मनीषा शर्मा। जैसलमेर में चल रही आर्मी कमांडर्स कॉन्फ्रेंस में शामिल होने पहुंचे रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार शाम शौर्य पार्क और कैक्टस पार्क का उद्घाटन किया। इन स्थलों में भारतीय सेना के वीरता, युद्ध इतिहास और शहीदों के पराक्रम को प्रदर्शित किया गया है। साथ ही उन्होंने एक नया लाइट एंड साउंड शो भी शुरू किया। रक्षा मंत्री शुक्रवार सुबह तनोट और लोंगेवाला जाकर जवानों से मुलाकात करेंगे और शहीदों को श्रद्धांजलि देंगे।
इस बार की आर्मी कमांडर्स कॉन्फ्रेंस 23 से 25 अक्टूबर तक आयोजित हो रही है, जिसमें देश की सुरक्षा, सीमा प्रबंधन, और भविष्य की सैन्य रणनीतियों पर विस्तृत चर्चा हो रही है।
“पाकिस्तान को ठीक-ठाक डोज दे दिया गया है” – रक्षा मंत्री
राजनाथ सिंह ने शौर्य पार्क उद्घाटन के दौरान कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत ने पाकिस्तान को “ठीक-ठाक डोज” दे दिया है। उन्होंने कहा, “अब पाकिस्तान कोई भी मिस एडवेंचर करने से पहले सौ बार सोचेगा। अगर उसने दोबारा ऐसा किया, तो नतीजा क्या होगा, यह उसे भलीभांति पता है।”
रक्षा मंत्री ने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर अभी खत्म नहीं हुआ है, बल्कि उसे अस्थायी रूप से स्थगित किया गया है। उन्होंने कहा कि भारत को हर समय सतर्क और अलर्ट रहना चाहिए, क्योंकि सुरक्षा खतरे कभी भी बदल सकते हैं।
रामचरित मानस से उदाहरण – दुश्मन को चेतावनी
राजनाथ सिंह ने अपने संबोधन में रामचरित मानस का उदाहरण देते हुए कहा कि जैसे अंगद ने रावण को चेतावनी दी थी, वैसे ही हमारे सैनिकों ने पाकिस्तान को केवल “हालचाल” लेने के लिए ही गया था, लेकिन नतीजा सबके सामने है।
उन्होंने कहा, “अगर हमारे पायलटों ने सिर्फ इतना ही किया तो सोचिए जब हम दल-बल के साथ जाएंगे तो क्या नतीजे होंगे।” यह बयान स्पष्ट संकेत देता है कि भारत की सेना हर स्थिति में तैयार है और किसी भी उकसावे का सटीक जवाब दे सकती है।
सीमा क्षेत्रों में विकास और सतर्कता पर जोर
रक्षा मंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार ने बीते वर्षों में बॉर्डर एरिया डेवलपमेंट पर विशेष ध्यान दिया है। अब सीमा क्षेत्रों में तेजी से सड़कें, पुल और अन्य आधारभूत ढांचे तैयार हो रहे हैं, जिससे सेना की गतिशीलता बढ़ी है और सुरक्षा चुनौतियों से निपटना आसान हुआ है।
उन्होंने कहा कि शत्रु चाहे बाहरी हों या आंतरिक, वे कभी निष्क्रिय नहीं रहते। ऐसे में उनकी गतिविधियों पर नजर रखना और आवश्यकतानुसार कार्रवाई करना हमारी जिम्मेदारी है।
“हम एक परिवार हैं” – जवानों के साथ बड़ाखाना परंपरा
राजनाथ सिंह ने कहा कि सेना में “बड़ाखाना” की परंपरा एकता का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ भोजन का आयोजन नहीं, बल्कि दिलों को जोड़ने का अवसर है। इसमें विभिन्न धर्म, भाषाएं और प्रदेशों से आए जवान एक साथ बैठकर भोजन करते हैं, जो भारत की एकता और विविधता का प्रतीक है।
उन्होंने कहा, “हम चाहे किसी भी पद पर हों, मंत्री, अधिकारी या सैनिक – हम सब एक ही परिवार के सदस्य हैं।”
कॉन्फ्रेंस का फोकस – सुधार, तकनीक और जॉइंटनेस
इस वर्ष की आर्मी कमांडर्स कॉन्फ्रेंस को “Year of Reforms” यानी सुधारों का वर्ष घोषित किया गया है। इस दौरान सेना में तकनीकी नवाचार, आधुनिक युद्ध तैयारी, और संरचनात्मक सुधारों पर चर्चा की जा रही है।
अग्निवीर योजना: सम्मेलन में अग्निवीर योजना की समीक्षा भी शामिल है। पहले बैच के अग्निवीर अगले वर्ष चार साल की सेवा पूरी करेंगे। रक्षा मंत्रालय इस पर विचार कर रहा है कि अधिक प्रशिक्षित अग्निवीरों को स्थायी अवसर दिए जाएं ताकि उनकी दक्षता का लाभ सेना को मिल सके।
पूर्व सैनिकों की भूमिका: बढ़ती वेटरन संख्या को देखते हुए उनके अनुभव का उपयोग कैसे किया जाए, इस पर भी विचार हो रहा है।
तीनों सेनाओं में जॉइंटनेस: थलसेना, नौसेना और वायुसेना के बीच तालमेल, साझा प्रशिक्षण, और उपकरणों के मानकीकरण पर चर्चा की जा रही है, ताकि भविष्य में थिएटर कमांड्स की स्थापना के लिए मजबूत आधार तैयार किया जा सके।
ऑपरेशनल तैयारियों की समीक्षा और भविष्य की रणनीति
जैसलमेर सम्मेलन में सेना की ऑपरेशनल तैयारियों की गहन समीक्षा की जा रही है। इसमें क्षतिग्रस्त उपकरणों की मरम्मत, आपातकालीन खरीद, हथियारों के भंडारण और मिशन सुदर्शन चक्र की प्रगति शामिल है।


