मनीषा शर्मा। राजस्थान के बूंदी जिले में प्रदेश की पहली सोलर लिफ्ट सिंचाई परियोजना का काम पूरा हो चुका है। यह परियोजना जिले की फोलाई-गेंडौली पंचायत के 17 गांवों के करीब 25,000 किसानों के लिए वरदान साबित होगी। मेज नदी पर बनी यह परियोजना किसानों को निशुल्क सिंचाई का पानी उपलब्ध कराएगी। इसके साथ ही परियोजना से बिजली का उत्पादन भी किया जाएगा।
52 करोड़ की लागत से बनी अनूठी परियोजना
जल संसाधन विभाग के सहायक अभियंता अजय सिंह गुर्जर के अनुसार, 52 करोड़ रुपए की लागत से बनी इस परियोजना के तहत 167 किलोवाट क्षमता वाले दो सोलर प्लांट स्थापित किए गए हैं। इनमें कुल 522 सोलर पैनल लगाए गए हैं। यह परियोजना मार्च 2025 से किसानों को सिंचाई का पानी उपलब्ध कराना शुरू कर देगी।
किसानों को मिलेगा बड़ा लाभ
यह परियोजना किसानों को सिंचाई के लिए बिजली और डीजल पर होने वाले खर्च से मुक्ति दिलाएगी। फिलहाल किसान हर साल सिंचाई पर करीब 7 करोड़ 50 लाख रुपए खर्च करते हैं। सोलर लिफ्ट प्रणाली से किसानों को यह सुविधा निशुल्क उपलब्ध होगी, जिससे उन्हें बड़ी राहत मिलेगी।
परियोजना में देरी और जुर्माना
सोलर लिफ्ट सिंचाई परियोजना 2019 तक पूरी होनी थी, लेकिन संवेदक की धीमी कार्यप्रणाली के कारण इसे पूरा होने में 5 साल का अतिरिक्त समय लग गया। जल संसाधन विभाग ने इस देरी के लिए संवेदक को 3 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया। अब यह परियोजना 2025 में पूरी हुई है।
परियोजना की मुख्य विशेषताएं
सोलर पैनल और प्लांट:167 किलोवाट के दो सोलर प्लांट से बिजली का उत्पादन होगा।
कुएं और पंप:नदी किनारे 6-6 मीटर के दो कुएं बनाए गए हैं। यहां से पानी 170 एचपी के 4 पंपों के जरिए 17 गांवों तक पहुंचाया जाएगा।
पाइपलाइन नेटवर्क:7 गांवों के लिए 10 किमी और 10 गांवों के लिए 12 किमी लंबी डीआई पाइपलाइन बिछाई गई है।
सिंचाई सुविधा:कुल 4,000 हेक्टेयर भूमि में 488 सिंचाई प्वाइंट बनाए गए हैं।
कनेक्शन और बिजली सप्लाई का इंतजार
सोलर प्लांट का काम तीन साल पहले पूरा हो चुका था, लेकिन बिजली आपूर्ति में देरी के कारण परियोजना को चालू नहीं किया जा सका। अब बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए 33 केवी और 11 केवी लाइनों का निर्माण किया गया है। लाखेरी क्षेत्र में अंडरग्राउंड लाइन और 33 केवी जीएसएस भी स्थापित किया गया है।
सिंचाई के लिए मार्च से पानी उपलब्ध
जनवरी 2025 के अंत तक परियोजना की टेस्टिंग पूरी होने की उम्मीद है। इसके बाद मार्च 2025 से किसानों को खेतों तक सिंचाई का पानी मिलने लगेगा। जल संसाधन विभाग के अधिकारी परियोजना के अंतिम कार्यों को जल्द पूरा करने की दिशा में काम कर रहे हैं।