शोभना शर्मा। राजस्थान की चिकित्सा सेवाओं में एक नया विवाद खड़ा हो गया है। अजमेर में राजस्थान मेडिकल कॉलेज टीचर एसोसिएशन (RMCTA) से जुड़े सीनियर डॉक्टर्स सोमवार से पेन डाउन हड़ताल पर उतर आए हैं। पिछले 5 दिनों से जेएलएन अस्पताल परिसर में लैटरल एंट्री भर्ती को लेकर धरना दे रहे ये चिकित्सक अब प्रत्यक्ष रूप से कार्य बहिष्कार कर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल चुके हैं। सोमवार को डॉक्टर्स ने दो घंटे का सांकेतिक कार्य बहिष्कार किया और चेतावनी दी कि यदि सरकार उनकी मांगों पर ध्यान नहीं देती तो आगामी दिनों में आंदोलन और उग्र होगा।
सामूहिक विरोध की शुरुआत
आरएमसीटीए की सचिव पूजा माथुर ने बताया कि अजमेर ही नहीं, बल्कि जयपुर, जोधपुर, बीकानेर, कोटा और उदयपुर सहित सभी मेडिकल कॉलेजों में डॉक्टर्स ने सामूहिक रूप से सांकेतिक पेन डाउन हड़ताल शुरू कर दी है। इसका उद्देश्य सरकार तक अपनी मांगों की गंभीरता को पहुंचाना है। उन्होंने कहा कि पांच दिनों से शांतिपूर्ण धरना देकर सरकार का ध्यान आकर्षित करने की कोशिश की जा रही थी, लेकिन अभी तक किसी भी स्तर पर सरकार की ओर से वार्ता या आश्वासन नहीं मिला।
डॉक्टर्स की मुख्य आपत्ति: लैटरल एंट्री
डॉक्टर्स का आरोप है कि सरकार लैटरल एंट्री के जरिए मेडिकल कॉलेजों में भर्ती कराना चाहती है। उनका कहना है कि यह प्रक्रिया न केवल नियमों के खिलाफ है, बल्कि इससे योग्य उम्मीदवारों के अधिकार भी प्रभावित होंगे। पूजा माथुर ने स्पष्ट कहा कि भर्ती प्रक्रिया 1962 रूल्स के अनुसार राजस्थान लोक सेवा आयोग (RPSC) के जरिए होनी चाहिए।
उन्होंने बताया कि अब तक दो बार मेडिकल कॉलेज शिक्षकों के लिए भर्ती निकाली जा चुकी है। 2021 में 337 पद और 2024 में 352 पदों की वैकेंसी घोषित की गई थी। इन दोनों भर्तियों की लिखित परीक्षाएं हो चुकी हैं, लेकिन नतीजे आज तक घोषित नहीं किए गए। डॉक्टर्स का कहना है कि यदि सरकार समयबद्ध तरीके से इन भर्तियों की प्रक्रिया पूरी करती तो न तो मेडिकल कॉलेजों में शिक्षकों की कमी रहती और न ही मरीजों की चिकित्सा व्यवस्था प्रभावित होती।
सरकार पर बैक डोर एंट्री का आरोप
डॉक्टर्स ने आरोप लगाया है कि सरकार जानबूझकर समय पर भर्ती प्रक्रिया पूरी नहीं कर रही और सीधे तौर पर लैटरल एंट्री के जरिए उम्मीदवारों को जगह देना चाहती है। इसे उन्होंने “बैक डोर एंट्री” करार दिया। उनका कहना है कि यह तरीका न केवल न्याय संगत भर्ती व्यवस्था के खिलाफ है, बल्कि इससे योग्य उम्मीदवारों का भविष्य भी खतरे में पड़ जाएगा।
मरीजों पर असर की आशंका
अजमेर और अन्य शहरों के मेडिकल कॉलेजों में शुरू हुई पेन डाउन हड़ताल से मरीजों की परेशानी बढ़ने की आशंका है। हालांकि अभी यह आंदोलन सांकेतिक है और डॉक्टर्स ने सिर्फ दो घंटे का कार्य बहिष्कार किया है, लेकिन यदि सरकार ने मांगों पर ध्यान नहीं दिया तो चिकित्सक हड़ताल को अनिश्चितकालीन करने पर भी विचार कर सकते हैं। इससे प्रदेशभर के मेडिकल कॉलेज और अस्पतालों में चिकित्सा सेवाएं प्रभावित हो सकती हैं।
डॉक्टर्स का दर्द
पूजा माथुर ने कहा कि एक चिकित्सक शिक्षक न केवल शिक्षा का काम करता है, बल्कि मरीजों की चिकित्सा में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। लेकिन दुर्भाग्य से उन्हें बार-बार सड़कों पर उतरकर अपनी आवाज सरकार तक पहुंचानी पड़ती है। उन्होंने स्पष्ट चेतावनी दी कि यदि सरकार ने उनकी मांगों को लेकर जल्द ठोस कदम नहीं उठाया तो आंदोलन और तेज किया जाएगा और उसकी पूरी जिम्मेदारी सरकार की होगी।