शोभना शर्मा। राजस्थान में शिक्षा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, शिक्षा मंत्री श्री मदन दिलावर ने बुधवार को राज्य स्तरीय कार्यक्रम में आरटीई (निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम) लॉटरी 2025 की शुरुआत की। इस अवसर पर शिक्षा संकुल परिसर के सभागार में एक सादे समारोह का आयोजन किया गया, जिसमें उन्होंने ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से लॉटरी बटन पर क्लिक कर चयन प्रक्रिया का उद्घाटन किया। शैक्षिक सत्र 2025-26 के लिए आरटीई की इस लॉटरी के माध्यम से राज्य के 34,799 गैर-सरकारी विद्यालयों में 3,08,064 विद्यार्थियों को नि:शुल्क दाखिले के लिए चुना गया है। इनमें 1,61,816 बालक, 1,46,241 बालिकाएं और 7 थर्ड जेंडर विद्यार्थी शामिल हैं।
ऑनलाइन पोर्टल पर उपलब्ध है वरीयता क्रम
शिक्षा विभाग की ओर से बताया गया है कि जिन अभिभावकों ने आवेदन किया था, वे अब अपने बच्चे की वरीयता सूची पोर्टल http://www.rajpsp.nic.in पर जाकर देख सकते हैं। लॉगिन के लिए उन्हें केवल आवेदन आईडी और मोबाइल नंबर की आवश्यकता होगी। पोर्टल के होम पेज पर ‘अभ्यार्थी प्राथमिकता क्रम’ टैब पर जाकर अभिभावक यह देख सकते हैं कि उनके बच्चे को किस क्रम में वरीयता मिली है और किन-किन विद्यालयों में मौका मिला है।
रिपोर्टिंग और दस्तावेज सत्यापन की प्रक्रिया
शासन सचिव श्री कृष्ण कुणाल ने जानकारी दी कि चयनित विद्यार्थियों के अभिभावक 9 अप्रैल से 15 अप्रैल 2025 के बीच वरीयता के अनुसार विद्यालयों में रिपोर्टिंग कर सकते हैं। इसके पश्चात 21 अप्रैल 2025 तक दस्तावेजों का सत्यापन किया जाएगा। दस्तावेजों की पुष्टि होने के बाद बच्चों का प्रवेश सुनिश्चित हो जाएगा।
गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की दिशा में बड़ा कदम
शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने चयनित सभी विद्यार्थियों और उनके अभिभावकों को हार्दिक शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार और शिक्षा विभाग दोनों प्रतिबद्ध हैं कि समाज के वंचित और अल्पआय वर्ग के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध हो। उन्होंने बताया कि शिक्षा विभाग जल्द ही एक नया पोर्टल लॉन्च करेगा, जिसमें आरटीई से जुड़े सभी परिवाद और शिकायतें दर्ज की जा सकेंगी। यह पोर्टल पारदर्शिता सुनिश्चित करेगा और शिकायतों का त्वरित निस्तारण करेगा।
तीन साल से अधिक आवेदन, लगातार बढ़ रही भागीदारी
शिक्षा विभाग के आंकड़ों के अनुसार, इस बार आरटीई के अंतर्गत रिकॉर्ड 3 लाख से अधिक आवेदन प्राप्त हुए हैं। यह पिछले वर्षों की तुलना में कहीं अधिक है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि समाज के पिछड़े और वंचित वर्गों में शिक्षा के प्रति जागरूकता तेजी से बढ़ रही है। विभाग का मानना है कि आने वाले वर्षों में यह आंकड़ा और बढ़ सकता है, जिससे शिक्षा की पहुंच और मजबूत होगी।
वरिष्ठ अधिकारियों की मौजूदगी
इस कार्यक्रम में राज्य परियोजना निदेशक एवं आयुक्त श्रीमती अनुपमा जोरवाल, निदेशक प्रारंभिक शिक्षा श्री सीताराम जाट और अतिरिक्त राज्य परियोजना निदेशक श्री सुरेश कुमार बुनकर सहित कई अधिकारी उपस्थित रहे। सभी ने चयन प्रक्रिया की पारदर्शिता की सराहना की और तकनीकी प्रणाली के सफल संचालन के लिए टीम को बधाई दी।