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घरों में इस्तेमाल होने वाली कुछ चीजें बढ़ा रही कैंसर के खतरे की संभावना

घरों में इस्तेमाल होने वाली कुछ चीजें बढ़ा रही कैंसर के खतरे की संभावना

घरों में इस्तेमाल होने वाली कुछ चीजेंब्यूटी प्रोडक्ट्स और युवाओं में धूम्रपान को लेकर नए प्रयोगबढ़ा रहें कैंसर के खतरे की संभावना – विनीता झा

आज के बदलते दौर में हर चीज एडवांस हो रही हैचाहे वो घरों में इस्तेमाल होने वाली कोई चीज होंजैसे प्लास्टिक के बोतल में पानीखाने पीने की चीजों में इस्तमाल होने वाला वाइट कलर का मेयोनीज होटी बैग हो या फिर ब्यूटी प्रोडक्ट्स हो जिनमें कई ऐसे केमिकल्स का इस्तेमाल होता है जो कैंसर के खतरे को बढ़ाते हैंवहीं नई पीढ़ियों में नए शौक जिनमे ई-सिगरेटहुक्का जैसी चीजें कैंसर की संभावनाओं को बढ़ा रही हैं।

कैंसर को लेकर लोगों में जागरूकता उत्पन्न हो सकेइसीलिए विश्व में हर साल वर्ल्ड कैंसर डे फरवरी को मनाया जाता है। वर्ल्ड कैंसर रिसर्च फंड इंटरनेशनल की एक रिपोर्ट के अनुसार 2020 में दुनिया भर में लगभग 18.1 मिलियन कैंसर के मामले थे। इनमें से लगभग 9.3 मिलियन मामले पुरुषों में और 8.8 मिलियन महिलाएं थीं। वहीं नेशनल इंस्टीट्यूट आफ हेल्थ की रिपोर्ट के अनुसार 2020 की तुलना में लगभग 2025 में कैंसर के मामलों में लगभग 12.8 प्रतिशत की वृद्धि होने का अनुमान है।

एक्शन कैंसर हॉस्पिटल के मेडिकल ऑनकोलॉजीसीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर जेबी शर्माअनुसार घरों में इस्तेमाल होने वाली ऐसे कई चीजें हैं जिनसे कैंसर के खतरे की संभावना बढ़ रही हैजैसे- प्लास्टिक की बोतल में रखा पानी पीना खतरनाक हो सकता है क्योंकि इसमें माइक्रो प्लास्टिक पाए जाते हैंठीक इसी प्रकार से लोग आजकल प्लास्टिक की थैली में पैक गर्म चाय लेकर पीते हैं जबकि इसमें भी माइक्रो प्लास्टिक होता है जिसकी आपके शरीर में जाने की संभावना होती हैवहीं आजकल टी बैग के इस्तेमाल के कारण भी कैंसर होने की संभावना बनी रहती है दरअसल इसमें एपिक्लोरो हाइड्रिन नामक एक रसायन होता हैजो गर्म पानी में घुल जाता है और आगे कैंसर का कारण बन सकता है।

इसके अलावा आजकल की टेक्नोलॉजी में जहां आपके लिए चीज आसान हो गई है वहीं खतरे भी बढ़ गए हैं जैसे यदि आप ओवन में खाना गर्म करके खाते हैंतो प्लास्टिक के बर्तनों आदि का इस्तेमाल न करें क्योंकि प्लास्टिक से एंडोक्रिन डिस्ट्रक्टिंग नामक खतरनाक केमिकल निकलता हैजो खाने के साथ घुलकर शरीर में चला जाता है और कैंसर की संभावना को बढ़ाता है।

इसके अलावा आज कल लोग खाना नॉनस्टिक बर्तन में पकाते हैं और अगर उसमे खाना जल जाय तो एकदम न खाएं क्योंकि इसमें एक्रिलामाइड नाम का केमिकल बनने लगता है और ये कैंसर का कारण बनता है। वहीं मोमोज जैसे खाने पीने की चीजों में इस्तेमाल होने वाला वाइट कलर का मेयोनीज आज कल खूब पसंद किया जा रहा हैमगर इसमें मौजूद फूड एडिटिव की वजह से आपको कोलोरेक्टल कैंसर जैसी गंभीर बीमारी होने का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। इसके साथ ही पिज्जाबर्गरहॉट डॉगकार्बोनेटेड ड्रिंक्सप्रोसेस्ड मीटसॉसेजपैकेज्ड फूडरिफाइंड कार्बोहाइड्रेट और अधिक मीठे खाद्य पदार्थ के सेवन से आपको कैंसर होने का ज्यादा खतरा होता है।

