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अजमेर के जेल प्रशिक्षण संस्थान में धार्मिक अनुष्ठान

अजमेर के जेल प्रशिक्षण संस्थान में धार्मिक अनुष्ठान

मनीषा शर्मा। अजमेर के घूघरा स्थित जेल प्रशिक्षण संस्थान (JTI) में एक आध्यात्मिक और धार्मिक आयोजन संपन्न हुआ, जिसमें 150 से अधिक प्रशिक्षु एवं स्टाफ सदस्यों ने भाग लिया। यह विशेष आयोजन महाकुंभ, प्रयागराज के पवित्र संगम जल के विसर्जन और उसमें डुबकी लगाने से जुड़ा था। वैदिक मंत्रोच्चार और विधिवत पूजा-पाठ के साथ इस जल को संस्थान के कुंड में प्रवाहित किया गया, जिसके बाद सभी प्रशिक्षुओं ने उसमें स्नान कर आध्यात्मिक शुद्धि का अनुभव किया।

संस्थान के प्राचार्य पारस जांगिड और प्रशिक्षकगण हाल ही में प्रयागराज के महाकुंभ में शामिल हुए थे। वहां उन्होंने पवित्र त्रिवेणी संगम में आस्था की डुबकी लगाई और संगम तट से कलश में पवित्र जल भरकर अजमेर लौटे। इस जल को JTI के परिसर में विधिपूर्वक कुंड में प्रवाहित किया गया, जिससे संस्थान के सभी प्रशिक्षु इस पवित्र अनुभव का हिस्सा बन सकें।

वैदिक मंत्रों के साथ संपन्न हुआ जल विसर्जन

आयोजन के दौरान धार्मिक रीति-रिवाजों का पूर्ण पालन किया गया। पवित्र जल को कुंड में प्रवाहित करने से पहले विधिवत पूजा-अर्चना और वैदिक मंत्रोच्चार किया गया। प्रशिक्षु और स्टाफ सदस्य पूरे आयोजन के दौरान श्रद्धा और भक्ति के भाव में डूबे नजर आए। जल विसर्जन के बाद सभी प्रशिक्षु वन रक्षक एवं स्टाफ सदस्य इस पवित्र जल में उतरे और धार्मिक परंपराओं के अनुसार आस्था की डुबकी लगाई।

आध्यात्मिकता और प्रशिक्षण का अनूठा समावेश

JTI के प्राचार्य पारस जांगिड ने इस आयोजन के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि महाकुंभ केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, संस्कार और आध्यात्मिक ऊर्जा का संगम है। उन्होंने बताया कि प्रशिक्षुओं के लिए यह जल स्नान केवल एक धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि शारीरिक, मानसिक और आत्मिक शुद्धि का एक अनूठा अवसर भी था।

इस आयोजन का उद्देश्य प्रशिक्षुओं को केवल अनुशासन और प्रशासनिक दक्षता तक सीमित रखना नहीं था, बल्कि उन्हें भारतीय परंपराओं, संस्कृति और आध्यात्मिकता से भी जोड़ना था। प्राचार्य ने कहा कि जब व्यक्ति शारीरिक और मानसिक रूप से संतुलित होता है, तभी वह समाज और अपने कर्तव्यों के प्रति अधिक जागरूक और समर्पित हो सकता है। इस आयोजन के माध्यम से प्रशिक्षुओं को भारतीय संस्कृति की महानता का अनुभव कराया गया और उनमें नैतिक और सांस्कृतिक मूल्यों की समझ विकसित करने का प्रयास किया गया।

महाकुंभ यात्रा में गए प्रशिक्षकगण

महाकुंभ प्रयागराज की यात्रा पर जाने वाले प्रशिक्षकों में एमडीआई अशोक कुमार शर्मा, बनवारीलाल, प्रहलाद गुर्जर, अर्जुन चौधरी, सुरेश कुमार, खेतपाल चारण, सोमराज बिश्नोई, सुभाष जांगु और सुभाष शामिल थे। इन प्रशिक्षकों ने त्रिवेणी संगम में स्नान किया, धार्मिक अनुष्ठानों में भाग लिया और महाकुंभ मेले की दिव्यता को अनुभव किया। उनकी इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य न केवल धार्मिक और आध्यात्मिक लाभ प्राप्त करना था, बल्कि संस्थान के प्रशिक्षुओं को भी इस पवित्रता और आध्यात्मिक ऊर्जा का अनुभव कराना था।

संस्थान में उत्साह और श्रद्धा का माहौल

इस विशेष आयोजन से पूरे जेल प्रशिक्षण संस्थान में भक्ति और आध्यात्मिकता का वातावरण बन गया। प्रशिक्षुओं ने इस आयोजन को अपनी आध्यात्मिक यात्रा का एक अनोखा अनुभव बताया। उन्होंने महाकुंभ जैसे ऐतिहासिक और धार्मिक पर्व से जुड़ने का सौभाग्य प्राप्त कर खुद को भाग्यशाली महसूस किया।

कुछ प्रशिक्षुओं ने इसे अपने जीवन का अविस्मरणीय क्षण बताया, जहां उन्होंने महाकुंभ के पवित्र जल में स्नान कर आध्यात्मिकता का एहसास किया। यह आयोजन न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण था, बल्कि इससे प्रशिक्षुओं के मानसिक और भावनात्मक विकास में भी सकारात्मक प्रभाव पड़ा।

भारतीय संस्कृति और धार्मिक आयोजनों का महत्व

महाकुंभ को विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक और आध्यात्मिक आयोजन माना जाता है। इसमें करोड़ों श्रद्धालु संगम में स्नान कर अपने पापों से मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति की कामना करते हैं। JTI में इस पवित्र जल का स्नान कर प्रशिक्षुओं ने इस महान पर्व की आध्यात्मिकता और उसकी परंपराओं से स्वयं को जोड़ा।

 

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