मनीषा शर्मा। टाटा संस के मानद चेयरमैन रतन नवल टाटा का बुधवार रात निधन हो गया। 86 वर्षीय टाटा का निधन मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में हुआ, जहां उन्हें उम्र संबंधी बीमारियों के चलते एडमिट किया गया था। उनका अंतिम संस्कार आज शाम राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा। रतन टाटा का पार्थिव शरीर नरीमन पॉइंट स्थित नेशनल सेंटर फॉर परफॉर्मिंग आर्ट्स (NCPA) में रखा गया है, जहां लोग उन्हें अंतिम श्रद्धांजलि दे सकते हैं। 4 बजे तक दर्शन करने के बाद, शाम को उनके पार्थिव शरीर को राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी जाएगी।
रतन टाटा: एक अद्वितीय बिजनेस लीडर
रतन टाटा न केवल टाटा ग्रुप के लिए एक प्रमुख नेतृत्वकर्ता थे, बल्कि उनके विचार और दृष्टिकोण ने भारतीय उद्योग जगत को भी गहराई से प्रभावित किया। टाटा को उनके योगदान के लिए पद्म भूषण और पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था। उनके नेतृत्व में, टाटा ग्रुप ने कई महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल कीं, जैसे कि टाटा मोटर्स, टाटा स्टील, और टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) का वैश्विक विस्तार। टाटा का विजन उनके कार्यों में साफ झलकता था। वे न केवल एक दूरदर्शी नेता थे बल्कि भारतीय अर्थव्यवस्था और समाज के प्रति उनकी प्रतिबद्धता अटूट थी। चाहे आर्थिक मामलों में हो, या परोपकार में, रतन टाटा ने हर क्षेत्र में अपना योगदान दिया।
नेताओं और उद्योगपतियों ने जताया शोक
रतन टाटा के निधन से पूरे भारत में शोक की लहर दौड़ गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे एक “दूरदर्शी नेता और दयालु आत्मा” के रूप में याद किया, जिन्होंने न केवल भारत के सबसे पुराने व्यापारिक घरानों में से एक का नेतृत्व किया बल्कि उसकी प्रतिष्ठा को भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्थापित किया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भी शोक व्यक्त करते हुए कहा, “भारत ने एक ऐसे आइकॉन को खो दिया है, जिन्होंने कॉर्पोरेट ग्रोथ, राष्ट्र निर्माण और नैतिकता के साथ उत्कृष्टता का मिश्रण किया।” कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी अपनी संवेदनाएं व्यक्त कीं, यह कहते हुए कि टाटा एक “दूरदर्शी व्यक्ति थे, जिन्होंने बिजनेस और परोपकार दोनों में अटूट योगदान दिया है।”
उद्योग जगत से आई प्रतिक्रियाएं
रतन टाटा के निधन के समाचार से पूरे उद्योग जगत में शोक की लहर फैल गई। टाटा ग्रुप के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन ने दुख व्यक्त करते हुए कहा कि रतन टाटा उनके लिए एक “गुरु, मार्गदर्शक और मित्र” थे।
मुकेश अंबानी ने कहा कि रतन टाटा का जाना न केवल टाटा ग्रुप के लिए बल्कि प्रत्येक भारतीय के लिए एक बड़ा नुकसान है। उन्होंने कहा, “रतन टाटा का जाना व्यक्तिगत तौर पर मुझे गहरा दुख पहुंचा है, क्योंकि मैंने अपना दोस्त खो दिया है।”
गौतम अडाणी ने भी इसे एक दुखद दिन बताते हुए कहा, “भारत ने एक महान और दूरदर्शी व्यक्ति खो दिया है। रतन टाटा ने न केवल बिजनेस में बल्कि करुणा और भारतीयता की भावना को मूर्त रूप दिया।”
वैश्विक स्तर पर भी शोक
Google के सीईओ सुंदर पिचाई ने भी टाटा को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कहा कि रतन टाटा के साथ पिछली मुलाकात में उनके विचार और विजन ने उन्हें बहुत प्रेरित किया था। उन्होंने कहा कि रतन टाटा ने भारत में मॉडर्न बिजनेस लीडरशिप को मार्गदर्शन और समर्थन दिया।
भारतीय समाज और अर्थव्यवस्था में योगदान
रतन टाटा की दूरदर्शिता और प्रतिबद्धता का प्रभाव भारतीय समाज और अर्थव्यवस्था में लंबे समय तक रहेगा। उन्होंने टाटा ग्रुप को स्थायित्व, अनुशासन, और वैश्विक स्तर पर प्रतिष्ठा दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनकी मृत्यु भारतीय उद्योग के लिए एक बड़ी क्षति है। टाटा की अनुपस्थिति को उद्योग जगत में बहुत लंबे समय तक महसूस किया जाएगा, क्योंकि उनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता।


