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सरकार की उपेक्षा पर भड़के सरस अध्यक्ष रामचंद्र चौधरी दुग्ध उत्पादकों का सहकार महाकुंभ 24 अगस्त को

सरकार की उपेक्षा पर भड़के सरस अध्यक्ष रामचंद्र चौधरी दुग्ध उत्पादकों का सहकार महाकुंभ 24 अगस्त को

मनीषा शर्मा, अजमेर।  राजस्थान में दुग्ध उत्पादकों और किसानों की उपेक्षा को लेकर गहराता असंतोष अब आंदोलन का रूप लेता जा रहा है। अजमेर सरस अध्यक्ष रामचंद्र चौधरी ने मंगलवार को प्रेस वार्ता कर राज्य सरकार की हठधर्मिता और उदासीन रवैये पर तीखा हमला बोला। उन्होंने साफ कहा कि किसानों और दुग्ध उत्पादकों की आवाज को लगातार अनसुना किया जा रहा है, जिसके चलते अब प्रदेश भर से हजारों दुग्ध उत्पादक 24 अगस्त को अजमेर में इकट्ठा होकर “दुग्ध उत्पादक सहकार महाकुंभ” आयोजित करेंगे। इस महाकुंभ में पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, प्रदेश कांग्रेस प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा, पूर्व मंत्री राजेंद्र सिंह जूली और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सचिन पायलट भी शिरकत करेंगे।

रामचंद्र चौधरी ने प्रेस वार्ता में कहा कि किसानों और पशुपालकों पर सरकार की उपेक्षा से दोहरी मार पड़ रही है। एक ओर उत्पादन लागत लगातार बढ़ रही है तो दूसरी ओर सरकार बकाया भुगतान और राहत योजनाओं को लेकर टालमटोल कर रही है। उन्होंने कहा कि आज प्रदेश के दुग्ध उत्पादक बुरी तरह से हताश और परेशान हैं।

किसानों और दुग्ध उत्पादकों की मुख्य माँगें

चौधरी ने दुग्ध उत्पादकों की दस प्रमुख माँगों को सामने रखते हुए कहा कि सरकार यदि इन्हें गंभीरता से नहीं लेती तो आंदोलन और तेज़ किया जाएगा। सबसे पहली माँग है कि मुख्यमंत्री दुग्ध उत्पादन संबल योजना की करीब ₹320 करोड़ की बकाया राशि का तत्काल भुगतान किया जाए। यह राशि सात महीने से लंबित है, जिससे किसानों की आर्थिक स्थिति डगमगा गई है। इसी तरह मिड-डे मील योजना की बकाया राशि भी ₹320 करोड़ है, जिसका एकमुश्त भुगतान किसानों को तुरंत मिलना चाहिए।

दूसरी बड़ी माँग अतिवृष्टि से प्रभावित किसानों और पशुपालकों को राहत पहुँचाने की है। चौधरी ने कहा कि फसल बीमा राशि का तुरंत भुगतान होना चाहिए, साथ ही पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकारों की तर्ज पर चारा अनुदान जारी किया जाना चाहिए।

राजस्थान कभी दुग्ध उत्पादन में शीर्ष राज्यों में गिना जाता था, लेकिन समय पर भुगतान और अनुदान नहीं मिलने से उत्पादन में भारी गिरावट आई है। चौधरी ने कहा कि सरकार यदि समय पर भुगतान और सहायता सुनिश्चित करे तो राज्य को फिर से शीर्ष स्थान पर लाया जा सकता है।

दुग्ध क्षेत्र को कृषि क्षेत्र का दर्जा देने की माँग भी लंबे समय से उठ रही है। चौधरी ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार की तरह राजस्थान में भी डेयरी को कृषि क्षेत्र में शामिल किया जाना चाहिए ताकि किसानों को राहत और योजनाओं का लाभ मिल सके।

उन्होंने कहा कि राज्य में ढाई हजार से अधिक पदों की भर्ती प्रक्रिया लंबे समय से अटकी हुई है। जिला संघ भर्ती खर्च उठाने को तैयार हैं, फिर भी सरकार ने इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया। इसी के साथ, दुग्ध क्षेत्र के लिए इंडियन डेयरी सर्विस (IDS) कैडर की स्थापना की माँग भी जोर पकड़ रही है, ताकि युवाओं को नए अवसर मिल सकें।

चौधरी ने लावारिस सांडों की समस्या को भी गंभीरता से उठाया। उन्होंने कहा कि किसानों को सेक्स-सॉर्टेड सीमन निशुल्क उपलब्ध कराया जाए और लावारिस सांडों का बंध्याकरण कराया जाए, जिससे दुर्घटनाओं और अनुपयोगी नस्ल की समस्या का समाधान हो सके। पशुपालकों के लिए विशेष पैकेज और आर्थिक सहायता उपलब्ध कराना भी जरूरी है क्योंकि चारा और पशु आहार की लागत लगातार बढ़ रही है।

सरकार पर उपेक्षा का आरोप

सरस अध्यक्ष ने कहा कि राज्य सरकार दुग्ध उत्पादकों और किसानों की समस्याओं को लगातार नजरअंदाज कर रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि चाहे राज्य हो या केंद्र, किसानों और पशुपालकों के हित में ठोस घोषणाएँ नहीं की जा रही हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने अब भी उनकी माँगों को अनसुना किया तो आंदोलन और भी व्यापक रूप लेगा।

24 अगस्त को अजमेर में होने वाला यह “सहकार महाकुंभ” किसानों और दुग्ध उत्पादकों की ताकत और एकजुटता को प्रदर्शित करेगा। इस कार्यक्रम में हजारों किसान और पशुपालक शामिल होंगे, जो सरकार को अपनी माँगों की गंभीरता का एहसास कराएंगे। रामचंद्र चौधरी ने कहा कि यह महाकुंभ केवल दुग्ध उत्पादकों का सम्मेलन नहीं होगा, बल्कि यह किसानों की आवाज़ बुलंद करने का ऐतिहासिक मंच साबित होगा।

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