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GST कटौती से किसानों और ग्रीन एनर्जी सेक्टर को राहत

GST कटौती से किसानों और ग्रीन एनर्जी सेक्टर को राहत

मनीषा शर्मा।  केंद्र सरकार GST (Goods and Services Tax) रेट रेशनलाइजेशन के तहत बड़ा कदम उठाने की तैयारी कर रही है। सरकार का यह प्रस्ताव सीधे तौर पर दो महत्वपूर्ण क्षेत्रों—कृषि और रिन्यूएबल एनर्जी सेक्टर—को प्रभावित करेगा। प्रस्तावित बदलावों के तहत उर्वरक बनाने में इस्तेमाल होने वाले प्रमुख केमिकल्स और ग्रीन एनर्जी से जुड़े उपकरणों पर जीएसटी घटाने का सुझाव दिया गया है। अगर यह लागू होता है तो किसानों को सस्ती खाद मिलेगी और रिन्यूएबल एनर्जी कंपनियों की लागत में भारी कमी आएगी। इससे देश में खेती और स्वच्छ ऊर्जा दोनों को नई रफ्तार मिलेगी।

केमिकल और फर्टिलाइज़र सेक्टर को राहत

सरकार ने जीएसटी काउंसिल को जो प्रस्ताव भेजा है, उसमें खास तौर पर अमोनिया, सल्फ्यूरिक एसिड और नाइट्रिक एसिड जैसे केमिकल्स का जिक्र किया गया है। अभी इन पर 18% जीएसटी लगता है, जिसे घटाकर 5% करने का सुझाव दिया गया है। ये केमिकल्स उर्वरक उत्पादन में अहम भूमिका निभाते हैं। टैक्स कम होने से कंपनियों की इनपुट कॉस्ट में कमी आएगी और अंततः इसका फायदा किसानों को मिलेगा।

फर्टिलाइज़र सेक्टर भारत की कृषि अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। जब भी खाद की कीमतें बढ़ती हैं, तो उसका असर सीधे किसानों की जेब पर पड़ता है। इसलिए सरकार का यह कदम किसानों के लिए बड़ी राहत माना जा रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस प्रस्ताव से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी, क्योंकि खेती की लागत कम होने से किसानों की आय बढ़ सकती है।

किसानों को सस्ती खाद का सीधा फायदा

भारत में खेती मुख्य रूप से मानसून और उर्वरकों पर निर्भर करती है। पिछले कुछ सालों से वैश्विक बाजार में कच्चे माल और केमिकल्स की कीमतें बढ़ने से फर्टिलाइज़र महंगे हो रहे थे। इससे किसानों पर अतिरिक्त बोझ पड़ा। अब अगर जीएसटी 18% से घटाकर 5% किया जाता है तो फर्टिलाइज़र कंपनियों का उत्पादन खर्च कम होगा। इसका सीधा असर खाद की कीमतों पर पड़ेगा और किसानों को यह पहले से सस्ते दामों पर उपलब्ध होगा।

यह बदलाव किसानों के आत्मनिर्भर बनने की दिशा में भी अहम साबित होगा। सरकार की ‘डबल इनकम’ योजना को यह टैक्स कटौती मजबूती दे सकती है, क्योंकि उत्पादन लागत घटने से किसानों का मुनाफा बढ़ेगा।

रिन्यूएबल एनर्जी सेक्टर में टैक्स कटौती

केंद्र सरकार का यह प्रस्ताव केवल किसानों तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका असर ऊर्जा क्षेत्र पर भी पड़ेगा। सरकार ने नवीकरणीय ऊर्जा यानी Renewable Energy सेक्टर के लिए भी जीएसटी कटौती का सुझाव दिया है।

प्रस्ताव के मुताबिक सोलर पीवी सेल, सोलर पंप्स और विंड मिल पर जीएसटी 12% से घटाकर 5% करने की बात कही गई है। इसके साथ ही सोलर पावर डिवाइस और वेस्ट-टू-एनर्जी प्लांट्स पर भी टैक्स को घटाकर 5% करने का सुझाव दिया गया है।

भारत सरकार पहले ही 2030 तक नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता को बढ़ाने का लक्ष्य तय कर चुकी है। इस टैक्स कटौती से सोलर और विंड प्रोजेक्ट्स की लागत कम होगी, जिससे इन प्रोजेक्ट्स को तेजी से लागू करने में मदद मिलेगी।

कंपनियों को होगा बड़ा फायदा

इन टैक्स कटौतियों का फायदा सीधे तौर पर रिन्यूएबल एनर्जी कंपनियों को होगा। Inox Wind, Suzlon, NTPC Green, Warree जैसी कंपनियों के प्रोजेक्ट्स की लागत घटेगी। इससे इन कंपनियों का ऑपरेटिंग प्रॉफिट बढ़ेगा और निवेशकों का विश्वास मजबूत होगा।

कम लागत का असर उपभोक्ताओं तक भी पहुंचेगा। भविष्य में सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा से बनने वाली बिजली की कीमतें कम हो सकती हैं। इससे आम आदमी को भी सस्ती बिजली का फायदा मिल सकता है।

कृषि और ऊर्जा दोनों को नई दिशा

अगर यह जीएसटी रेट कटौती लागू हो जाती है, तो इसका असर दो बड़े क्षेत्रों पर एक साथ होगा—कृषि और ऊर्जा। किसानों को जहां सस्ती खाद मिलेगी, वहीं ग्रीन एनर्जी सेक्टर की कंपनियों को लागत में राहत मिलेगी। यह कदम न केवल किसानों की आय बढ़ाने में मदद करेगा बल्कि भारत को स्वच्छ और टिकाऊ ऊर्जा की दिशा में तेजी से आगे ले जाएगा।

विशेषज्ञ मानते हैं कि यह टैक्स कटौती सरकार के ‘सस्टेनेबल डिवेलपमेंट’ एजेंडा को मजबूत करेगी। यह योजना जलवायु परिवर्तन के खिलाफ भारत की लड़ाई को भी नई मजबूती देगी, क्योंकि रिन्यूएबल एनर्जी का प्रसार बढ़ने से प्रदूषण घटेगा और कोयले जैसी पारंपरिक ऊर्जा पर निर्भरता कम होगी।

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