मनीषा शर्मा। हरियाणा भाजपा के प्रभारी और राजस्थान के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष डॉ. सतीश पूनिया ने कांग्रेस पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि विपक्ष के पास न तो कोई नेतृत्व है और न ही ठोस मुद्दे। उन्होंने कहा कि राजस्थान विधानसभा में गतिरोध कांग्रेस की अंदरूनी कलह का नतीजा है, और यह स्पष्ट हो चुका है कि कांग्रेस अब विचारधारा और व्यवहार से नकार दी गई है।
कांग्रेस के पास न तो मुद्दे हैं, न ही सक्षम नेतृत्व
अलवर में एक निजी कार्यक्रम में पहुंचे पूनिया ने मीडिया से बातचीत में कहा कि कांग्रेस का विरोध सिर्फ विरोध के लिए है, उनके पास जनता से जुड़े वास्तविक मुद्दे नहीं हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस को संसदीय परंपराओं को समझने और विपक्ष की भूमिका निभाने के लिए ट्रेनिंग लेनी चाहिए। पूनिया ने कहा-
“संसद और विधानसभा में मुद्दों पर बहस होनी चाहिए, लेकिन कांग्रेस के नेता सिर्फ हंगामा कर रहे हैं। कांग्रेस के नेताओं को यह समझना होगा कि उन्हें अब सत्ता की नहीं, बल्कि विपक्ष की भूमिका निभानी है।”
‘दादी’ शब्द पर अनावश्यक विवाद खड़ा किया गया
पूनिया ने विधानसभा में मंत्री अविनाश गहलोत द्वारा पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को ‘दादी’ कहने पर हुए विवाद को गैर-जरूरी बहस बताया। उन्होंने कहा कि यह शब्द असंसदीय नहीं था, बल्कि तरीके और संदर्भ को लेकर आपत्ति हो सकती है। उन्होंने कांग्रेस पर तंज कसते हुए कहा कि शब्दों की राजनीति करने से बेहतर होगा कि वे असल मुद्दों पर चर्चा करें।
भ्रष्टाचार कांग्रेस के पतन का मुख्य कारण
भ्रष्टाचार पर बोलते हुए पूनिया ने कहा कि कांग्रेस जब भी सत्ता से बाहर हुई, उसके पीछे भ्रष्टाचार सबसे बड़ा कारण रहा। उन्होंने कहा कि राजस्थान में सड़क, खान और पोषाहार घोटालों ने कांग्रेस की सरकार को डुबो दिया।
“जब कांग्रेस सत्ता में थी, तब भ्रष्टाचार चरम पर था। अब जब वे बाहर हैं, तो भाजपा पर आरोप लगाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन उनके पास कोई ठोस प्रमाण नहीं है। सिर्फ झूठे आरोप लगाकर जनता को गुमराह करने की कोशिश की जा रही है।”
‘बीजेपी ऐसी पार्टी जो सबको अवसर देती है’
पूनिया ने भाजपा की कार्यसंस्कृति को कांग्रेस से अलग बताते हुए कहा कि भाजपा एकमात्र पार्टी है, जो सामान्य कार्यकर्ताओं को भी शीर्ष पद तक पहुंचने का अवसर देती है। उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश, राजस्थान और दिल्ली में ऐसे मुख्यमंत्री बने हैं, जो पहली बार विधायक बने थे।
“जो लोग बीजेपी की नेतृत्व चयन प्रक्रिया पर सवाल उठाते हैं, वे यह समझ लें कि हमारा प्रधानमंत्री भी एक साधारण कार्यकर्ता से इस पद तक पहुंचा है। कांग्रेस की तरह वंशवाद पर आधारित राजनीति नहीं है, यहां योग्यता के आधार पर फैसले होते हैं।”
‘जाति से तय नहीं होती कुर्सियां, पार्टी के फैसले सर्वोपरि’
पूनिया ने जातिगत राजनीति पर चर्चा करते हुए कहा कि भाजपा में कुर्सियां जाति के आधार पर नहीं, बल्कि योग्यता और पार्टी के निर्णय पर तय होती हैं। उन्होंने कहा कि हरियाणा और दिल्ली में जाट नेताओं को मुख्यमंत्री नहीं बनाने के सवाल पर भाजपा पर सवाल उठाने वाले लोग यह समझ लें कि हमारे फैसले जाति के आधार पर नहीं होते।
“नेतृत्व का चयन पार्टी के संसदीय बोर्ड की सहमति से होता है। भाजपा में जातिगत समीकरणों से ज्यादा नेतृत्व की क्षमता और संगठन की नीतियों को प्राथमिकता दी जाती है।”
आमेर से चुनाव नहीं लड़ूंगा: पूनिया
सतीश पूनिया ने साफ कर दिया कि वह अब आमेर से चुनावी राजनीति नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि बीते 10 वर्षों में आमेर से गहरा नाता रहा, लेकिन भविष्य में वह वहां से चुनाव नहीं लड़ेंगे। हालांकि, पार्टी जो भी जिम्मेदारी देगी, उसे पूरी निष्ठा से निभाएंगे।