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संत दुर्लभजी अस्पताल में हंगामा: मंत्री किरोड़ीलाल मीणा पहुंचे

संत दुर्लभजी अस्पताल में हंगामा: मंत्री किरोड़ीलाल मीणा पहुंचे

मनीषा शर्मा।  राजस्थान की राजधानी जयपुर के प्रसिद्ध संत दुर्लभजी अस्पताल में रविवार को बड़ा विवाद खड़ा हो गया, जब एक मृतक के परिजनों ने अस्पताल प्रशासन पर बकाया बिल के चलते शव रोकने का गंभीर आरोप लगाया। मामला सामने आने के बाद राज्य के कृषि मंत्री किरोड़ीलाल मीणा खुद मौके पर पहुंचे और अस्पताल प्रशासन से कड़ी नाराजगी जताई। उन्होंने अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज करने के निर्देश भी दिए।

दौसा के विक्रम का शव रोकने पर भड़के मंत्री

जानकारी के अनुसार, यह पूरा मामला दौसा जिले के बालाजी थाना क्षेत्र का है। मृतक विक्रम को 13 अक्टूबर को संत दुर्लभजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। परिजनों ने बताया कि भर्ती के बाद इलाज के दौरान अस्पताल को अब तक 6 लाख 39 हजार रुपये का भुगतान किया गया था। बावजूद इसके, ऑपरेशन के बाद विक्रम की मृत्यु होने पर अस्पताल प्रशासन ने शव देने से इनकार कर दिया।

अस्पताल का कहना था कि अभी 1 लाख 79 हजार रुपये का बिल बकाया है, जब तक यह राशि जमा नहीं की जाती, शव नहीं सौंपा जाएगा। परिजनों ने इसकी शिकायत कृषि मंत्री किरोड़ीलाल मीणा से की। शिकायत पर रविवार सुबह मंत्री स्वयं अस्पताल पहुंचे और प्रशासन से जवाब तलब किया।

मंत्री मीणा ने कहा, “इस अस्पताल को सरकार ने मात्र एक रुपये में जमीन दी थी ताकि आमजन को राहत मिले, लेकिन अब यही अस्पताल लोगों से शव के बदले पैसे मांग रहा है। यह बेहद शर्मनाक है।”

अस्पताल के रवैये पर मंत्री ने जताई नाराजगी

मंत्री के अस्पताल पहुंचने के बाद ही प्रशासन ने मृतक का शव देने की अनुमति दी। इस पर मंत्री ने नाराजगी जताते हुए कहा कि “अगर अस्पताल को किसी का बकाया चाहिए तो उसके लिए कानूनी प्रक्रिया है, लेकिन शव रोकना अमानवीय कृत्य है।”

उन्होंने मौके पर मौजूद पुलिस अधिकारियों को अस्पताल प्रशासन के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करने के निर्देश दिए। मंत्री मीणा ने कहा कि यह घटना न केवल अस्पताल की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाती है, बल्कि यह सरकार की जनकल्याण योजनाओं को भी बदनाम करने का प्रयास है।

परिजनों का आरोप—”शव से बदबू आने लगी थी”

विक्रम के परिजनों ने आरोप लगाया कि उन्हें शव देखने की अनुमति भी देर से दी गई। उन्होंने बताया कि “जब हमने अस्पताल प्रशासन पर दबाव बनाया, तब जाकर हमें शव दिखाया गया। उस समय बॉडी से बदबू आ रही थी। हमें शक है कि विक्रम की मौत कई घंटे पहले ही हो चुकी थी।”

बालाजी थाना पुलिसकर्मी गोविंद सिंह, जो शव लेने अस्पताल पहुंचे थे, ने बताया कि वे शनिवार शाम 7 बजे अस्पताल पहुंचे थे, लेकिन डॉक्टर विजयन्त शर्मा ने बकाया बिल का हवाला देकर शव देने से मना कर दिया।

अन्य अस्पतालों में भी शिकायतें सामने आईं

इस घटना के बाद मंत्री मीणा को ऐसे कई अन्य मामलों की शिकायतें भी मिलीं। उन्होंने बताया कि हाल ही में अपेक्स हॉस्पिटल में भर्ती मोनू मीणा से सिर्फ 24 घंटे में साढ़े आठ लाख रुपये का बिल लिया गया। वहीं, महात्मा गांधी अस्पताल में भर्ती काजल का लाखों रुपये का बिल बनाया गया।

इसके अलावा, हनुमानगढ़ जिला प्रमुख कविता मेघवाल भी मंत्री मीणा से मिलने पहुंचीं। उन्होंने बताया कि उनकी बहू कौशल्या भाटिया अस्पताल में भर्ती हैं और वहां भी 6 लाख रुपये से अधिक का बिल बना दिया गया है।

मंत्री मीणा बोले—”यह सरकार को बदनाम करने की साजिश”

इन मामलों पर प्रतिक्रिया देते हुए कृषि मंत्री किरोड़ीलाल मीणा ने कहा कि इन सभी मरीजों को राजस्थान सरकार की ‘मां योजना’ से जोड़ा जाना चाहिए था। इस योजना के तहत गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों को मुफ्त इलाज का लाभ दिया जाता है।

उन्होंने आरोप लगाया कि “अस्पताल जानबूझकर इन मरीजों को योजना से लिंक नहीं कर रहे हैं, ताकि वे अधिक शुल्क वसूल सकें। सरकार इलाज का पूरा खर्च दे रही है, लेकिन निजी अस्पताल मरीजों को योजना से दूर रखकर सरकार को बदनाम करने की साजिश कर रहे हैं।”

मामले में होगी कार्रवाई

मंत्री मीणा ने कहा कि इस तरह के मामलों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने संबंधित विभागों को निर्देश दिए कि जो भी निजी अस्पताल ‘मां योजना’ के तहत पात्र मरीजों को लाभ नहीं दे रहे हैं, उनकी मान्यता रद्द करने की कार्रवाई की जाए।

उन्होंने यह भी कहा कि राज्य सरकार जल्द ही निजी अस्पतालों की बिलिंग व्यवस्था की जांच के लिए विशेष कमेटी गठित करेगी, ताकि इस प्रकार के घटनाक्रम दोबारा न हों।

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