मनीषा शर्मा। भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने शुक्रवार को मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक में महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए रेपो रेट को 25 बेसिस पॉइंट घटाकर 5.25% कर दिया। यह कटौती तुरंत प्रभाव से लागू हो गई है। RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा ने घोषणा करते हुए बताया कि लगातार नियंत्रित महंगाई और मजबूत आर्थिक प्रदर्शन को देखते हुए यह कदम उठाया गया है। इसके साथ ही STF रेट 5% और MSF तथा बैंक रेट 5.5% पर समायोजित किया गया है। मौद्रिक नीति में न्यूट्रल स्टांस बनाए रखने का फैसला भी किया गया।
अक्टूबर में महंगाई गिरकर सिर्फ 0.3%—भारत ‘गोल्डीलॉक्स’ पीरियड में
गवर्नर मल्होत्रा ने बताया कि भारतीय अर्थव्यवस्था इस समय एक दुर्लभ ‘गोल्डीलॉक्स’ पीरियड से गुजर रही है, जहां महंगाई भी नियंत्रित है और ग्रोथ भी मजबूत है। अक्टूबर 2025 में हेडलाइन महंगाई घटकर 0.3% रह गई, जो कई वर्षों में सबसे कम स्तर है। साल 2025 की पहली छमाही में औसत महंगाई 2.2% दर्ज की गई। दूसरी तिमाही में GDP ग्रोथ 8.2% पहुंची, जो छह तिमाही का सर्वोच्च स्तर है।
इस ग्रोथ को फेस्टिवल डिमांड, बेहतर GST कलेक्शन, सुधारित दर संरचना और मजबूत सरकारी पूंजीगत निवेश से बड़ा सपोर्ट मिला। घरेलू मांग और सेवाओं के क्षेत्र में वृद्धि ने भी अर्थव्यवस्था को मजबूत गति दी है।
1 लाख करोड़ की OMO खरीद और 5 बिलियन डॉलर का स्वैप
RBI ने वित्तीय सिस्टम में ड्यूरेबल लिक्विडिटी बढ़ाने के लिए दिसंबर में 1 लाख करोड़ रुपये के सरकारी बॉन्ड की OMO खरीद का ऐलान किया है। इसके साथ ही तीन वर्ष की अवधि के लिए 5 बिलियन डॉलर का डॉलर-रुपया स्वैप करने की घोषणा की गई है। इसका उद्देश्य बाजार में पर्याप्त नकदी सुनिश्चित करना और ब्याज दरों पर नियंत्रण बनाए रखना है।
गवर्नर ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर महंगाई दबाव में कमी आई है, जिससे उभरती अर्थव्यवस्थाओं को नरम मौद्रिक नीति अपनाने का अवसर मिला है। हालांकि भू-राजनीतिक जोखिम और वैश्विक व्यापार में अनिश्चितता के कारण सतर्कता बरतने की आवश्यकता है।
RBI का अनुमान—अगले साल महंगाई 4% से नीचे, ग्रोथ 7.3%
RBI ने अनुमान लगाया है कि अगले वित्त वर्ष की पहली छमाही में हेडलाइन और कोर इंफ्लेशन दोनों 4% या उससे नीचे रहेंगे। चालू वित्त वर्ष में GDP ग्रोथ 7.3% तक पहुंचने की उम्मीद है।
तीसरी तिमाही में ग्रोथ अनुमान: 7%
चौथी तिमाही में अनुमान: 6.5%
अगले साल की पहली तिमाही: 6.7%
दूसरी तिमाही: 6.5%
RBI ने यह भी बताया कि भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 686 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया है, जो 11 महीने के आयात को कवर कर सकता है। यह आर्थिक स्थिरता का मजबूत संकेत माना जा रहा है।
रेपो रेट कम होने से क्या होगा फायदा? EMI होगी कम
रेपो रेट में कटौती का सबसे बड़ा लाभ उपभोक्ताओं को मिलेगा।
होम लोन की ब्याज दरें घटेंगी
कार लोन और पर्सनल लोन सस्ते होंगे
नई EMI कम होगी
पुराने लोन की EMI भी कम हो सकती है यदि बैंक MCLR या EBLR आधारित दरें घटाते हैं
व्यापारियों को सस्ते बिजनेस लोन मिलने से निवेश और विस्तार गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही, रियल एस्टेट सेक्टर में मांग बढ़ने की उम्मीद है।
रेपो रेट में पिछले एक साल की सबसे बड़ी गिरावट
पिछले वर्ष में लगातार कटौती के बाद रेपो रेट 6.50% से घटकर 5.25% पहुंच गया है।
फरवरी 2025: 6.25%
अप्रैल 2025: 6.00%
जून 2025: 5.50%
दिसंबर 2025: 5.25%
पिछले दो साल में कुल 150 bps की कटौती हुई है, जिसमें सिर्फ 2025 में बड़ा बदलाव देखने को मिला। 2024 में रेपो रेट स्थिर था।


