मनीषा शर्मा। बेंगलुरु में मल्टीनेशनल कंपनी एडोब में 32 लाख के सालाना पैकेज पर काम कर रही सॉफ्टवेयर इंजीनियर हर्षाली कोठारी ने अपने जीवन को धर्म और संयम के मार्ग पर ले जाने का निर्णय लिया है। अजमेर के जैन समाज से जुड़ी हर्षाली, 3 दिसंबर 2024 को सांसारिक जीवन का त्याग कर साध्वी बनने जा रही हैं। उनके इस निर्णय ने समाज में एक नई प्रेरणा और चर्चा का विषय पैदा किया है।
धर्म की ओर झुकाव: कैसे शुरू हुआ यह सफर?
हर्षाली कोठारी, ब्यावर में एक ऑटो मोबाइल बिजनेस फैमिली से ताल्लुक रखती हैं। उनकी शुरुआती पढ़ाई बीएल गोठी पब्लिक स्कूल से हुई और आगे उन्होंने जयपुर के लक्ष्मी निवास मित्तल कॉलेज से 2017-18 में कंप्यूटर साइंस में बीटेक पूरा किया।
मई 2018 में हर्षाली को बेंगलुरु में एडोब में सॉफ्टवेयर इंजीनियर के तौर पर नौकरी मिली। यहां उनका करियर शानदार तरीके से आगे बढ़ रहा था। लेकिन कोरोना काल में वर्क फ्रॉम होम के दौरान, उन्होंने जैन संत आचार्य रामलाल महाराज के चातुर्मास प्रवचनों में हिस्सा लिया।
हर्षाली के अनुसार, इन प्रवचनों ने उन्हें जीवन और सुख-दुख के गहरे अर्थों पर सोचने के लिए प्रेरित किया। उनके मन में सवाल उठे:
- “यह जीवन क्यों मिला?”
- “मैं क्या कर रही हूं?”
- “मुझे जीवन में क्या पाना है?”
इन्हीं सवालों का जवाब तलाशते हुए उन्होंने संयम पथ पर चलने का निर्णय लिया।
मां से साझा किया दिल का हाल
हर्षाली की मां उषा कोठारी के अनुसार, हर्षाली ने एक दिन उनसे कहा, “मुझे पैसों में सुख नहीं मिल रहा है। मैं नौकरी छोड़कर संयम मार्ग अपनाना चाहती हूं।”
शुरुआत में परिवार के लोगों ने उन्हें समझाने की कोशिश की। लेकिन जब हर्षाली अपने निर्णय पर अडिग रहीं, तो परिवार ने उनके सुख और संतोष को प्राथमिकता देते हुए अनुमति दे दी।
उषा कोठारी ने कहा:
“दुख जरूर है कि हमारी बेटी हमसे दूर जा रही है, लेकिन उसका सुख देखकर हम संतोष कर रहे हैं।”
बचपन से ही होशियार और संस्कारवान
हर्षाली बचपन से ही पढ़ाई में अव्वल रही हैं। उनके चचेरे भाई हनी डाबरिया ने बताया कि उन्होंने 10वीं और 12वीं में टॉप किया था। परिवार और समाज में उनकी होशियारी और संस्कारों के लिए वे हमेशा से सराही जाती रही हैं।
अजमेर में निकला वरघोड़ा
संयम पथ की तैयारी के तहत 17 नवंबर 2024 को अजमेर में हर्षाली का वरघोड़ा निकाला गया। यह वरघोड़ा अरिहंत कॉलोनी से शुरू होकर स्वाध्याय भवन तक पहुंचा।
बैंड-बाजों के साथ निकाले गए इस कार्यक्रम में जैन समाज के लोगों ने बड़ी संख्या में भाग लिया। हर्षाली की बुआ, किरण डाबरिया, जो अजमेर में रहती हैं, की इच्छा पर यह कार्यक्रम आयोजित किया गया।
संदेश: अंदर की दुनिया को जानने का प्रयास करें
हर्षाली ने संयम पथ पर चलने के अपने निर्णय के बारे में कहा:
“हमारी बाहरी दुनिया जितनी अच्छी लगती है, उससे भी बड़ी और गहरी हमारी अंदर की दुनिया है। हमें अपनी भागदौड़ भरी जिंदगी में कुछ समय आत्मचिंतन के लिए जरूर निकालना चाहिए। इससे हमें अपने जीवन का सही अर्थ समझने का अवसर मिलेगा।”
उन्होंने यह भी कहा कि अगर इंसान अपनी आत्मा के सुख को नहीं समझता, तो उसका जीवन व्यर्थ है।
“जानवर की तरह जन्मे और मर गए, तो मनुष्य जन्म का कोई महत्व नहीं रह जाएगा।”
32 लाख का पैकेज और साध्वी बनने का निर्णय
हर्षाली का सालाना 32 लाख का पैकेज, एक स्थिर करियर, और चमकदार भविष्य छोड़कर संयम मार्ग पर जाना दिखाता है कि जीवन का असली सुख केवल धन या भौतिक वस्तुओं में नहीं है।
परिवार की प्रतिक्रिया
परिवार के लिए यह निर्णय आसान नहीं था।
हर्षाली की मां ने कहा:“हमें अपनी बेटी के इस निर्णय से दुख जरूर हुआ, लेकिन उसका जीवन सुखमय हो, यही हमारी कामना है।”
समाज के लिए प्रेरणा
हर्षाली की कहानी इस बात का उदाहरण है कि आज की युवा पीढ़ी भौतिक सुख-सुविधाओं से परे आत्मचिंतन और जीवन के गहरे अर्थों को समझने की ओर बढ़ रही है। यह निर्णय कई लोगों को अपनी जिंदगी के उद्देश्य पर पुनर्विचार करने के लिए प्रेरित कर सकता है।
संयम पथ पर आगे का सफर
3 दिसंबर 2024 को हर्षाली, आचार्य रामलाल महाराज के सान्निध्य में साध्वी दीक्षा लेंगी। इसके बाद वे सांसारिक जीवन को छोड़कर पूरी तरह से धर्म के मार्ग पर चलेंगी।