latest-newsजोधपुरराजस्थान

राजस्थान हाईकोर्ट: नौकरी छोड़ने पर वेतन की रिकवरी नहीं, सिर्फ ट्रेनिंग खर्च चुकाना होगा

राजस्थान हाईकोर्ट: नौकरी छोड़ने पर वेतन की रिकवरी नहीं, सिर्फ ट्रेनिंग खर्च चुकाना होगा

मनीषा शर्मा।  राजस्थान हाईकोर्ट की जोधपुर खंडपीठ ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है, जो सरकारी कर्मचारियों के हितों से जुड़ा हुआ है। यह फैसला उन कर्मचारियों के लिए राहत लेकर आया है जो पुलिस विभाग में सेवाएं देने के बाद अन्य सरकारी विभागों में चयनित होकर नौकरी बदलते हैं। राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में अपील दायर कर यह मांग की थी कि ऐसे कर्मचारियों से उनकी सेवा अवधि के दौरान मिला पूरा वेतन और ट्रेनिंग पर खर्च हुई राशि, दोनों वापस वसूली जाएं। हालांकि हाईकोर्ट ने इस मांग को खारिज करते हुए स्पष्ट कर दिया कि कर्मचारी ने जितने दिन काम किया है, उस अवधि का वेतन उसकी वैधानिक कमाई है और इसे उससे वापस नहीं लिया जा सकता। साथ ही कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि सरकारी ट्रेनिंग पर खर्च हुआ धन कर्मचारी को वापस देना होगा, क्योंकि ट्रेनिंग विशेष और सरकारी संसाधनों पर आधारित होती है।

मामला क्या था?

यह मामला तीन कर्मचारियों — जैसलमेर निवासी रामेश्वर, जालौर निवासी भगवती और नागौर निवासी रविंद्र — से संबंधित है, जो पुलिस विभाग में कॉन्स्टेबल पद पर कार्यरत थे। बाद में उन्होंने शिक्षक भर्ती परीक्षा उत्तीर्ण कर शिक्षा विभाग में नियुक्ति प्राप्त की और पुलिस सेवा से त्यागपत्र दे दिया। पुलिस विभाग ने त्यागपत्र स्वीकार करने के बाद उनसे सेवा अवधि के दौरान मिले वेतन और ट्रेनिंग के खर्च की रिकवरी शुरू कर दी। कर्मचारियों ने इस कार्रवाई के खिलाफ एकल पीठ के सामने याचिका दायर की थी।

एकल पीठ का फैसला

एकल पीठ ने निर्णय दिया कि—

  • वेतन की रिकवरी नहीं की जा सकती

  • लेकिन ट्रेनिंग खर्च कर्मचारी से वसूला जा सकता है

हालांकि राज्य सरकार ने इस फैसले को चुनौती देते हुए खंडपीठ में अपील दायर की थी।

सरकार और कर्मचारियों के तर्क

सरकार की ओर से कहा गया कि नियमों के अनुसार कर्मचारी बॉन्ड पीरियड पूरा किए बिना नौकरी छोड़ते हैं तो विभाग को नुकसान होता है, इसलिए दोनों की वसूली उचित है।

वहीं कर्मचारियों की ओर से यह तर्क दिया गया कि—

  • उन्होंने अपनी सेवा के दौरान कार्य किया है, इसलिए वेतन का अधिकार उनसे छीना नहीं जा सकता

  • यह मामला पहले से ही न्यायालय द्वारा तय किया जा चुका है

  • 2016 के जगदीश बनाम राजस्थान सरकार के मामले में समान निर्णय दिया गया था

कर्मचारियों की ओर से यही दलील प्रमुख रूप से रखी गई और कोर्ट ने इसे माना।

खंडपीठ का निर्णय: जगदीश केस का हवाला

जस्टिस डॉ. पुष्पेंद्र सिंह भाटी और जस्टिस अनुरूप सिंघी की खंडपीठ ने 2016 के सुप्रसिद्ध “जगदीश बनाम राजस्थान सरकार” मामले का हवाला देते हुए कहा—

कर्मचारी ने जितने दिन काम किया है, उस दौरान मिले वेतन पर वह पूरी तरह पात्र है।
यह वेतन उसकी मेहनत का है, इसे वापस नहीं लिया जा सकता।

कोर्ट ने कहा कि पुलिस ट्रेनिंग सरकारी संसाधनों पर आधारित और विशिष्ट होती है, जो भविष्य की सेवा के लिए दी जाती है। इसलिए ट्रेनिंग खर्च की वसूली पूरी तरह वैध है और इसे कर्मचारी को लौटाना ही होगा।

सरकारी अपील खारिज

कोर्ट ने कहा कि एकल पीठ का आदेश तथ्यों और कानून के अनुरूप है। इसलिए—

  • वेतन रिकवरी के खिलाफ कर्मचारियों को राहत बरकरार

  • ट्रेनिंग खर्च की वसूली पर रोक नहीं

नतीजतन राज्य सरकार द्वारा दायर तीनों अपीलें खारिज कर दी गईं।

इस फैसले का प्रभाव

यह निर्णय उन हजारों सरकारी कर्मचारियों के लिए महत्वपूर्ण मिसाल बन सकता है, जो—

  • एक विभाग में कार्यरत रहते हुए

  • नई सरकारी भर्ती में चयनित होते हैं

  • और नौकरी बदलना चाहते हैं

अब यह स्पष्ट हो गया कि:

  • उनकी मेहनत का वेतन नहीं रोका जा सकेगा

  • लेकिन बॉन्ड या ट्रेनिंग खर्च वापस देना अनिवार्य रहेगा

इससे सेवा बदले जाने की वैधानिक प्रक्रिया पर भी स्पष्ट गाइडलाइंस मिलती हैं।

post bottom ad

Discover more from MTTV INDIA

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading