मनीषा शर्मा। राजस्थान हाईकोर्ट ने सोमवार को भूदान यज्ञ बोर्ड को भंग करने के राज्य सरकार के आदेश पर रोक लगा दी। जस्टिस सुदेश बंसल की अदालत ने बोर्ड अध्यक्ष लक्ष्मण कड़वासरा और अन्य सदस्यों की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया।
क्या है पूरा मामला?
राजस्थान में पूर्ववर्ती गहलोत सरकार ने 2022 में भूदान यज्ञ बोर्ड का गठन किया था, जिसमें अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति की गई थी। लेकिन सत्ता परिवर्तन के बाद भजनलाल सरकार ने 18 जून 2024 को एक आदेश जारी कर पूरे बोर्ड को भंग कर दिया। इसके बाद भूदान यज्ञ बोर्ड के अध्यक्ष और सदस्यों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर सरकार के फैसले को चुनौती दी।
6 सदस्यों ने नहीं दिया था इस्तीफा
राजनीतिक परंपरा के अनुसार, जब भी किसी राज्य में सरकार बदलती है, तो विभिन्न बोर्ड और आयोगों के अध्यक्ष और सदस्य अपने पदों से इस्तीफा दे देते हैं, और नई सरकार नए सिरे से नियुक्तियां करती है। लेकिन भूदान यज्ञ बोर्ड के अध्यक्ष और 6 सदस्यों ने इस्तीफा नहीं दिया, क्योंकि उनकी नियुक्ति 2026 तक के लिए थी।
याचिकाकर्ताओं की दलील
याचिकाकर्ताओं के वकील सुनील समदड़िया ने बताया कि भूदान यज्ञ बोर्ड के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति 11 फरवरी 2022 को 4 साल की अवधि के लिए की गई थी, जो 2026 तक प्रभावी थी। अधिनियम 1956 की धारा 4 के तहत, अध्यक्ष और सदस्यों को तभी हटाया जा सकता था जब वे किसी अयोग्यता या अक्षमता से ग्रस्त हों।
हालांकि, सरकार ने किसी भी वैधानिक आधार के बिना पूरे बोर्ड को भंग कर दिया, जिससे उनकी नियुक्तियां स्वतः समाप्त हो गईं। याचिकाकर्ताओं ने इसे गैरकानूनी बताते हुए हाईकोर्ट में चुनौती दी।
सरकार ने नहीं दिया जवाब
अगस्त 2024 में हाईकोर्ट ने सरकार को नोटिस जारी कर इस फैसले पर जवाब मांगा था। लेकिन 8 महीनों तक सरकार की ओर से कोई जवाब पेश नहीं किया गया। अदालत ने सरकार को अंतिम अवसर दिया, परंतु फिर भी कोई उत्तर नहीं मिला। इसके चलते हाईकोर्ट ने एक्स-पार्टी आदेश पारित कर भूदान यज्ञ बोर्ड को भंग करने के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी।
राजनीतिक नियुक्तियां फिर से बहाल
हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद भूदान यज्ञ बोर्ड को भंग करने का आदेश निष्प्रभावी हो गया है। इसका सीधा मतलब है कि बोर्ड अध्यक्ष लक्ष्मण कड़वासरा और अन्य सदस्यों की नियुक्तियां फिर से बहाल हो गई हैं।