शोभना शर्मा। राजस्थान के उदयपुर जिले में स्थित मेवाड़ की शक्ति पीठ ईडाणा माता मंदिर में चैत्र महीने की दूज को अद्भुत अग्नि स्नान हुआ। हर साल की तरह इस वर्ष भी माता के इस चमत्कारिक अग्नि स्नान को देखने के लिए आसपास के गांवों और दूर-दराज के स्थानों से बड़ी संख्या में भक्त उमड़ पड़े। इस घटना ने न केवल स्थानीय लोगों बल्कि अन्य राज्यों से आने वाले श्रद्धालुओं को भी अचंभित कर दिया।
कैसे होता है अग्नि स्नान?
चैत्र दूज के दिन ईडाणा माता की प्रतिमा के चारों ओर अचानक से आग की लपटें उठने लगती हैं। माना जाता है कि यह अग्नि स्नान माता की परंपरा का हिस्सा है। इस दौरान माता की प्रतिमा को आग की लपटें छूती हैं लेकिन प्रतिमा को कोई नुकसान नहीं पहुंचता। जबकि उनके वस्त्र, चढ़ावा और फूल-पत्तियां पूरी तरह से जलकर भस्म हो जाते हैं। यह नज़ारा देखने के लिए भक्तों का भारी जमावड़ा मंदिर परिसर में होता है।
त्रिशूल तपकर हो जाते हैं लाल
मंदिर परिसर में लगे त्रिशूल भी इस अग्नि स्नान के दौरान तपकर लाल हो जाते हैं। यह भी भक्तों के लिए एक अद्भुत और चमत्कारिक अनुभव होता है। माता की प्रतिमा को अग्नि से कोई नुकसान नहीं होता लेकिन चारों ओर रखा गया चढ़ावा और अन्य वस्त्र जलकर राख हो जाते हैं।
ईडाणा माता का शृंगार
अग्नि स्नान के बाद माता का विशेष शृंगार किया जाता है। क्योंकि अग्नि स्नान के दौरान माता के वस्त्र और अन्य सामग्री भस्म हो जाती हैं। मंदिर के पुजारी और भक्तगण मिलकर माता को नए वस्त्र पहनाते हैं और उनके शृंगार की पूरी प्रक्रिया संपन्न की जाती है।
मेवाड़ की महारानी के नाम से प्रसिद्ध
ईडाणा माता मंदिर को मेवाड़ की महारानी भी कहा जाता है। यह मंदिर उदयपुर जिले के सलुंबर में स्थित है और जिला मुख्यालय से लगभग 60 किमी दूर स्थित है। यहां का अग्नि स्नान का आयोजन मेवाड़ क्षेत्र की धार्मिक और सांस्कृतिक परंपरा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
मन्नतें पूरी करने के लिए चढ़ाते हैं त्रिशूल
मंदिर परिसर में अनगिनत त्रिशूल लगे हुए हैं, जिन्हें भक्त अपनी मन्नतें पूरी होने पर चढ़ाते हैं। खासकर संतान प्राप्ति की मन्नत रखने वाले भक्त यहां झूले चढ़ाते हैं। इसके अलावा लोग अखंड ज्योति के दर्शन भी करते हैं और अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए प्रार्थना करते हैं।
ईडाणा माता का अद्भुत चमत्कार
ईडाणा माता के अग्नि स्नान को लेकर मान्यता है कि यह शक्ति पीठ समय-समय पर इस तरह के चमत्कार दिखाती रहती है। 52 गांवों के लोग यहां नियमित रूप से दर्शन करने आते हैं और उनकी आस्था इस शक्ति पीठ से जुड़ी हुई है।