मनीषा शर्मा। राजस्थान विधानसभा अब एक नए और आधुनिक स्वरूप की ओर कदम बढ़ा रही है। विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने घोषणा की है कि राजस्थान विधानसभा में संसद की तर्ज पर एक भव्य सेंट्रल हॉल बनाया जाएगा। इसके लिए विधानसभा भवन में उपयुक्त स्थान चिन्हित किए जाने को लेकर अधिकारियों को निर्देश जारी कर दिए गए हैं।
देवनानी के अनुसार नया सेंट्रल हॉल बहुउद्देश्यीय होगा, जिसमें न केवल विधायकगण बल्कि विभागीय अधिकारी और अतिथि भी सत्र के दौरान चर्चा व जलपान के लिए इसका उपयोग कर सकेंगे। उन्होंने बताया कि सेंट्रल हॉल को राजस्थान की समृद्ध कला, संस्कृति और इतिहास को दर्शाने वाली आकर्षक पेंटिंग्स और महापुरुषों की 3-डी चित्रों से सजाया जाएगा।
सेंट्रल हॉल की रूपरेखा पर विस्तृत चर्चा
विधानसभा अध्यक्ष ने राजस्थान विधानसभा सचिवालय और सार्वजनिक निर्माण विभाग (PWD) के अधिकारियों के साथ बैठक की, जिसमें सेंट्रल हॉल की परिकल्पना और निर्माण की प्रारंभिक रूपरेखा पर विस्तार से चर्चा की गई। देवनानी ने अधिकारियों से कहा कि हॉल का डिजाइन ऐसा हो जो पारंपरिक स्वरूप और आधुनिक सुविधाओं का संतुलन बनाए रखे, ताकि यह राजस्थान विधानसभा की पहचान के अनुरूप दिखे।
एक वर्ष में निर्माण कार्य पूरा करने के निर्देश
बैठक में देवनानी ने विधानसभा भवन के पंचम तल पर एक अत्याधुनिक ऑडिटोरियम बनाए जाने की योजना पर भी महत्वपूर्ण निर्णय लिया। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि ऑडिटोरियम के निर्माण कार्य को अधिकतम एक वर्ष में पूरा किया जाए।
उन्होंने सार्वजनिक निर्माण विभाग द्वारा प्रस्तुत ड्रॉइंग और परियोजना से संबंधित लागत व समयावधि की समीक्षा भी की। उन्होंने स्पष्ट कहा कि निर्माण गुणवत्ता से समझौता किए बिना निर्धारित समय में कार्य पूर्ण किया जाना चाहिए।
युवा संसद और बड़े सम्मेलनों में होगा उपयोग
विधानसभा अध्यक्ष ने बताया कि प्रस्तावित ऑडिटोरियम का उपयोग कई महत्वपूर्ण आयोजनों के लिए किया जाएगा, जिनमें शामिल हैं:
युवा संसद कार्यक्रम
राष्ट्रमंडल संसदीय संघ द्वारा आयोजित कार्यशालाएं
सेमिनार, बैठकें और संगोष्ठियां
पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन
उन्होंने यह भी कहा कि भविष्य में यदि राज्य में विधान परिषद का गठन होता है, तो यह ऑडिटोरियम उसके लिए भी उपयोगी सिद्ध होगा।
कम लागत में बेहतर व्यवस्था करने पर जोर
स्पीकर देवनानी ने कहा कि राजस्थान विधानसभा देश के सबसे आधुनिक विधानमंडल परिसरों में से एक है। इसके बाहरी हिस्से में जोधपुर और बंसी पहाड़पुर के पत्थरों से बने झरोखे, छतरियां, मेहराब और अन्य पारंपरिक स्थापत्य मौजूद हैं। वहीं आंतरिक कक्षों में जयपुर, शेखावाटी, मारवाड़ और मेवाड़ की कलात्मक पेंटिंग्स का समावेश इसे ऐतिहासिक धरोहर बनाता है।
उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि इस सुंदरता और ऐतिहासिक महत्व को बनाए रखने के लिए सफाई और सुरक्षा के निरंतर प्रयास किए जाएं। साथ ही उन्होंने कहा कि इसके लिए कम खर्च में सर्वोत्तम व्यवस्था की जानी चाहिए।


