शोभना शर्मा। ऑपरेशन सिंदूर के बाद देशभर में जहां सुरक्षा एजेंसियां हाई अलर्ट पर हैं, वहीं अब भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने भी देश की बैंकिंग व्यवस्था की तैयारियों की पड़ताल शुरू कर दी है। RBI ने सभी बैंकों से सीधे सवाल पूछे हैं कि अगर देश में कोई गंभीर संकट, जैसे साइबर हमला, नकदी की भारी कमी या नेटवर्क फेल्योर जैसी स्थिति उत्पन्न हो जाए, तो क्या बैंकिंग सिस्टम उसके लिए तैयार है? यह कदम तब उठाया गया है जब हाल ही में भारतीय सेना ने पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों पर जवाबी मिसाइल हमले किए, जिसके बाद पूरे देश में सुरक्षा को लेकर सतर्कता बढ़ गई है। गृह मंत्रालय द्वारा मॉक ड्रिल्स की श्रृंखला चल रही है, और इसी संदर्भ में रिजर्व बैंक ने बैंकों से उनकी Business Continuity Plan (BCP) की ताजा जानकारी मांगी है।
RBI ने किन बिंदुओं पर बैंकों से जानकारी मांगी है?
RBI ने बैंकों से यह स्पष्ट करने को कहा है कि आपदा की स्थिति में बैंकिंग सेवाएं कैसे प्रभावित नहीं होंगी। इसके अंतर्गत पूछे गए मुख्य बिंदु हैं:
अगर नकदी की अचानक कमी हो जाए तो बैंक ग्राहकों को कैसे सेवाएं देंगे?
यदि किसी बैंक पर साइबर अटैक होता है, तो उस स्थिति में उसे नियंत्रित करने और डेटा सुरक्षा सुनिश्चित करने की योजना क्या है?
नेटवर्क या बिजली की आपूर्ति बाधित होने पर बैकअप सिस्टम कितने सक्षम हैं?
क्या बैंक कर्मचारियों को ऐसी आपात स्थिति से निपटने के लिए उचित प्रशिक्षण मिला है?
क्या ग्राहकों को समय पर सूचनाएं और मार्गदर्शन देने की व्यवस्था है?
सरकारी राहत योजनाओं में बैंकों की भूमिका और तत्परता कितनी है?
क्यों खास है यह कदम?
हालांकि BCP यानी बिजनेस कंटीन्युटी प्लान की समीक्षा RBI समय-समय पर करता रहा है, लेकिन इस बार मामला ज्यादा संवेदनशील है। देश की सीमाओं पर बढ़ती सैन्य गतिविधियों, आतंकी खतरे और डिजिटल सुरक्षा को देखते हुए RBI यह सुनिश्चित करना चाहता है कि बैंकों के संचालन पर किसी प्रकार का संकट न आए और ग्राहकों का विश्वास बना रहे।
डिजिटल युग में डेटा की सुरक्षा है बड़ी चुनौती
आज की डिजिटल बैंकिंग प्रणाली में केवल नकदी ही नहीं, बल्कि डेटा सुरक्षा और सूचना का त्वरित प्रसारण भी अत्यंत महत्वपूर्ण बन चुका है। यदि नेटवर्क फेल हो जाए या साइबर हमले की स्थिति पैदा हो जाए, तो यह न सिर्फ वित्तीय घाटा बल्कि विश्वास का संकट भी पैदा कर सकता है। RBI की इस पहल के पीछे यही उद्देश्य है कि देश की बैंकिंग सेवाएं किसी भी आपातकालीन स्थिति में बाधित न हों और ग्राहकों को सेवाएं लगातार मिलती रहें।