मनीषा शर्मा। एसओजी की गिरफ्त में आए पेपरलीक गिरोह से कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। इस गिरोह ने न केवल एसआई भर्ती बल्कि कई अन्य भर्तियों के भी पेपर लीक कराए थे। असली अभ्यर्थियों की जगह डमी कैंडिडेट्स को बैठाकर परीक्षा दिलवाई जाती थी।
गिरफ्तार गिरोह की सदस्य छम्मी बिश्नोई गार्गी पुरस्कार विजेता रही है। पढ़ाई में होशियार छम्मी को नकल गिरोह ने लालच देकर अपने साथ शामिल कर लिया। छम्मी बिश्नोई ने शुरू में 5 से 7 लाख रुपए तक लिए, लेकिन बाद में 20 लाख रुपए तक वसूले। ओमप्रकाश ढाका, पेपरलीक गिरोह के मास्टरमाइंड जगदीश बिश्नोई का प्रमुख सहयोगी है। ओमप्रकाश ने टीचर की नौकरी से शुरुआत की थी, लेकिन बाद में पेपरलीक के आरोप में गिरफ्तार किया गया।
जांच में पाया गया कि गिरोह का नेटवर्क जालोर, सिरोही, भीलवाड़ा और उदयपुर समेत कई जिलों में फैला हुआ था। गिरोह ने हाल ही में डीईओ की शिकायत करके एपीओ करा दिया था। एसओजी के प्रमुख वीके सिंह ने बताया कि पिछले 5 साल में नौकरी पाने वालों का वेरिफिकेशन दोबारा होगा। छम्मी बिश्नोई ने डूंगरी गांव में नकल के पैसों से चार मंजिला मकान भी बनाया था। वह वृंदावन में छुपी हुई थी, जहां से एसओजी ने उसे गिरफ्तार किया।
एडीजी वीके सिंह के अनुसार, एसओजी को 2670 पेपरलीक की शिकायतें मिली हैं, जिनमें से 900 शिकायतों को वेरिफाई किया जा चुका है। इन शिकायतों की जांच की जा रही है और संबंधित विभागों को सूचित किया जा रहा है। गिरोह की मदद से नौकरी पाने वाले अभ्यर्थियों का रिकॉर्ड चेक कर वेरिफिकेशन किया जाएगा। एसओजी की इस कार्रवाई से पेपरलीक गिरोह के बड़े नेटवर्क का पर्दाफाश हुआ है और आगे भी जांच जारी है।