मनीषा शर्मा। भांकरोटा, जयपुर में हुए एलपीजी टैंकर ब्लास्ट से घायल मरीजों को एसएमएस अस्पताल के बर्न वार्ड में भर्ती किया गया है। हादसे के बाद से मरीजों के स्वास्थ्य को लेकर गंभीर चिंताएं उठ रही हैं। बर्न वार्ड में भर्ती मरीजों को इंफेक्शन का खतरा तेजी से बढ़ रहा है। इस समस्या के पीछे दो प्रमुख कारण सामने आए हैं: पहला, वीआईपी मूवमेंट और दूसरा, अस्पताल में बिस्तरों की चादर नियमित रूप से नहीं बदली जा रही है।
वीआईपी मूवमेंट बना परेशानी का कारण
मरीजों की सुरक्षा पर असर:
घायल मरीजों का हालचाल जानने के लिए अस्पताल में अब तक 10 से अधिक मंत्री, विधायक और अन्य वीआईपी नेता पहुंच चुके हैं। इनके साथ उनका स्टाफ भी बर्न वार्ड के आसपास मौजूद रहता है। वार्ड में आने-जाने वाले इन वीआईपी मेहमानों और उनके कर्मचारियों की भीड़ से संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ गया है। डॉक्टर्स ने इसे देखते हुए अब वीआईपी लोगों को वार्ड में प्रवेश न करने की सलाह दी है।
डॉक्टर्स की अपील:
डॉक्टर्स का कहना है कि मरीजों की हालत गंभीर है और उन्हें संक्रमण से बचाने के लिए अधिक सतर्कता बरतने की आवश्यकता है। अस्पताल प्रशासन ने निर्देश दिया है कि वार्ड के अंदर गैर-आवश्यक मूवमेंट को पूरी तरह से रोका जाए।
चादरें न बदलने की शिकायत
मरीजों और परिजनों की समस्याएं:
मरीजों के परिजनों ने अस्पताल प्रशासन और उपमुख्यमंत्री दीया कुमारी से शिकायत की कि बर्न वार्ड में बिस्तरों की चादरें बहुत गंदी हैं और उन्हें समय पर नहीं बदला जा रहा। बर्न मरीजों के शरीर से लगातार रिसाव होता है, जिससे साफ-सफाई का ध्यान रखना बेहद जरूरी हो जाता है।
उपमुख्यमंत्री का हस्तक्षेप:
इस शिकायत पर उपमुख्यमंत्री दीया कुमारी ने अस्पताल प्रशासन और संबंधित डॉक्टर्स को तुरंत एक्शन लेने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि मरीजों की स्वास्थ्य सुरक्षा में किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
अधीक्षक की सफाई: दिन में तीन बार ड्रेसिंग की जा रही है
ड्रेसिंग और सफाई की व्यवस्था:
एसएमएस अस्पताल के अधीक्षक डॉक्टर सुशील भाटी ने चादर न बदलने की शिकायत पर सफाई देते हुए कहा कि मरीजों की हालत को देखते हुए बिस्तरों की बैडशीट नियमित रूप से बदली जा रही है। उन्होंने बताया कि बर्न मरीजों के घावों से रिसाव होने के कारण दिन में दो से तीन बार ड्रेसिंग करनी पड़ रही है।
स्वच्छता के लिए अतिरिक्त इंतजाम:
डॉ. भाटी ने कहा कि राउंड द क्लॉक सफाई सुनिश्चित करने के लिए तीन-चार स्वीपर तैनात किए गए हैं। हालांकि, उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि कुछ शिकायतें वाजिब हैं और उन पर ध्यान दिया जा रहा है।
संक्रमण रोकने के लिए आवश्यक कदम
डॉक्टर्स का नजरिया:
डॉक्टर्स का कहना है कि बर्न मरीजों को संक्रमण से बचाने के लिए न केवल वार्ड की साफ-सफाई पर ध्यान देना जरूरी है, बल्कि वीआईपी मूवमेंट को भी नियंत्रित करना होगा। मरीजों को संक्रमण से बचाने के लिए वार्ड के आसपास की जगहों को बार-बार सेनिटाइज किया जा रहा है।
परिजनों की भूमिका:
मरीजों के परिजनों को भी निर्देश दिए गए हैं कि वे वार्ड में अनावश्यक रूप से भीड़ न लगाएं और संक्रमण के खतरे को कम करने के लिए अस्पताल के दिशा-निर्देशों का पालन करें।