मनीषा शर्मा। राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को जर्जर और खस्ताहाल स्कूल भवनों के जीर्णोद्धार का रोडमैप पेश न करने पर सख्त लहजे में फटकार लगाई है। कोर्ट ने टिप्पणी की कि सरकार प्रवासी राजस्थान समारोह जैसे आयोजनों और शहरों के सौंदर्यीकरण पर करोड़ों रुपए खर्च कर रही है, जबकि स्कूलों के लिए जरूरी धन आवंटित नहीं किया जा रहा। अदालत ने स्पष्ट चेतावनी दी कि यदि स्कूलों पर बजट जारी नहीं किया गया, तो अन्य सरकारी खर्च रोकने की स्थिति भी आ सकती है।
5 दिसंबर तक रोडमैप पेश करने का आदेश
हाईकोर्ट ने निर्देश दिया है कि जर्जर स्कूल भवनों के सुधार और नए भवनों के निर्माण से जुड़े पूरे रोडमैप को 5 दिसंबर तक प्रस्तुत किया जाए। यदि ऐसा नहीं हुआ, तो शिक्षा सचिव को व्यक्तिगत रूप से या वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से कोर्ट में उपस्थित होना होगा। न्यायालय ने कहा कि यह मामला बच्चों की सुरक्षा और शिक्षा से जुड़ा हुआ है, इसलिए इसमें देरी गंभीर लापरवाही है।
चार महीनों से रोडमैप टल रहा, कोर्ट ने जताई असंतुष्टि
सुनवाई के दौरान न्यायाधीश महेंद्र कुमार गोयल और न्यायाधीश अशोक कुमार जैन की खंडपीठ ने कहा कि पिछले चार महीनों से सरकार केवल समय मांग रही है। कभी केंद्र सरकार से फंड की मांग, कभी डीएमएफटी से बजट लेने की बात कही जाती है, लेकिन जमीन पर स्थिति जस की तस है। कोर्ट ने इसे सरकार की गंभीरता की कमी बताया।
न्यायालय ने यह भी कहा कि पिछली सुनवाई में भी सरकार की ओर से कोई अधिकारी उपस्थित नहीं हुआ, जिससे यह और स्पष्ट हो गया कि प्रशासन इस विषय को प्राथमिकता नहीं दे रहा है।
कोर्ट ने पूछा: स्कूल भवन डिजास्टर गाइडलाइन के अनुरूप हैं या नहीं
छह नवंबर को हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि जिलेवार रोडमैप प्रस्तुत करते हुए यह जानकारी भी दी जाए कि कौन से स्कूल भवन पूरी तरह बेकार हैं, किनकी मरम्मत जरूरी है और कितने नए भवन बनने चाहिए। इसके साथ ही यह भी बताया जाए कि क्या स्कूल भवन नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट गाइडलाइन के अनुरूप बनाए गए हैं या नहीं।
कोर्ट का कहना है कि बच्चों की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए। ऐसे में जर्जर स्कूल भवनों में पढ़ाई होना गंभीर जोखिम है।
झालावाड़ हादसे के बाद स्वत: संज्ञान में लिया गया था मामला
जुलाई में झालावाड़ जिले के सरकारी स्कूल भवन के गिरने से सात बच्चों की मौत और 21 बच्चों के घायल होने की घटना ने पूरे प्रदेश को झकझोर दिया था। इस हादसे के बाद राजस्थान हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए जनहित याचिका दर्ज की और इस मामले पर विशेष बेंच गठित की।
कोर्ट ने पिछले आदेश में सरकार द्वारा पेश किए गए रोडमैप को अधूरा बताते हुए वापस भेज दिया था और विस्तृत योजना मांगी थी।
अगली सुनवाई अब शुक्रवार को
अदालत में इस मामले पर अब अगली सुनवाई शुक्रवार सुबह 10:30 बजे होगी।


