शोभना शर्मा। राजस्थान लोक सेवा आयोग (RPSC) ने कॉलेज शिक्षा विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती से जुड़े नियमों में बड़ा बदलाव कर दिया है। अब किसी भी उम्मीदवार को सरकारी कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर बनने के लिए लिखित परीक्षा में न्यूनतम अंकों की सीमा पार करनी होगी। आयोग ने साफ कर दिया है कि लिखित परीक्षा में कम से कम 40% अंक प्राप्त करने वाले अभ्यर्थी ही भर्ती प्रक्रिया में सफल माने जाएंगे। वहीं, अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST) और अन्य आरक्षित वर्गों को इसमें 5% की छूट दी गई है।
क्यों किए गए नियमों में बदलाव?
दरअसल, बीते वर्षों की भर्ती प्रक्रिया में कई विवाद सामने आए। 2020 और 2023 की असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती में ऐसे कई उम्मीदवारों का चयन किया गया, जिन्होंने 10% से भी कम अंक हासिल किए थे। उदाहरण के तौर पर, कुछ अभ्यर्थियों को 224 अंकों में से केवल 16.97 (7.58%) और 21.81 (9.74%) अंक मिले, फिर भी उन्हें सफल घोषित कर इंटरव्यू के लिए बुलाया गया। यहां तक कि एक उम्मीदवार ने 200 में से सिर्फ 7.80 अंक (यानी 4% से भी कम) प्राप्त किए और चयन प्रक्रिया में शामिल हुआ। इन घटनाओं ने भर्ती प्रक्रिया की पारदर्शिता और मेरिट पर सवाल खड़े कर दिए। यही वजह है कि आयोग ने अब न्यूनतम क्वालीफाइंग अंक का नया नियम लागू किया है।
नया नियम क्या कहता है?
आरपीएससी ने 18 सितंबर 2025 को जारी आधिकारिक नोटिस में स्पष्ट किया है कि असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती के लिए लिखित परीक्षा में न्यूनतम अंक प्राप्त करना अनिवार्य होगा।
लिखित परीक्षा में न्यूनतम अंक: सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों को कम से कम 40% अंक प्राप्त करने होंगे।
पेपरवार न्यूनतम अंक: प्रत्येक पेपर में उम्मीदवार को कम से कम 36% अंक लाने होंगे।
आरक्षित वर्ग को छूट: SC-ST समेत आरक्षित वर्गों को न्यूनतम अंकों में 5% की छूट मिलेगी। यानी उन्हें 35% अंक लाने होंगे।
इसका सीधा मतलब है कि यदि कोई उम्मीदवार निर्धारित प्रतिशत से कम अंक प्राप्त करता है तो उसे भर्ती प्रक्रिया में अयोग्य मान लिया जाएगा और इंटरव्यू के लिए भी नहीं बुलाया जाएगा।
इंटरव्यू राउंड में भी लागू होंगे नियम
नए नियमों के मुताबिक लिखित परीक्षा और इंटरव्यू के अंकों को जोड़कर मेरिट लिस्ट तैयार की जाएगी। लेकिन लिखित परीक्षा में न्यूनतम अंक न पाने वाले अभ्यर्थियों को इंटरव्यू के लिए बुलाया ही नहीं जाएगा। परीक्षा 200 अंकों की होती है और इसका स्पष्ट अर्थ है कि किसी भी उम्मीदवार को कम से कम 80 अंक प्राप्त करने होंगे।
आरक्षित वर्ग और विशेष छूट
आरपीएससी ने नोटिस में यह भी स्पष्ट किया है कि आरक्षित वर्गों को न्यूनतम अंकों में छूट दी जाएगी।
SC-ST वर्ग के उम्मीदवारों को न्यूनतम 35% अंक लाने होंगे।
विधवा महिलाएं, पूर्व सैनिक और कुछ विशेष श्रेणियों के लिए राजस्थान सिविल सेवा नियम 1988 और 2018 के अनुसार रियायत मिलेगी।
विवाद क्यों हुआ था पहले?
2020 और 2023 की भर्तियों में कई उम्मीदवार बेहद कम अंकों के साथ चयनित हुए। यह स्थिति विशेषकर आरक्षित वर्ग और विशेष श्रेणियों के अभ्यर्थियों में ज्यादा देखी गई। जनरल कैटेगरी की विधवा महिलाओं और पूर्व कर्मचारियों को भी न्यूनतम अंकों की बाध्यता न होने के कारण लाभ मिला।
उदाहरण के लिए, 224 में से केवल 21 अंक लाने वाले उम्मीदवार को भी इंटरव्यू राउंड तक पहुंचने का मौका मिला। इस पर शिक्षाविदों और उम्मीदवारों ने सवाल उठाए कि इतनी कम योग्यता के बावजूद प्रोफेसर बनने वाले छात्रों की गुणवत्ता और शिक्षा व्यवस्था पर गंभीर असर पड़ सकता है।
अब क्या होगा असर?
नए नियम लागू होने से भर्ती प्रक्रिया अधिक पारदर्शी और निष्पक्ष मानी जाएगी। इससे उम्मीदवारों में तैयारी को लेकर गंभीरता बढ़ेगी और योग्य अभ्यर्थियों को ही मौका मिलेगा।
योग्य उम्मीदवारों को बढ़त: अब केवल वे उम्मीदवार चयनित होंगे जो लिखित परीक्षा में निर्धारित न्यूनतम अंक ला सकेंगे।
भर्ती विवादों में कमी: भविष्य में कम अंक लाने वालों के चयन पर विवाद नहीं होगा।
शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार: कॉलेजों में उच्च शिक्षा की गुणवत्ता बेहतर होगी क्योंकि शिक्षक मेरिट के आधार पर नियुक्त होंगे।


