शोभना शर्मा। भरतपुर के पूर्व राजपरिवार के विवाद में SDM कोर्ट ने गुरुवार को फैसला सुनाते हुए पूर्व मंत्री विश्वेंद्र सिंह की याचिका को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि यह मामला SDM कोर्ट में चलने लायक नहीं है और इसे सिविल कोर्ट में दायर किया जाए।
पूर्व मंत्री विश्वेंद्र सिंह ने 6 मार्च 2024 को SDM कोर्ट में अपनी पत्नी दिव्या सिंह और बेटे अनिरुद्ध सिंह के खिलाफ भरण पोषण की याचिका लगाई थी। सिंह ने आरोप लगाया कि उनकी पत्नी और बेटा उनके साथ मारपीट करते हैं, उन्हें भरपेट भोजन नहीं देते और घर छोड़ने पर मजबूर कर दिया।
SDM कोर्ट ने मामले का क्षेत्राधिकार सिविल कोर्ट को बताते हुए प्रार्थना पत्र को निरस्त कर दिया। विश्वेंद्र सिंह के वकील ने बताया कि दिव्या सिंह ने प्रारंभिक आपत्तियां जताईं, जिसके बाद दोनों पक्षों की डिटेल्स में बहस हुई।
विश्वेंद्र सिंह ने आरोप लगाया कि उनकी पत्नी और बेटे ने उनके पहनने के कपड़े फेंक दिए, कागजात फाड़ दिए और उन्हें घर से बाहर कर दिया। उन्होंने यह भी दावा किया कि उनके पास करोड़ों की एंटीक चीजें, गहने और पूर्वजों के बेशकीमती फोटोग्राफ थे, जो अब उनकी पत्नी और बेटे के कब्जे में हैं।
दिव्या सिंह और अनिरुद्ध सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सभी आरोपों को खारिज किया। दिव्या सिंह ने कहा कि अगर उन्होंने मुंह खोला तो मामला सुप्रीम कोर्ट तक जाएगा। अनिरुद्ध सिंह ने कहा कि वे मोती महल को बिकने नहीं देंगे।
इस बीच, विश्वेंद्र सिंह ने फेसबुक पर बयान जारी कर कहा कि मोती महल को बेचने के आरोप सरासर झूठे और निराधार हैं। उन्होंने कहा कि वे इस ऐतिहासिक विरासत की एक इंच जमीन भी नहीं बेचेंगे।