मनीषा शर्मा। राजस्थान के टोंक जिले के छोटे से गांव खलीलपुरा पापड़ा के रहने वाले केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के जवान खुशी राम चौधरी को उनकी अदम्य साहस और बहादुरी के लिए राष्ट्रपति वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। यह सम्मान उन्हें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर घोषित किया गया है और जल्द ही दिल्ली में आयोजित एक विशेष समारोह में प्रदान किया जाएगा।
बहादुरी और साहस की मिसाल
खुशी राम चौधरी 85 बटालियन में सिपाही के पद पर तैनात हैं। वर्तमान में वे छत्तीसगढ़ के बीजापुर में नक्सल प्रभावित क्षेत्र में तैनात हैं। यहां की कठिन परिस्थितियों में, जहां दिन-रात आतंक और खतरों का सामना करना पड़ता है, उन्होंने अपनी वीरता का लोहा मनवाया है। उनका कहना है कि उन्होंने अब तक जैश-ए-मोहम्मद और अन्य आतंकी संगठनों के 50 से अधिक आतंकियों को मार गिराया है।
पंथाचौक ऑपरेशन: बहादुरी की कहानी
दिसंबर 2021 में श्रीनगर के पंथाचौक इलाके में हुए ऑपरेशन में खुशीराम ने अपने अद्भुत साहस का परिचय दिया। इस ऑपरेशन में उन्होंने जैश-ए-मोहम्मद के तीन आतंकवादियों को मुठभेड़ में मार गिराया। इनमें से दो आतंकवादी पाकिस्तानी थे और एक स्थानीय निवासी था।
- पाकिस्तानी आतंकी रजाक आई उर्फ अब्दुल राशिद गाजी: A+ श्रेणी का कुख्यात आतंकवादी था।
- अब्दुल लखामन उर्फ हजमा: पाकिस्तान का आतंकवादी साथी।
- अहमद राठर: श्रीनगर का स्थानीय आतंकवादी।
इस मुठभेड़ में उनकी बहादुरी ने साबित कर दिया कि वे न केवल देश की सुरक्षा के लिए समर्पित हैं, बल्कि दुश्मनों को करारा जवाब देने में सक्षम हैं।
नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में ड्यूटी
खुशी राम चौधरी वर्तमान में छत्तीसगढ़ के बीजापुर में नक्सल प्रभावित इलाकों में तैनात हैं। यहां के हालात इतने कठिन हैं कि रात के समय किसी भी जवान को लाइट तक जलाने की अनुमति नहीं होती। इसके बावजूद, उन्होंने नक्सली ऑपरेशनों में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
सम्मान के पीछे की प्रेरणा
खुशीराम के पिता नंदाराम चौधरी ने बताया कि उनके बेटे ने हमेशा अपने देश की सेवा को प्राथमिकता दी है। इस पुरस्कार ने न केवल उनके परिवार, बल्कि पूरे राजस्थान को गौरवान्वित किया है।
राष्ट्रपति वीरता पुरस्कार का महत्व
राष्ट्रपति वीरता पुरस्कार देश के उन वीर जवानों को प्रदान किया जाता है, जिन्होंने अपनी जान की परवाह किए बिना देश की सुरक्षा के लिए असाधारण साहस दिखाया हो। खुशी राम चौधरी इस सम्मान को पाने वाले उन गिने-चुने बहादुर सिपाहियों में से एक हैं, जिन्होंने अपनी वीरता से देशवासियों का सिर गर्व से ऊंचा किया है।