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स्कूलों में मोबाइल और नमाज पर पाबंदी से बेहतर हुआ रिजल्ट: शिक्षा मंत्री

स्कूलों में मोबाइल और नमाज पर पाबंदी से बेहतर हुआ रिजल्ट: शिक्षा मंत्री

शोभना शर्मा।   राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (RBSE) द्वारा वर्ष 2025 की 10वीं कक्षा का परीक्षा परिणाम हाल ही में घोषित किया गया, जिसमें इस बार का पास प्रतिशत 93.60% रहा। इस शानदार परिणाम के बाद राज्य के स्कूली शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने एक बड़ा और विवादास्पद बयान दिया है। उन्होंने दावा किया है कि सरकारी स्कूलों में मोबाइल फोन और स्कूल समय में नमाज व अन्य धार्मिक क्रियाओं पर लगाई गई रोक के चलते ही इस वर्ष बोर्ड परिणामों में उल्लेखनीय सुधार देखने को मिला है।

शिक्षा मंत्री ने बताया नवाचार का असर

मदन दिलावर ने कहा, “पहले स्कूल टाइम में शिक्षक मोबाइल फोन पर बात करते रहते थे और कई बार पूजा-पाठ या नमाज के लिए क्लास छोड़ देते थे। हमने इन गतिविधियों पर रोक लगाई। इससे बच्चों पर ध्यान केंद्रित हुआ और परिणाम बेहतर आए।” उन्होंने बताया कि इन बदलावों के पीछे राज्य सरकार की शिक्षा में गुणवत्ता सुधार की नीति है।

मोबाइल और धार्मिक गतिविधियों पर सख्ती

शिक्षा मंत्री ने कहा कि पहले शिक्षक स्कूल टाइम में निजी कार्यों में लगे रहते थे। मोबाइल पर बात करना और धार्मिक गतिविधियों के लिए स्कूल से बाहर जाना आम बात थी, जिससे बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होती थी। सरकार ने इन गतिविधियों को प्रतिबंधित किया और शिक्षकों को सख्ती से क्लास में ही रहने का निर्देश दिया। उन्होंने इसे शिक्षा में अनुशासन और समर्पण का नतीजा बताया।

2025 का रिजल्ट: 93.60% पास, बेटियों ने मारी बाजी

राजस्थान बोर्ड की ओर से जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार इस बार कुल 10,94,186 परीक्षार्थियों ने पंजीकरण कराया था, जिनमें से 10,71,460 छात्र-छात्राओं ने परीक्षा दी। कुल परिणाम 93.60% रहा। छात्राओं का प्रदर्शन इस बार छात्रों से बेहतर रहा। लड़कियों का पास प्रतिशत 94.08% जबकि लड़कों का पास प्रतिशत 93.16% रहा। फर्स्ट डिवीजन में पास होने वाले छात्रों की संख्या भी प्रभावशाली रही—5,75,554 में से 2,69,141 लड़के और 5,18,632 में से 2,77,229 लड़कियां प्रथम श्रेणी से पास हुईं।

कोरोना काल से अब तक कैसे रहे परिणाम

RBSE ने पिछले पांच वर्षों के आंकड़े भी साझा किए हैं, जिससे परीक्षा परिणामों की प्रवृत्ति को समझा जा सकता है:

  • वर्ष 2025 – 93.60%

  • वर्ष 2024 – 93.04%

  • वर्ष 2023 – 90.49%

  • वर्ष 2022 – 82.89%

  • वर्ष 2021 – 99.56% (कोविड-19 के कारण प्रमोशन आधारित रिजल्ट)

  • वर्ष 2020 – 80.63%

इन आंकड़ों से यह स्पष्ट है कि वर्ष 2022 के बाद से लगातार बोर्ड परीक्षाओं में सुधार देखा जा रहा है, जिसमें सरकार की सख्त नीतियों और स्कूलों में अनुशासन का अहम योगदान बताया जा रहा है।

एकल पाली में संपन्न हुई परीक्षा

इस वर्ष 10वीं बोर्ड परीक्षा 6 मार्च से 4 अप्रैल तक एकल पाली (सिंगल शिफ्ट) में आयोजित की गई। परीक्षा प्रक्रिया पूरी तरह से सुचारु और पारदर्शी रही। शिक्षा विभाग ने नकल और अनुशासनहीनता पर रोक लगाने के लिए कड़े निर्देश दिए थे।

नवाचारों के परिणामस्वरूप सरकारी स्कूलों की छवि में सुधार

मदन दिलावर ने यह भी कहा कि सरकार के निरंतर प्रयासों के चलते सरकारी स्कूलों की छवि में सकारात्मक बदलाव आया है। शिक्षक अब ज्यादा जिम्मेदारी से पढ़ा रहे हैं और छात्रों का रिजल्ट यह दर्शाता है कि सुधार का असर ज़मीनी स्तर पर हुआ है।

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