मनीषा शर्मा । राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल ने ध्वनि प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए व्यापक कदम उठाए हैं। सदस्य सचिव एन विजय ने बताया कि मंडल वायु और जल प्रदूषण के साथ ही ध्वनि प्रदूषण पर भी सख्ती से कार्य कर रहा है। जयपुर, जोधपुर, और कोटा में ध्वनि प्रदूषण का अध्ययन किया जा रहा है, जिसमें पाया गया है कि ट्रैफिक प्रमुख स्रोत है।
मंडल ने प्रतिमाह ध्वनि बुलेटिन जारी करने की पहल की है, जिससे ध्वनि प्रदूषण वाले क्षेत्रों का मापन कर ध्वनि स्तर जारी किया जा रहा है। इस पहल से आमजन को ध्वनि प्रदूषण के दुष्प्रभावों और नियंत्रण के उपायों के बारे में जागरूक किया जा रहा है। सीएसआईआर-सीआरआरआई, नई दिल्ली के मुख्य वैज्ञानिक डॉ. नसीम अख्तर ने “नॉइज़ मैपिंग, हॉट स्पॉट्स आइडेंटिफिकेशन एवं मिटिगेशन प्लान फॉर कंट्रोल ऑफ नॉइज़ पॉल्यूशन फॉर जयपुर” विषय पर प्रस्तुति दी।
डॉ. नसीम ने बताया कि मांगलिक कार्यों और ट्रैफिक लाइट पर अनावश्यक हॉर्न की आवाज़, व्यापारिक संस्थानों में जेनरेटर के शोर से मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है। जयपुर, जोधपुर, और कोटा में ध्वनि प्रदूषण के हॉटस्पॉट्स की पहचान कर ली गई है और संबंधित विभागों से सुझाव मांगे गए हैं।
इस अवसर पर रेलवे, ट्रैफिक, जयपुर प्रशासन, एनएचएआई, जेडीए, रीको सहित अन्य विभागों के प्रतिनिधि और मंडल के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। ध्वनि प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए सदस्य सचिव ने आमजन से जीवनशैली में बदलाव लाने का आह्वान किया।