शोभना शर्मा। राजस्थान के खान, भूविज्ञान एवं पेट्रोलियम विभाग ने कार्य प्रणाली में बड़ा तकनीकी सुधार करते हुए सभी माइनिंग गतिविधियों को पूरी तरह डिजिटल और पेपरलेस बनाने की दिशा में कदम बढ़ा दिया है। प्रमुख सचिव माइंस टी. रविकान्त ने शनिवार को स्पष्ट निर्देश जारी करते हुए कहा कि 15 दिसंबर 2025 से विभाग के सभी कार्य केवल मोबाइल एप और तैयार ऑनलाइन मॉड्यूल्स के माध्यम से ही संचालित किए जाएंगे। इस तिथि के बाद किसी भी रूप में मैनुअल या ऑफलाइन प्रक्रिया को स्वीकार नहीं किया जाएगा।
प्रमुख सचिव ने जयपुर स्थित कॉन्स्टीट्यूशनल क्लब में आयोजित ओरियंटेशन कार्यशाला में विभागीय अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि 1 दिसंबर से सभी मॉड्यूल्स की नियमित मॉनिटरिंग शुरू कर दी जाएगी। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि अधिकारी और कर्मचारी नई डिजिटल प्रणाली को पूरी तरह अपनाएँ और निर्धारित समय सीमा तक इसे सफलतापूर्वक लागू कर दें।
दो मोबाइल एप, 14 ऑनलाइन मॉड्यूल और 6 वेब एप्लीकेशन तैयार
राजस्थान खान विभाग पिछले कुछ महीनों से डिजिटल सुधार प्रक्रिया पर कार्य कर रहा है। विभाग ने पारदर्शिता बढ़ाने, समय की बचत करने और आमजन तथा उद्योग से जुड़े हितधारकों को सुविधा प्रदान करने के उद्देश्य से दो मोबाइल एप, 14 ऑनलाइन मॉड्यूल और 6 वेबसाइट आधारित एप्लीकेशन विकसित किए हैं। इन डिजिटल सेवाओं के माध्यम से माइनिंग सेक्टर से जुड़े अधिकांश सरकारी कार्य घर बैठे आसानी से पूरे किए जा सकेंगे। प्रमुख सचिव के अनुसार विभाग की यह पहल न केवल तकनीकी रूप से विभाग को मजबूत करेगी बल्कि इसे पूरी तरह पेपरलेस व आधुनिक प्रणाली में बदल देगी।
अब ई-रवन्ना से लेकर माइनिंग प्लान तक सब ऑनलाइन
डिजिटल व्यवस्था के तहत खान विभाग ने कई महत्वपूर्ण सेवाएं ऑनलाइन कर दी हैं। इसमें ई-रवन्ना, ई-पेमेंट, कॉन्ट्रेक्टर रजिस्ट्रेशन, माइनिंग प्लान अनुमोदन, एलआईएस (लैंड इंफॉर्मेशन सिस्टम), विभागीय बकाया, डिमांड मॉड्यूल, नो ड्यूज प्रमाण पत्र सहित लगभग सभी आवश्यक प्रक्रियाएँ शामिल हैं। इन सेवाओं के डिजिटल होने से आवेदकों को विभागीय कार्यालयों के अनावश्यक चक्कर लगाने की जरूरत नहीं रहेगी। साथ ही आवेदन प्रक्रिया में पारदर्शिता आएगी और समय की बचत भी होगी।
दो दिवसीय कार्यशाला में अधिकारियों को दी जा रही विस्तृत ट्रेनिंग
निदेशक माइंस महावीर प्रसाद मीणा ने बताया कि जयपुर में आयोजित यह ओरियंटेशन कार्यशाला दो दिनों तक चलेगी, जिसमें विभागीय अधिकारियों को सभी ऑनलाइन मॉड्यूल्स के उपयोग, कार्यप्रणाली और तकनीकी पहलुओं की विस्तृत जानकारी दी जा रही है। उन्होंने बताया कि जयपुर के बाद रविवार को उदयपुर में भी अन्य वृतों के अधिकारियों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित होगा। इससे यह सुनिश्चित किया जाएगा कि राज्य के सभी कार्यालय समयसीमा से पहले नई प्रणाली पर काम शुरू कर दें।
तकनीकी टीम मौके पर ही समाधान प्रदान कर रही है
अतिरिक्त निदेशक आईटी शीतल अग्रवाल ने बताया कि अधिकारियों की तकनीकी जिज्ञासाओं और समस्याओं का समाधान कार्यशाला स्थल पर ही विशेषज्ञों द्वारा किया जा रहा है। यह प्रशिक्षण सुनिश्चित करेगा कि किसी भी तकनीकी बाधा के बिना सभी मॉड्यूल सफलतापूर्वक लागू किए जा सकें। उन्होंने कहा कि यह प्रणाली उपयोगकर्ता-अनुकूल (User Friendly) बनाई गई है ताकि अधिकारियों, कर्मचारियों और उद्योग जगत से जुड़े लोग इसे आसानी से उपयोग कर सकें।
डिजिटल सिस्टम से पारदर्शिता और गति में आएगी बढ़ोतरी
विभाग के अधिकारियों ने पूरा विश्वास जताया कि निर्धारित समयसीमा तक सभी कार्यालय डिजिटल व्यवस्था को लागू कर देंगे। नए सिस्टम से जहां फाइलों की लंबी प्रक्रिया समाप्त होगी, वहीं कार्य निष्पादन में तेजी आएगी। इसके अलावा नई ऑनलाइन प्रणाली विभाग को अधिक पारदर्शी, जवाबदेह और प्रभावी बनाएगी। माइनिंग सेक्टर में होने वाली अनियमितताओं पर भी डिजिटल निगरानी के कारण काफी हद तक रोक लगने की उम्मीद है।


