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रणथंभौर टाइगर रिजर्व में ड्यूटी के पहले दिन रेंजर की बाघ के हमले से मौत

रणथंभौर टाइगर रिजर्व में ड्यूटी के पहले दिन रेंजर की बाघ के हमले से मौत

शोभना शर्मा।   सवाई माधोपुर के रणथंभौर टाइगर रिजर्व से एक बार फिर दुखद खबर सामने आई है। यहां रविवार को ड्यूटी के पहले ही दिन एक वनकर्मी की बाघ के हमले में मौत हो गई। मृतक देवेंद्र चौधरी को हाल ही में पदोन्नति मिली थी और उसे 7 मई को जोगी महल गेट पर नई जिम्मेदारी सौंपी गई थी। दुर्भाग्यवश, ज्वाइनिंग के दिन ही बाघ ने उस पर हमला कर दिया।

देवेंद्र चौधरी की कहानी बेहद मार्मिक है। वर्ष 2017 में उसके पिता की ड्यूटी के दौरान मौत हुई थी, जिसके बाद उसे अनुकंपा नियुक्ति के तहत वनरक्षक पद पर नियुक्त किया गया था। आठ सालों की सेवा के बाद अब उसे प्रमोट कर नई जिम्मेदारी दी गई थी। वह अपने परिवार का एकमात्र कमाने वाला सदस्य था और उसके पीछे पत्नी और डेढ़ साल का बेटा रह गया है।

घटना उस समय घटी जब वह जोगी महल गेट के पास बन रहे दरवाजे के निर्माण कार्य का निरीक्षण कर रहा था। वहां पहले से ही एक बाघ छतरी के नीचे बैठा हुआ था। जैसे ही देवेंद्र वहां पहुंचा, बाघ ने अचानक उस पर हमला कर दिया और उसकी गर्दन पर झपट्टा मारते हुए जंगल की ओर घसीट ले गया। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, बाघ लगभग 20 मिनट तक उसके शव के पास बैठा रहा।

घटना की सूचना मिलते ही वन अधिकारी डीएफओ आरएन भाकर, प्रमोद कुमार धाकड़ और एसडीएम अनूप सिंह मौके पर पहुंचे। स्थानीय विधायक और कृषि मंत्री डॉ. किरोड़ी लाल मीणा भी जिला अस्पताल पहुंचे और परिजनों से मुलाकात कर संवेदनाएं व्यक्त कीं। उन्होंने कहा कि इस दर्दनाक घटना की गंभीरता से जांच की जानी चाहिए और वन विभाग को यह स्पष्ट करना चाहिए कि क्या कोई बाघ आदमखोर हो गया है या फिर इन हमलों के पीछे अन्य कारण हैं।

डॉ. मीणा ने कहा कि वे इस मामले को मुख्यमंत्री और वन मंत्री के समक्ष उठाकर पीड़ित परिवार को अधिकतम राहत पैकेज दिलाने का प्रयास करेंगे। उन्होंने संबंधित डीएफओ से इस संबंध में बातचीत भी की है।

वनकर्मी देवेंद्र को गंभीर अवस्था में जिला अस्पताल लाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। इस घटना ने पूरे क्षेत्र में शोक और चिंता का माहौल पैदा कर दिया है, खासकर तब जब इससे पहले 16 अप्रैल को भी बाघिन अन्वी ने 7 साल के गणेश को अपना शिकार बना लिया था।

लगातार हो रही ऐसी घटनाएं अब यह सवाल खड़ा करती हैं कि क्या रणथंभौर में बाघ और इंसान के बीच संघर्ष की स्थिति गंभीर होती जा रही है? क्या वनकर्मियों की सुरक्षा के लिए अतिरिक्त कदम उठाए जाने की आवश्यकता नहीं है?

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