शोभना शर्मा। उदयपुर सिटी पैलेस में 300 साल पुरानी परंपरा को फिर से जीवंत किया गया। बुधवार को पाली जिले के पांच गांवों के राजपुरोहित परिवारों के सदस्य पहली बार पैलेस पहुंचे। लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ ने उन्हें आमंत्रित कर सम्मानित किया, जिससे वर्षों से टूटा यह ऐतिहासिक रिश्ता फिर से जुड़ गया।
कैसे टूटी थी परंपरा?
पाली के घेनड़ी, पिलोवणी, वणदार, रूंगड़ी और शिवतलाव गांवों के राजपुरोहितों के पूर्वजों का मेवाड़ राजपरिवार से गहरा नाता था। ये परिवार महाराणा प्रताप के साथ हल्दीघाटी युद्ध में शामिल थे। वीरगति को प्राप्त हुए नारायण दास राजपुरोहित के सम्मान में महाराणा ने इन गांवों को जागीर में दिया था।
पहले, इन गांवों की बहन-बेटियां हर साल सिटी पैलेस में राखी भेजती थीं। बदले में राजमहल से उन्हें परंपरागत चुनरी (चूंदड़ी) भेजी जाती थी। लेकिन वर्षों पहले महल से चुनरी भेजना बंद हो गया, जिससे यह परंपरा टूट गई।
गांवों ने लिया था वचन
जब महल से कोई जवाब नहीं आया, तो गांव की महिलाओं ने बुजुर्गों से वचन लिया कि जब तक सिटी पैलेस से बुलावा नहीं आएगा, तब तक गांव से कोई भी राजपुरोहित वहां नहीं जाएगा। इसके बाद यह परंपरा समाप्त हो गई और 300 वर्षों तक कोई राजपुरोहित सिटी पैलेस नहीं गया।
लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ ने परंपरा पुनर्जीवित की
उदयपुर के पूर्व राजपरिवार के सदस्य अरविंद सिंह मेवाड़ के निधन के बाद सिटी पैलेस में परंपराओं को फिर से जीवंत किया जा रहा है। इसी कड़ी में लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ ने टेलीफोन के माध्यम से इन गांवों के राजपुरोहितों को पैलेस आने का आमंत्रण भेजा।
उन्होंने पांचों गांवों के सवा सौ बुजुर्गों का सिटी पैलेस में सम्मान किया और उन्हें आश्वासन दिया कि अब यह परंपरा जारी रहेगी। इस मौके पर गांव के प्रतिनिधियों को अरविंद सिंह मेवाड़ की तस्वीर भी भेंट की गई।
नए संबंधों की शुरुआत
लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ ने कहा-
“इतने सालों बाद आप यहां आए, यह बहुत खुशी की बात है। आगे भी सिटी पैलेस के दरवाजे आपके लिए खुले रहेंगे। यह आपका अपना घर है।”गांव वालों ने भी लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ को अपने गांव आने का निमंत्रण दिया, जिससे यह ऐतिहासिक संबंध फिर से मजबूत हो गया।