मनीषा शर्मा। राजस्थान के सीकर जिले के प्रसिद्ध तीर्थ स्थल खाटूश्यामजी मंदिर में आज यानी सोमवार को शरद पूर्णिमा का पर्व बड़ी श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जा रहा है। देश के विभिन्न हिस्सों से आए हजारों श्रद्धालु इस अवसर पर बाबा श्याम के दिव्य स्वरूप के दर्शन करने पहुंचे हैं। इस विशेष दिन को बाबा श्याम के भक्त अत्यंत पवित्र और शुभ मानते हैं, क्योंकि इसी दिन बाबा का श्वेत श्रृंगार (White Theme Shringar) किया जाता है।
श्वेत थीम में सजे बाबा श्याम
शरद पूर्णिमा के अवसर पर इस बार बाबा श्याम का श्रृंगार पूरी तरह से श्वेत (सफेद) थीम पर आधारित है। बाबा को सफेद फूलों की मालाओं, शुभ्र वस्त्रों और चांदी व रत्न जड़ित आभूषणों से सजाया गया है। मंदिर के गर्भगृह को भी सफेद रंग से सजाया गया है, जिससे पूरा परिसर दिव्यता और शांति से परिपूर्ण दिख रहा है।
श्रद्धालुओं के अनुसार, यह श्वेत श्रृंगार बाबा श्याम के “शुद्धता और पवित्रता” के प्रतीक का प्रतिनिधित्व करता है। चांदनी रात में सफेद श्रृंगार से सजे बाबा का रूप इतना आकर्षक लगता है कि श्रद्धालु देर रात तक उनके दर्शन के लिए लाइन में खड़े रहते हैं।
मंदिर प्रशासन ने जानकारी दी कि श्वेत श्रृंगार के लिए विशेष प्रकार के गुलाब, चंपा, चमेली और सफेद गेंदा फूलों का उपयोग किया गया है। इसके अलावा बाबा को विशेष चांदी का मुकुट और रत्नों से जड़ा आभूषण पहनाया गया है।
रात 12 बजे लगेगा खीर का विशेष भोग
शरद पूर्णिमा की रात को चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से पूर्ण होता है और उसकी किरणों को “अमृतमयी” कहा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस रात चंद्रमा की रोशनी में रखी गई खीर अमृत के समान मानी जाती है। इसी कारण से, खाटूश्याम मंदिर में हर वर्ष शरद पूर्णिमा की रात रात 12 बजे बाबा श्याम को खीर का विशेष भोग लगाया जाता है। भक्तजन इस खीर को चांदनी में रखकर तैयार करते हैं और भोग के बाद इसे प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं। यह प्रसाद बाबा की कृपा और आशीर्वाद का प्रतीक माना जाता है। मंदिर कमेटी के अनुसार, इस बार विशेष रूप से सौ किलो दूध, चावल और मेवे से खीर तैयार की गई है, जिसे आधी रात को बाबा को अर्पित किया जाएगा।
मंदिर में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़
हर साल की तरह इस बार भी शरद पूर्णिमा के अवसर पर देश-विदेश से हजारों भक्त खाटूश्यामजी पहुंचे हैं। भक्त सुबह से ही मंदिर परिसर में लाइन में लगे हैं और देर रात तक बाबा के दर्शन करते रहेंगे। भीड़ को देखते हुए प्रशासन ने सुरक्षा और भीड़ प्रबंधन की विशेष व्यवस्था की है। मंदिर के बाहर बैरिकेड्स लगाए गए हैं, पार्किंग की अलग व्यवस्था की गई है और चिकित्सा टीम भी तैनात की गई है ताकि किसी भी प्रकार की असुविधा न हो। मंदिर परिसर में चारों ओर भक्ति संगीत, भजन और कीर्तन गूंज रहे हैं। श्रद्धालु बाबा श्याम के जयकारों के साथ पूरी रात भक्ति में लीन रहेंगे।
साल में एक बार होता है श्वेत श्रृंगार
बाबा श्याम का यह श्वेत श्रृंगार वर्ष में केवल एक बार — शरद पूर्णिमा के अवसर पर — किया जाता है। इस दिन पूरा गर्भगृह सफेद रंग से सजा दिया जाता है। मंदिर की दीवारें, पर्दे, फर्श, और फूलों की सजावट सब कुछ श्वेत थीम में होता है। यह आयोजन बाबा के भक्तों के लिए आध्यात्मिक अनुभव का प्रतीक है। कई श्रद्धालु मानते हैं कि इस रात बाबा के दर्शन से सभी दुख दूर होते हैं और जीवन में सुख-शांति आती है।
कौन हैं बाबा खाटूश्याम?
बाबा खाटूश्याम, जिन्हें “हारे के सहारे” के नाम से भी जाना जाता है, महाभारत कालीन महान योद्धा बर्बरीक का ही अवतार हैं। महाभारत युद्ध के समय बर्बरीक, जो भीम के पौत्र थे, युद्ध में कौरवों की ओर से शामिल होने जा रहे थे। उनके पास तीन शक्तिशाली तीर थे, जिनसे वे अकेले पूरे युद्ध का परिणाम बदल सकते थे।
भगवान श्रीकृष्ण ने युद्ध की दिशा समझते हुए एक ब्राह्मण का वेश धारण किया और बर्बरीक से उनके तीरों की शक्ति के बारे में पूछा। जब उन्हें पता चला कि बर्बरीक केवल हारने वाले पक्ष का साथ देंगे, तो श्रीकृष्ण ने उनसे युद्ध से पहले उनका शीश दान में मांग लिया।
बर्बरीक ने बिना संकोच अपना शीश दान में दे दिया। इस पर भगवान कृष्ण प्रसन्न होकर बोले — “कलियुग में तुम्हें श्याम नाम से पूजा जाएगा। तुम हारे का सहारा बनोगे, और तुम्हारे भक्त तुम्हें मेरे नाम से पुकारेंगे।” तब से बर्बरीक को खाटूश्याम बाबा के रूप में पूजा जाता है।
भक्तों के लिए महत्व और आस्था
खाटूश्यामजी मंदिर को आज भारत के प्रमुख तीर्थ स्थलों में गिना जाता है। हर वर्ष लाखों श्रद्धालु यहां बाबा के फाल्गुन मेला, एकादशी दर्शन, और शरद पूर्णिमा श्रृंगार के अवसर पर आते हैं। भक्तों का विश्वास है कि जो भी सच्चे मन से बाबा श्याम का नाम लेता है, उसकी हर मनोकामना पूरी होती है। बाबा को “हारे का सहारा” इसलिए कहा जाता है क्योंकि वे हमेशा अपने भक्तों के कठिन समय में साथ खड़े रहते हैं।


