मनीषा शर्मा। राजस्थान में शिक्षा के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक पहल की शुरुआत होने जा रही है। भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली राज्य सरकार ने फैसला लिया है कि प्री-प्राइमरी स्तर से ही संस्कृत को अनिवार्य विषय के रूप में लागू किया जाएगा। यह फैसला लागू होने के बाद राजस्थान देश का पहला राज्य बन जाएगा जहां नन्हे विद्यार्थियों को प्रारंभिक शिक्षा में ही संस्कृत सिखाई जाएगी। शिक्षा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इस दिशा में काम काफी हद तक पूरा हो चुका है और पाठ्यक्रम से लेकर किताबों तक की तैयारी कर ली गई है।
संस्कृत शिक्षा आयुक्त प्रियांका जोधावत ने बताया कि इस संबंध में वर्ष की शुरुआत में ही कैबिनेट को प्रस्ताव भेजा गया था। पाठ्यक्रम का ढांचा तैयार कर लिया गया है और इसके अनुरूप पुस्तकें भी तैयार हो चुकी हैं। कैबिनेट की अंतिम मंजूरी मिलते ही राज्य के प्री-प्राइमरी स्कूलों में संस्कृत की कक्षाएं शुरू कर दी जाएंगी।
यह योजना चरणबद्ध तरीके से लागू होगी। पहले चरण में संस्कृत शिक्षा विभाग के अंतर्गत आने वाले प्री-प्राइमरी स्कूलों में इसे शुरू किया जाएगा। फिलहाल इन स्कूलों में प्री-प्राइमरी कक्षाएं नहीं हैं, लेकिन लगभग 757 प्री-प्राइमरी संस्कृत स्कूल प्रस्तावित किए गए हैं, जो अगले एक महीने में शुरू हो जाएंगे। इन स्कूलों में शुरुआत से ही संस्कृत को अनिवार्य किया जाएगा।
दूसरे चरण में यह व्यवस्था 962 महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम स्कूलों (MGEMS) में लागू होगी। वर्तमान में इन स्कूलों में संस्कृत केवल कक्षा 9 से 12 तक तीसरी भाषा के रूप में वैकल्पिक विषय के रूप में पढ़ाई जाती है। तीसरे चरण में अगले वर्ष से 660 पीएम-श्री स्कूलों की प्री-प्राइमरी कक्षाओं में संस्कृत को शामिल किया जाएगा। अभी इन हिंदी माध्यम और पीएम-श्री स्कूलों में संस्कृत कक्षा 6 से 8 तक अनिवार्य है।
संस्कृत शिक्षा को प्री-प्राइमरी स्तर से जोड़ने के इस अभियान को और प्रभावी बनाने के लिए खासतौर पर किताबें भी तैयार की गई हैं। 28 जून को राज्य स्तरीय “भामाशाह सम्मान समारोह” के दौरान मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने इन पुस्तकों का लोकार्पण किया। राजस्थान राज्य संस्कृत शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान (RSSIERT) द्वारा तैयार इन पुस्तकों को सरल और आकर्षक कॉमिक शैली में डिजाइन किया गया है, ताकि छोटे बच्चे आसानी से जुड़ सकें और सीखने की प्रक्रिया आनंददायक हो।
ये पुस्तकें तीन स्तरों में तैयार की गई हैं — ‘संस्कृतप्रवेशः : बालवाटिका प्रथम वाग्’ (प्री-प्राइमरी प्रथम स्तर), ‘संस्कृतप्रवेशः : बालवाटिका द्वितीय वाग्’ (प्री-प्राइमरी द्वितीय स्तर) और ‘संस्कृतप्रवेशः : बालवाटिका तृतीय वाग्’ (प्री-प्राइमरी तृतीय स्तर)। इनमें बच्चों को संस्कृत की आधारभूत शब्दावली, सरल वाक्य संरचना और प्राथमिक व्याकरण से परिचित कराया जाएगा।