ब्यूटी प्रोडक्ट्स कई प्रकार के कैंसर से संबंधित खतरा उत्पन्न कर सकते हैं-

धर्मशिला नारायणा सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल के मेडिकल ऑन्कोलॉजी विभाग के सीनियर कंसलटेंट डॉ. राजित चानना अनुसारब्यूटी प्रोडक्ट्स में आजकल बालों को सिल्की करने और चिकना करने के लिए कई प्रकार के केमिकल युक्त उत्पादों का प्रयोग किया जाता है जिसमें फॉर्मेल्डिहाइड और फॉर्मेल्डिहाइड-रिलीजिंग जैसे रसायनों पर एफडीए का प्रतिबंध है। इस प्रकार के प्रोडक्ट का इस्तेमाल कैंसर के खतरे को बढ़ाता है। बालों को सीधा करने वाले इस प्रकार के कुछ उत्पादों के प्रयोग से अल्पकालीन और दीर्घकालीन गंभीर समस्याएं होने की संभावना बनी रहती है। ‌

फॉर्मेल्डिहाइड धुएं के संपर्क में आने से आंखनाक और गले में जलन हो सकती हैसाथ ही श्वसन समस्याएं भी हो सकती हैं और आगे चलकर कैंसर का भी जोखिम बढ़ जाता है। इसको लेकर 2022 के राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान द्वारा अध्ययन से भी कई संकेत मिलते हैंजिनमें इन रसायनों के धुएं से महिलाओं में गर्भाशय कैंसर की अधिक संभावना को बताया गया है। इसलिए रोजमर्रा के उत्पादों में कार्सिनोजेनिक एजेंटों को पहचान कर उनका प्रयोग न करना अत्यंत महत्वपूर्ण हैइसी से आप संभावित कैंसर की समस्याओं से बच सकते हैं और इसी के साथ यह भी जरूरी है कि आप सुरक्षित हेयर प्रोडक्ट्स की पहचान करके उन्हीं का प्रयोग करें। इसलिए जरुरी है कि कैंसर से बचाव के लिए इनके उपाय के महत्व को समझा जाए और भविष्य में होने वाली इन समस्याओं से बचा जाए।

नई पीढ़ियों में नए शौक से कैंसर का खतरा –

डॉक्टर रणदीप सिंहसीनियर कंसलटेंट एंड डायरेक्टरमेडिकल ऑनकोलॉजीनारायणा हॉस्पिटलगुरुग्राम ने बताया किधूम्रपान और शराब के सेवन के साथ-साथ आजकल सिगरेट की लत छुड़ाने के लिए मार्केट में आई ई-सिगरेट जो युवा वर्ग में काफी लोकप्रिय हो रही हैयह सभी कैंसर के खतरे को तेजी से बढ़ा रहे हैं। इसमें प्रयोग होने वाले केमिकल काफी खतरनाक हैंजैसे निकोटिनफॉर्मेल्डिहाइडटिननिकिलकॉपरलेडक्रोमियमआर्सेनिक एवं डाई एसेटाइल मेटल जैसे पदार्थ क्वाइल में मिले होते हैं। दरअसल ई-सिगरेट के वेपर को गर्म करने के लिए क्वाइल का इस्तेमाल होता है और इनसे लंग्स कैंसर का खतरा तेजी से बढ़ा है।

इसके अलावा युवा वर्ग में हुक्का पीने का भी चलन तेजी से बढ़ा हैजिसमें कई खतरनाक केमिकल मिलकर फ्लेवर बन रहे हैं। चाहे वह ई सिगरेट हो या फिर फ्लेवर्ड हुक्का दोनों में खतरनाक केमिकल डाई एसिटाइल मिला होता है जो आपकी सेहत के लिए घातक है। इनमें कुछ अन्य प्रकार के हानिकारक केमिकल भी जैसे कार्बन मोनोआक्साइडकैडमियमअमोनियारे-डॉन (खतरनाक न्यूक्लियर गैस)मिथेनटॉर (चारकोल)एसिटोन आदि मिले होते हैं जो कैंसर के खतरे को बढ़ाते हैं।

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