मनीषा शर्मा। राजस्थान लोक सेवा आयोग (RPSC) ने प्रतियोगी परीक्षाओं की शुचिता सुनिश्चित करने और फर्जी या डमी उम्मीदवारों की पहचान के लिए एक अनूठी पहल शुरू की है। इसके तहत, ऐसे उम्मीदवार जो 10वीं कक्षा से लेकर स्नातकोत्तर (PG) तक लगातार तृतीय श्रेणी (थर्ड डिवीजन) में पास हुए हैं, उनकी गहन जांच की जाएगी। आयोग ने प्रदेश के सभी विभागों को निर्देशित किया है कि वे इन उम्मीदवारों की सूची तैयार करें और आवश्यकतानुसार RPSC को सौंपें।
शैक्षणिक रिकॉर्ड का गहन परीक्षण अनिवार्य
आयोग ने यह स्पष्ट कर दिया है कि दस्तावेज सत्यापन के दौरान केवल शैक्षणिक योग्यता की पुष्टि करना पर्याप्त नहीं होगा। अब, शैक्षणिक रिकॉर्ड के सतत विश्लेषण पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। यदि कोई उम्मीदवार अपनी शिक्षा के विभिन्न चरणों में औसत से कम प्रदर्शन करता रहा है और फिर प्रतियोगी परीक्षा में असाधारण प्रदर्शन करता है, तो इसे संदिग्ध माना जाएगा।
आयोग का मानना है कि ऐसे मामलों में गहराई से जांच करना यह सुनिश्चित करेगा कि परीक्षा प्रक्रिया की शुचिता कहीं से प्रभावित न हो। इसके लिए विभागीय अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि वे उम्मीदवार के शैक्षणिक रेखा चित्र (ट्रेल) की पूरी जानकारी जुटाएं और देखें कि क्या किसी स्तर पर गड़बड़ी की संभावना है।
उच्च स्तरीय समिति से होगी जांच
यदि दस्तावेज सत्यापन के दौरान कोई उम्मीदवार संदिग्ध पाया जाता है, तो उसकी जांच एक उच्च स्तरीय समिति से कराई जाएगी। यह समिति संबंधित विभागों की ओर से बनाई जाएगी और पूरी प्रक्रिया में सतर्कता और पारदर्शिता सुनिश्चित की जाएगी। समिति के निष्कर्षों को RPSC को भी प्रस्तुत करना अनिवार्य होगा, जिससे अंतिम निर्णय लिया जा सके।
प्रशिक्षित टीम करेगी दस्तावेज सत्यापन
दस्तावेज सत्यापन के लिए विभागों को विशेष निर्देश दिए गए हैं कि वे अनुभवी और प्रशिक्षित अधिकारियों की टीम तैयार करें। प्रत्येक टीम में चार सदस्यों का होना अनिवार्य है, जिसमें से दो राजपत्रित और दो अराजपत्रित अधिकारी होंगे। इसके अलावा, टीम को दस्तावेज जांच की विधि और तकनीकी पहलुओं की विस्तृत ट्रेनिंग दी जाएगी।
विशेष दस्तावेजों की कड़ी जांच
आयोग ने कहा है कि केवल शैक्षणिक प्रमाण पत्र ही नहीं, बल्कि अन्य दस्तावेजों जैसे खेल प्रमाण पत्र, दिव्यांगता प्रमाण पत्र, जाति प्रमाण पत्र आदि की भी विशेष जांच की जाएगी। खेल और दिव्यांग प्रमाण पत्रों पर खास नजर रखी जाएगी, ताकि किसी प्रकार की फर्जीवाड़े की संभावना को रोका जा सके।
दस्तावेज सत्यापन की विस्तृत प्रक्रिया
दस्तावेज सत्यापन में यह सुनिश्चित किया जाएगा कि प्रत्येक प्रमाण पत्र का मूल से मिलान हो। आयोग ने यह भी कहा है कि दस्तावेज सत्यापन प्रक्रिया में लगे कर्मचारियों को मास्टर ट्रेनर द्वारा प्रशिक्षित किया जाएगा, ताकि सत्यापन में किसी प्रकार की गलती न हो।
आयोग की दृष्टि में नवाचार का महत्व
RPSC के इस कदम का उद्देश्य केवल फर्जी उम्मीदवारों को रोकना ही नहीं, बल्कि यह भी सुनिश्चित करना है कि योग्य और वास्तविक उम्मीदवारों को ही सरकारी सेवाओं में अवसर मिले। यह पहल न केवल परीक्षा प्रक्रिया को निष्पक्ष बनाएगी, बल्कि चयनित उम्मीदवारों की विश्वसनीयता भी सुनिश्चित करेगी।
आयोग ने विभागों से यह भी अपेक्षा की है कि वे पहले से ही शैक्षणिक और प्रशैक्षणिक योग्यताओं का स्पष्ट निर्धारण करें। इससे दस्तावेज सत्यापन प्रक्रिया के दौरान किसी प्रकार के संदेह की गुंजाइश नहीं रहेगी।