मनीषा शर्मा। राजस्थान पुलिस सब-इंस्पेक्टर (SI) भर्ती 2021 मामले में शुक्रवार को राजस्थान हाईकोर्ट में याचिकाकर्ताओं की ओर से अंतिम बहस पूरी हो गई। यह मामला लंबे समय से विवादों में रहा है, विशेष रूप से पेपर लीक कांड और RPSC सदस्यों की गिरफ्तारी के चलते। अब यह बहुप्रतीक्षित फैसला अपने निर्णायक मोड़ पर है, जिसकी अगली सुनवाई सोमवार 5 अगस्त को संभावित है।
याचिकाकर्ताओं की ओर से बहस पूरी
जस्टिस समीर जैन की एकल पीठ के समक्ष याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता हरेन्द्र नील ने अपनी बहस रखते हुए कहा कि यह भर्ती पूरी तरह से अवैध है और इसे रद्द करने के पर्याप्त कानूनी और नैतिक आधार मौजूद हैं। उन्होंने कहा कि “यह भर्ती रद्द होने के सभी मापदंडों को पूरा करती है, और यदि इसे रद्द नहीं किया गया, तो राज्य की कानून-व्यवस्था पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।”
बहस की प्रमुख दलीलें
याचिका आज भी मेंटेनेबल है:
हरेन्द्र नील ने कोर्ट को बताया कि भले ही सरकार और चयनित अभ्यर्थियों की ओर से इस याचिका को खारिज करने की मांग की गई, लेकिन यह याचिका अब भी कानूनी रूप से योग्य है। उन्होंने स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ताओं ने सरकार से नहीं, बल्कि अदालत से इस भर्ती को रद्द करने की प्रार्थना की थी।SOG की रिपोर्ट सरकार के कहने पर आई:
याचिकाकर्ता की ओर से यह भी तर्क दिया गया कि स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (SOG) द्वारा भर्ती को रद्द करने की सिफारिश स्वतः नहीं की गई थी, बल्कि 22 मार्च 2024 को गृह विभाग ने एसओजी को पत्र लिखकर यह निर्देश दिए थे कि भर्ती रद्द करने की प्रक्रिया पूरी की जाए। उसी के आधार पर रिपोर्ट तैयार की गई।भर्ती में संगठित अपराध का संकेत:
वकील ने बताया कि यह पहली ऐसी भर्ती है जिसमें पेपर लीक से जुड़े सभी अपराधी संगठित रूप से शामिल पाए गए हैं। एसओजी अब तक 53 ट्रेनी SI को गिरफ्तार कर चुकी है, जबकि अन्य कई अभ्यर्थी जांच के दायरे में हैं।RPSC सदस्यों की भूमिका और गिरफ्तारी:
यह भी सामने आया कि इस भर्ती प्रक्रिया में राजस्थान लोक सेवा आयोग (RPSC) के कुछ सदस्य भी संलिप्त पाए गए हैं। कुछ के परिवारजन भी गिरफ्तार किए गए हैं, जिससे यह साफ होता है कि भ्रष्टाचार ऊंचे स्तर तक फैला हुआ था।
कानून व्यवस्था पर खतरा
याचिकाकर्ताओं ने यह सवाल उठाया कि यदि इस भर्ती को रद्द नहीं किया गया, तो ऐसे लोग कानून व्यवस्था संभालेंगे, जो खुद कानून तोड़ने में शामिल रहे हैं। यह राज्य के लिए एक खतरनाक स्थिति होगी। इसलिए, भर्ती को रद्द करना ही न्यायोचित और सुरक्षित विकल्प है।
सरकार और चयनित अभ्यर्थियों को जवाब देने का मौका
अब जब याचिकाकर्ताओं की बहस पूरी हो गई है, तो सोमवार को सरकार और चयनित अभ्यर्थियों को अपना पक्ष रखने का अवसर मिलेगा। कोर्ट ने पहले ही स्पष्ट किया है कि वह याचिका में मांगी गई राहत से आगे जाकर भी निर्णय ले सकती है यदि न्यायहित में हो।
अंतिम निर्णय की ओर बढ़ता मामला
7 जुलाई 2025 से इस मामले की अंतिम सुनवाई जारी है और हाईकोर्ट लगातार इसकी निगरानी कर रहा है। अब तक के घटनाक्रम और तथ्यों के आधार पर यह माना जा रहा है कि अदालत अगले सप्ताह तक बहस पूरी कर लेगी और कोई महत्वपूर्ण आदेश पारित कर सकती है।