मनीषा शर्मा। भीलवाड़ा में सीएनजी पंप विवाद से जुड़ा मामला अब व्यक्तिगत और पारिवारिक विवादों के जाल में उलझता जा रहा है। निलंबित आरएएस अधिकारी छोटूलाल शर्मा के खिलाफ अब उनकी पहली पत्नी पूनम जखोड़िया खुलकर सामने आई हैं और उन्होंने कई गंभीर आरोप लगाए हैं। जहां शर्मा ने हाल ही में अपनी दूसरी पत्नी दीपिका व्यास के साथ मीडिया के सामने आकर खुद को निर्दोष बताया था, वहीं पूनम का दावा है कि वह अब भी शर्मा की वैध पत्नी हैं और तलाक की प्रक्रिया अदालत में लंबित है। उन्होंने यहां तक कहा कि “मैं आज भी उनके नाम का सिंदूर भरती हूं।”
‘गरीबी के दिनों में साथ दिया, लेकिन आरएएस बनते ही सब बदल गया’
पिलानी निवासी पूनम जखोड़िया ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि उन्होंने संघर्ष के दिनों में छोटूलाल शर्मा का हर कदम पर साथ दिया। उन्होंने कहा, “जब वह आर्थिक रूप से कमजोर थे, मैंने घर और बच्चों को संभाला। खुद मेहनत करके बच्चों को पढ़ाया, लेकिन आरएएस अधिकारी बनने के बाद उनका स्वभाव पूरी तरह बदल गया।” पूनम ने आरोप लगाया कि जैसे ही शर्मा को सफलता मिली, उन्होंने परिवार से दूरी बना ली और उन्हें व बच्चों को नजरअंदाज करने लगे।
‘मुझे 10-10 थप्पड़ मारते थे, बच्चे डर से छिप जाते थे’
पूनम जखोड़िया ने बेहद गंभीर आरोप लगाते हुए कहा, “लोग कह रहे हैं कि उन्होंने पंप वाले को एक थप्पड़ मारा, लेकिन मुझे तो 10-10 थप्पड़ मारते थे। बच्चे डर के मारे कुर्सियों और बिस्तर के पीछे छिप जाते थे।” उन्होंने दावा किया कि छोटूलाल शर्मा का स्वभाव हिंसक था और वे अक्सर गुस्से में हाथ उठा देते थे। पूनम ने कहा, “उनका गुस्सा किसी भी बात पर भड़क जाता था। कई बार बच्चों के सामने भी उन्होंने मुझे मारा-पीटा।”
‘आरएएस होने का रौब दिखाते थे, कहते- कानून मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकता’
पूनम ने आगे कहा कि जब उन्होंने 2022 में उनके खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई थी, तब भी उन्हें बार-बार धमकाया गया। उनका आरोप है कि छोटूलाल शर्मा कहते थे, “मैं आरएएस हूं, कानून और पुलिस मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकती।” उन्होंने बताया कि कई बार पुलिसकर्मी खुद उनके घर के बाहर खड़े रहते थे और शर्मा को सलाम करते थे। इस वजह से वे लंबे समय तक शिकायत करने से डरती रहीं।
‘तलाक की प्रक्रिया अदालत में लंबित, मैं अभी भी वैध पत्नी हूं’
पूनम ने स्पष्ट कहा कि छोटूलाल शर्मा का दावा कि उन्होंने “कानूनी तौर पर तलाक” ले लिया है, पूरी तरह गलत है। उनके अनुसार, “हमारा तलाक अभी कोर्ट में विचाराधीन है, अभी तक कोई अंतिम आदेश नहीं हुआ। मैं आज भी उनकी वैध पत्नी हूं और अपने बच्चों के साथ रह रही हूं।” उन्होंने यह भी कहा कि शर्मा द्वारा दूसरी शादी करना कानूनी तौर पर गलत है, क्योंकि पहले विवाह का निपटारा अभी न्यायालय में नहीं हुआ है।
सीएनजी पंप विवाद पर भी दी प्रतिक्रिया
पूनम ने भीलवाड़ा सीएनजी पंप विवाद पर कहा, “जब मैंने वीडियो देखा, तो मुझे अपने पुराने दिन याद आ गए। वही गुस्सा, वही बर्ताव। फर्क बस इतना है कि पहले यह सब मैं झेलती थी, अब पूरा समाज देख रहा है।” उन्होंने कहा कि यह वीडियो इस बात का प्रमाण है कि शर्मा का स्वभाव आक्रामक और हिंसक रहा है।
छोटूलाल शर्मा की सफाई: ‘दीपिका मेरी वैध पत्नी, सच्चाई छिपाई जा रही’
दूसरी ओर, निलंबित आरएएस अधिकारी छोटूलाल शर्मा ने शुक्रवार को मीडिया के सामने आकर अपनी सफाई दी। उन्होंने कहा कि उनकी वैध पत्नी दीपिका व्यास हैं और पूर्व पत्नी पूनम से उनका “कानूनी रूप से तलाक” हो चुका है। शर्मा ने कहा, “सोशल मीडिया पर मेरे खिलाफ झूठे आरोप लगाए जा रहे हैं। सीएनजी पंप की घटना में कुछ कर्मचारियों ने मेरी पत्नी के साथ अभद्रता की थी। जब मैंने विरोध किया तो विवाद बढ़ गया। उस घटना का पूरा वीडियो मौजूद है, लेकिन सोशल मीडिया पर उसका केवल एक हिस्सा वायरल किया गया।” उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि कुछ लोग उनके खिलाफ सुनियोजित साजिश कर रहे हैं ताकि उनकी छवि खराब की जा सके।
पुलिस और प्रशासनिक जांच में जुटी टीमें
सीएनजी पंप विवाद के बाद मामला प्रशासनिक और कानूनी स्तर पर गंभीर हो गया है। राज्य सरकार ने छोटूलाल शर्मा को निलंबित कर दिया है और उनका मुख्यालय जयपुर स्थानांतरित कर दिया गया है। रायला थाना पुलिस ने दोनों पक्षों की रिपोर्ट दर्ज की है और अब वीडियो फुटेज, गवाहों के बयान और दस्तावेजों की जांच की जा रही है। पुलिस सूत्रों के अनुसार, अब जांच इस दिशा में भी आगे बढ़ेगी कि पूनम के लगाए गए आरोपों में कितनी सच्चाई है और क्या यह मामला केवल घरेलू विवाद है या किसी और वजह से उभरा है।
पारिवारिक विवाद से प्रशासनिक संकट तक
छोटूलाल शर्मा का विवाद अब केवल निजी दायरे तक सीमित नहीं रहा। एक आरएएस अधिकारी के रूप में उनकी छवि पर भी सवाल उठने लगे हैं। पारिवारिक विवाद और सीएनजी पंप झगड़े की घटनाओं ने राज्य की नौकरशाही में भी हलचल मचा दी है। प्रशासनिक अधिकारियों का कहना है कि जब कोई अधिकारी सार्वजनिक पद पर होता है, तो उसका आचरण जनहित और कानून के अनुरूप होना चाहिए।


