मनीषा शर्मा। राजस्थान में सुरक्षा एजेंसियों के लिए पाकिस्तान से सटे बॉर्डर पर एक नई चुनौती खड़ी हो गई है। अब तक ड्रोन के जरिए सिर्फ नशे की तस्करी होती रही है, लेकिन एजेंसियों को यह डर सताने लगा है कि अगर ड्रोन से हथियार और विस्फोटक भेजे जाने लगे तो यह देश की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बन सकता है। राजस्थान-पाकिस्तान बॉर्डर करीब 1,050 किलोमीटर लंबा है, जिसमें रेगिस्तानी इलाका, आबादी वाले क्षेत्र और खेती की जमीन शामिल है। यह विविध भौगोलिक स्थिति ड्रोन गतिविधियों की पहचान और निगरानी को और कठिन बना देती है। पिछले कुछ सालों में सुरक्षा एजेंसियों ने राजस्थान में 60 से ज्यादा ड्रोन पकड़े हैं या उनके जरिए गिराए गए नशे के सामान को जब्त किया है। इनमें से अधिकांश मामलों में हेरोइन की तस्करी हुई है। ड्रोन की क्वालिटी, बैटरी लाइफ और पे-लोड क्षमता में तेजी से सुधार हो रहा है, जिससे तस्करों के लिए यह एक कारगर हथियार बन गया है।
बॉर्डर पर नशे की तस्करी से हथियारों की तस्करी का डर
आईजी एटीएस विकास कुमार के अनुसार, पाकिस्तान और अफगानिस्तान क्षेत्र में अफीम की सबसे ज्यादा पैदावार होती है, जिसे हेरोइन में बदलकर भारत भेजा जाता है। पहले पाकिस्तान ने पंजाब और कश्मीर को टारगेट किया, लेकिन अब राजस्थान भी तस्करी का बड़ा रूट बन गया है। पिछले तीन सालों में श्रीगंगानगर और बीकानेर जिलों में ड्रोन से हेरोइन गिराए जाने के 60 से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं। स्थिति और भी चिंताजनक तब हो जाती है जब यह कल्पना की जाए कि इन्हीं ड्रोन का इस्तेमाल हथियारों और विस्फोटकों की सप्लाई के लिए किया जाने लगे। अगर ऐसा हुआ तो सीमावर्ती इलाकों से लेकर पूरे देश की सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा खड़ा हो सकता है।
तकनीक से बढ़ी चुनौती, ड्रोन अब और ताकतवर
पहले जो ड्रोन सिर्फ 2-3 किलो वजन लाने-ले जाने में सक्षम थे, वे अब 10 से 15 किलो तक का सामान उठा सकते हैं। यही नहीं, अब ऐसे ड्रोन भी तस्करों के पास हैं जिनकी आवाज नहीं सुनाई देती और जो सामान्य निगाहों से दिखाई भी नहीं देते। इससे उनका पता लगाना और गिराना बेहद मुश्किल हो जाता है। विकास कुमार ने कहा कि हर दिन ड्रोन की टेक्नॉलॉजी में बदलाव हो रहा है। उनकी स्पीड, पे-लोड क्षमता और रेंज लगातार बढ़ रही है। यही कारण है कि ड्रोन तस्करी का खतरा अब पहले से कहीं ज्यादा बड़ा हो चुका है।
राजस्थान एटीएस और केंद्रीय एजेंसियों की तैयारी
राजस्थान एटीएस और केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियां इस खतरे को भांप चुकी हैं और एंटी-ड्रोन टेक्नॉलॉजी व काउंटर-ड्रोन सिस्टम पर काम कर रही हैं। रेगिस्तान जैसे खुले इलाकों में ड्रोन का पता लगाना कठिन है, लेकिन आधुनिक तकनीक के सहारे इनका मुकाबला करने की तैयारी की जा रही है। विकास कुमार ने बताया कि इस साल ड्रोन से होने वाली तस्करी की घटनाओं में कमी आई है, क्योंकि एजेंसियां लगातार निगरानी कर रही हैं। इसके बावजूद, भविष्य में हथियारों की सप्लाई रोकने के लिए और अधिक सख्त इंतजाम जरूरी होंगे।
2024 में सबसे ज्यादा ड्रोन से हेरोइन तस्करी
राजस्थान में ड्रोन से तस्करी के सबसे ज्यादा मामले साल 2024 में सामने आए। खासकर श्रीगंगानगर बॉर्डर पर पाकिस्तान से ड्रोन की गतिविधियां तेजी से बढ़ीं। 2022 में पहला केस सामने आने के बाद से सुरक्षा एजेंसियां एक्टिव हो गई थीं और बीएसएफ को चौकसी बढ़ाने के निर्देश दिए गए थे। सितंबर 2025 में ही सीमावर्ती इलाकों में ड्रोन से 150 किलो से ज्यादा हेरोइन गिराई गई, जिसे पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों ने जब्त किया। यह आंकड़ा इस बात का सबूत है कि ड्रोन तस्करी कितनी गंभीर समस्या बन चुकी है।


