शोभना शर्मा। राजस्थान की राजनीति शुक्रवार को उस समय गर्मा गई जब नागौर से सांसद और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (RLP) के संयोजक हनुमान बेनीवाल को पुलिस ने हिरासत में ले लिया। वे जयपुर में मुख्यमंत्री आवास की ओर मार्च कर रहे थे, जहां से पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। बेनीवाल बीते छह दिनों से शहीद स्मारक पर धरने पर बैठे थे और राजस्थान की SI भर्ती परीक्षा को रद्द करने की मांग कर रहे थे।
हनुमान बेनीवाल ने परीक्षा प्रक्रिया में व्यापक भ्रष्टाचार और धांधली का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि यह परीक्षा युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ है और राज्य सरकार जानबूझकर इस मुद्दे को नजरअंदाज कर रही है।
धरने का कारण और मांगें
हनुमान बेनीवाल और उनके समर्थक बीते छह दिनों से जयपुर के शहीद स्मारक पर धरना दे रहे थे। वे यह मांग कर रहे हैं कि वर्ष 2021 की SI भर्ती परीक्षा को रद्द किया जाए, क्योंकि इसमें कथित रूप से बड़े स्तर पर पेपर लीक और नकल की घटनाएं सामने आई थीं।
बेनीवाल का कहना है कि जब विपक्ष में रहते हुए भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता सतीश पूनिया और राजेंद्र राठौड़ ने इस परीक्षा को रद्द करने की मांग की थी, तब वर्तमान सरकार ने उन्हें समर्थन दिया था। लेकिन अब वही नेता सत्ता में आने के बाद चुप्पी साधे हुए हैं।
उनका कहना है, “RLP युवाओं की आवाज है और जब तक परीक्षा रद्द नहीं होती, यह आंदोलन जारी रहेगा। जरूरत पड़ी तो लाखों की संख्या में लोग सड़कों पर उतरेंगे।”
युवाओं का गुस्सा और समर्थन
धरने में बड़ी संख्या में युवा शामिल हो रहे हैं, जिनमें अधिकतर ग्रामीण क्षेत्रों से आए छात्र हैं। इन छात्रों ने कहा कि वे किसान परिवारों से हैं, जिनके माता-पिता कर्ज लेकर उनकी पढ़ाई का खर्च उठाते हैं। परीक्षा में धांधली होने से उनकी मेहनत और सपने बर्बाद हो जाते हैं।
एक छात्र ने कहा, “जब हर भर्ती घोटाले की भेंट चढ़ जाती है, तो या तो आत्महत्या करनी पड़ती है या अपराध की ओर जाना पड़ता है।” उनका मानना है कि हनुमान बेनीवाल जैसे नेता ही उनकी आवाज को मजबूती से उठा रहे हैं, इसलिए वे अंत तक उनके साथ रहेंगे।
युवाओं ने यह भी बताया कि अब वे सिर्फ परीक्षा रद्द करने की नहीं, बल्कि दोषियों को सजा दिलवाने की भी मांग कर रहे हैं।
सरकार के लिए बनती चुनौती
हनुमान बेनीवाल की गिरफ्तारी और लगातार बढ़ता जन समर्थन सरकार के लिए मुश्किलें खड़ी कर रहा है। पहले से ही परीक्षा प्रक्रिया को लेकर राज्य सरकार पर कई सवाल उठाए जा रहे हैं। अब यह आंदोलन केवल एक परीक्षा तक सीमित नहीं रह गया है, बल्कि यह युवाओं के आक्रोश और बेरोजगारी की गूंज बन गया है।