शोभना शर्मा। राजस्थान कोऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन (RCDF) ने उपभोक्ताओं को राहत देते हुए सरस घी के दामों में बढ़ोतरी का फैसला सिर्फ 12 घंटे में ही वापस ले लिया। सोमवार रात को फेडरेशन ने सरस घी को 30 रुपए प्रति लीटर महंगा करने की घोषणा की थी, लेकिन मंगलवार सुबह उपभोक्ताओं की तीखी प्रतिक्रिया और बाजार स्थिति की समीक्षा के बाद इसे वापस ले लिया गया। RCDF का यह फैसला उपभोक्ताओं के लिए राहत भरा साबित हुआ, क्योंकि बढ़ोतरी के बाद सरस घी का भाव 581 रुपए प्रति लीटर तक पहुंचने वाला था। हालांकि अब पुराने दाम ही प्रभावी रहेंगे, यानी उपभोक्ताओं को फिलहाल अतिरिक्त खर्च नहीं उठाना पड़ेगा।
जीएसटी कटौती के बाद भी कंपनियों की मनमानी
दरअसल, केंद्र सरकार ने कुछ सप्ताह पहले ही डेयरी उत्पादों पर वस्तु एवं सेवा कर (GST) की दरों में कटौती की थी। 22 सितंबर को केंद्र सरकार ने दूध और उससे बने उत्पादों पर जीएसटी को 12% से घटाकर 5% कर दिया था। वहीं जिन वस्तुओं पर पहले 5% जीएसटी लागू था, उन्हें शून्य जीएसटी श्रेणी में शामिल कर दिया गया। सरकार ने इस कदम को आम जनता को राहत देने वाला निर्णय बताया था, ताकि खाद्य उत्पादों की कीमतें घटें और महंगाई का बोझ कम हो। इसी के बाद RCDF ने भी उपभोक्ताओं को राहत देते हुए सरस घी की कीमतों में 37 रुपए प्रति लीटर की कटौती की थी। उस समय घी का भाव 588 रुपए से घटाकर 551 रुपए किया गया था। लेकिन कुछ ही दिनों बाद जब सरस घी के दामों में अचानक बढ़ोतरी की घोषणा हुई, तो उपभोक्ताओं में असंतोष फैल गया। सोशल मीडिया पर लोगों ने RCDF से सवाल किए कि जब केंद्र सरकार ने कर में कमी की है, तो उपभोक्ताओं पर अतिरिक्त बोझ क्यों डाला जा रहा है।
12 घंटे में हुआ यू-टर्न, उपभोक्ताओं को मिली राहत
सोमवार देर रात RCDF ने सरस घी के दाम बढ़ाने की घोषणा की थी। लेकिन रात भर सोशल मीडिया पर यह मुद्दा चर्चा में बना रहा। कई उपभोक्ता संगठनों ने इसे अनुचित बताया और RCDF से निर्णय पर पुनर्विचार की मांग की। सुबह होते ही फेडरेशन के अधिकारियों ने आपात बैठक बुलाई और बाजार के हालात की समीक्षा की। बैठक में पाया गया कि घी की मांग में अभी कोई असामान्य वृद्धि नहीं हुई है, जबकि स्टॉक भी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है। इस स्थिति में बढ़ोतरी का कोई औचित्य नहीं था। नतीजतन, RCDF ने अपने आदेश को वापस लेने का निर्णय लिया। एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, “हम उपभोक्ताओं के हितों के प्रति प्रतिबद्ध हैं। बाजार की प्रतिक्रिया और उपभोक्ताओं की राय को देखते हुए हमने यह बढ़ोतरी तत्काल प्रभाव से वापस ली है।”
बाजार विश्लेषण: जीएसटी राहत का लाभ उपभोक्ताओं तक नहीं पहुंचा
आर्थिक विशेषज्ञों के अनुसार, जीएसटी दरों में कमी का उद्देश्य उपभोक्ताओं को राहत देना था, लेकिन कई निजी कंपनियों ने इसका लाभ जनता तक नहीं पहुंचाया। उन्होंने अपनी लागत और पैकेजिंग चार्ज बढ़ाकर उत्पादों की एमआरपी (Maximum Retail Price) में बढ़ोतरी कर दी। नतीजतन, घी, तेल, साबुन, नमकीन, बिस्किट, पनीर जैसे उत्पादों की कीमतें फिर से पुराने स्तर पर लौट आईं। उपभोक्ताओं को वास्तविक राहत नहीं मिली। यही स्थिति सरस घी के मामले में भी दिखाई दी, हालांकि RCDF ने जल्द ही अपनी गलती सुधार ली और निर्णय पलट दिया।
राज्य सरकार और RCDF के लिए बड़ी सीख
राजस्थान कोऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन का यह फैसला उपभोक्ता प्रतिक्रिया की ताकत को दर्शाता है। उपभोक्ताओं की नाराजगी और सोशल मीडिया की त्वरित प्रतिक्रिया ने फेडरेशन को अपने निर्णय पर पुनर्विचार करने पर मजबूर कर दिया। आर्थिक विश्लेषकों का कहना है कि यह मामला इस बात का उदाहरण है कि कैसे किसी सार्वजनिक संस्था को मूल्य निर्धारण के समय पारदर्शिता बनाए रखनी चाहिए। दूध और घी जैसे उत्पाद आम जनता की दैनिक जरूरत का हिस्सा हैं, जिनमें मूल्य बढ़ोतरी का सीधा असर परिवार के बजट पर पड़ता है।


