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राजकुमार रोत बोले- “मेरा सांसद बनना एक राजनीतिक दुर्घटना”

राजकुमार रोत बोले- “मेरा सांसद बनना एक राजनीतिक दुर्घटना”

शोभना शर्मा। भारत आदिवासी पार्टी (BAP) के सांसद राजकुमार रोत ने अपने सांसद बनने के पीछे की कहानी बताई है। उन्होंने कहा कि उनका सांसद बनना किसी योजनाबद्ध राजनीतिक रणनीति का नतीजा नहीं था, बल्कि यह एक “राजनीतिक दुर्घटना” का परिणाम था। यह बयान उन्होंने बांसवाड़ा जिले के अरथूना ब्लॉक में आयोजित एक स्वागत समारोह के दौरान दिया।

रोत ने कहा कि वे पहले भी दो बार चौरासी विधानसभा क्षेत्र से भारी मतों से विधायक चुने गए थे। जनता ने लगातार उन पर भरोसा जताया, लेकिन इस बार माहौल कुछ अलग था। क्षेत्र की जनता भाजपा और कांग्रेस दोनों से निराश थी और दोनों दलों से जनता का विश्वास उठ चुका था।

जनता की मांग पर लड़ा सांसद चुनाव

राजकुमार रोत ने कहा कि इस बार की चुनावी परिस्थिति कुछ अलग थी। उन्होंने बताया कि जनता ने उनसे आग्रह किया कि वे सांसद चुनाव में उतरें। “लोगों ने कहा कि आप ही मैदान में उतरिए, क्योंकि हमने बाकी सबको आजमा लिया है,” रोत ने कहा।

उन्होंने बताया कि वे खुद संसद का चुनाव लड़ने के इच्छुक नहीं थे, लेकिन जनता की मांग और भरोसे को देखकर उन्होंने चुनौती स्वीकार की। उन्होंने कहा,

“मैंने जनता के आग्रह और विश्वास के कारण चुनाव लड़ा। यह कोई योजना नहीं थी, बल्कि यह जनता की भावना थी जिसने मुझे आगे बढ़ाया। मेरा सांसद बनना एक तरह की राजनीतिक दुर्घटना थी।”

कांग्रेस और भाजपा पर साधा निशाना

रोत ने कहा कि कांग्रेस और भाजपा के बीच दल-बदल की राजनीति ने जनता का भरोसा तोड़ दिया। उन्होंने बताया कि कांग्रेस के कई नेता भाजपा में चले गए और भाजपा के नेता कांग्रेस में शामिल हो गए। यह देखकर आम लोगों का भरोसा दोनों पार्टियों से हट गया।

“जब जनता ने देखा कि दोनों दलों के नेता केवल सत्ता पाने के लिए पाला बदल रहे हैं, तो उन्हें लगा कि अब बदलाव की जरूरत है,” उन्होंने कहा।

रोत के अनुसार, यही वह समय था जब जनता ने भारत आदिवासी पार्टी को एक विकल्प के रूप में देखा। इसी जनभावना ने उन्हें सांसद बनने का अवसर दिया।

जनता के भरोसे से मिली जीत

राजकुमार रोत ने कहा कि उन्होंने सांसद चुनाव पूरी तरह जनता के भरोसे पर लड़ा। “मेरे पास न तो बड़ा संगठन था, न भारी संसाधन। लेकिन जनता ने मेरे साथ खड़ी होकर दिखाया कि यदि भरोसा सच्चा हो तो असंभव कुछ नहीं,” उन्होंने कहा।

उन्होंने कहा कि उनका लक्ष्य अब जनता की उम्मीदों पर खरा उतरना है और आदिवासी समाज के अधिकारों की आवाज को संसद में मजबूती से उठाना है।

 

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