों पर भी पार्टी को हार का सामना करना पड़ा। लोकसभा चुनावों के रुझानों में भाजपा को हारते देख मीणा ने सोशल मीडिया पर रामचरित मानस की चौपाई “रघुकुल रीत सदा चली आई, प्राण जाए पर वचन न जाई” लिखकर संकेत दिए थे कि वे अपनी घोषणा से पीछे नहीं हटेंगे।