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कारगिल विजय दिवस की रजत जयंती: वीर जवानों की बहादुरी और इतिहास का उत्सव

कारगिल विजय दिवस की रजत जयंती: वीर जवानों की बहादुरी और इतिहास का उत्सव

शोभना शर्मा । कल यानी 26 जुलाई को देश कारगिल विजय दिवस (Kargil Vijay Diwas) की रजत जयंती का महोत्सव मनाएगा। यह दिन हमारे उन जांबाजों को समर्पित है, जिन्होंने पाक सैनिकों के छक्के छुड़ाते हुए कारगिल की ऊंची चोटियों को दुश्मन से आजाद करवाया था। यह लड़ाई करीब दो महीनों तक चली थी, जिसमें भारतीय सेना ने ऑपरेशन विजय (Operation Vijay) चलाकर 2 लाख सैनिकों की मदद से दुश्मन को परास्त किया था। इस युद्ध में भारतीय सेना के 527 वीर जवानों ने अपने प्राणों की आहुति दी थी।

कारगिल लद्दाख में स्थित है और साल 1999 में इस इलाके को रणबांकुरों ने अपने शौर्य और पराक्रम का प्रदर्शन करते हुए दुश्मन से मुक्त कराया था। यह भूमि देश के लिए न केवल सामरिक रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि पर्यटन की दृष्टि से भी खास महत्व रखती है।

कारगिल का नाम और इतिहास

कारगिल का नाम दो शब्दों, खार और आरकिल से मिलकर बना है। खार का अर्थ किला और आरकिल का अर्थ केंद्र होता है, यानी किलों के बीच का स्थान। यह जगह कई राज्यों के बीच स्थित रही है। इतिहासकार परवेज दीवान की “कारगिल ब्लंडर” किताब के अनुसार, कारगिल नामक व्यक्ति ने सबसे पहले यहां के जंगलों को साफ कर इस जगह पर बसावट शुरू की थी। इसके बाद गशो थाथा खान के शाही परिवार के वंशजों ने आठवीं शताब्दी की शुरुआत में इस क्षेत्र पर कब्जा जमाया।

कारगिल में इस्लाम का आगमन

15वीं सदी में मध्य एशिया के शिया स्कूल के विद्वान मीर शम्स-उद-दीन इराकी ने इस्लाम का प्रचार करने के लिए अपने मिशनरियों के साथ बाल्टिस्तान और कारगिल का दौरा किया। सबसे पहले बाल्टिस्तान के प्रमुख ने इस्लाम अपनाया और फिर कारगिल के प्रमुखों ने भी इस्लाम स्वीकार किया। इससे पहले ख्वाजा नूरबख्श ने कारगिल का दौरा कर इस्लामी उपदेश दिए थे, जिससे बौद्ध धर्म यहां के कुछ इलाकों तक सीमित रह गया।

कारगिल का क्षेत्रफल और आबादी

सवा लाख की आबादी वाला कारगिल 14,086 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में फैला हुआ है। यह श्रीनगर से लेह की ओर 205 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। कारगिल को आज की दुनिया में आगाओं की भूमि कहा जाता है क्योंकि यहां ज्यादातर शिया मुसलमान रहते हैं और आगा धार्मिक प्रमुख और उपदेशक हैं।

कारगिल का पर्यटन महत्व

1974 में कारगिल और लद्दाख के अन्य भागों को पर्यटकों के लिए खोल दिया गया था, जिसके बाद यहां बड़ी संख्या में पर्यटक आने लगे। 1999 के भारत-पाक युद्ध के दौरान यह इलाका सुर्खियों में रहा। टाइगर हिल, तोलोलिंग, मुश्कु घाटी और बटालिक जैसी जगहें पर्यटकों के बीच काफी लोकप्रिय हैं।

कारगिल विजय दिवस की रजत जयंती पर हम उन वीर जवानों को सलाम करते हैं जिन्होंने अपने शौर्य और पराक्रम से इस ऐतिहासिक विजय को हासिल किया। उनका बलिदान और बहादुरी हमेशा हमारे दिलों में जीवित रहेगा।

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