मनीषा शर्मा। राजस्थान में कोचिंग स्टूडेंट्स के बढ़ते सुसाइड के मामलों को लेकर राज्य सरकार ने गंभीर कदम उठाने का निर्णय लिया है। 31 जनवरी से शुरू हो रहे विधानसभा सत्र में सरकार आत्महत्या रोकने के लिए एक विशेष विधेयक पेश करेगी। सरकार ने इस बात की जानकारी सोमवार को राजस्थान हाईकोर्ट में दी। कोर्ट ने इस पहल को रिकॉर्ड पर लेते हुए मामले की अगली सुनवाई 10 फरवरी को तय की है।
राज्य सरकार की घोषणा और हाईकोर्ट में पेश जवाब
राजस्थान हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता राजेंद्र प्रसाद ने कोर्ट को बताया कि राज्य सरकार कोचिंग सेंटर्स के संचालन और उनके नियमन के लिए कानून बनाने की प्रक्रिया में है। उन्होंने यह भी बताया कि सभी जरूरी पहलुओं पर काम किया जा रहा है और संभावना है कि इसी विधानसभा सत्र में इस विधेयक को पेश कर दिया जाएगा।
हाईकोर्ट ने 9 साल पहले कोटा में कोचिंग स्टूडेंट्स द्वारा आत्महत्या की बढ़ती घटनाओं पर स्वप्रेरित प्रसंज्ञान लेकर याचिका दर्ज की थी। इस याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने सरकार से पूछा था कि वह आत्महत्या के मामलों को रोकने के लिए क्या कदम उठा रही है। इसके जवाब में सरकार ने इस विधेयक को लाने की बात कही।
हाईकोर्ट ने दिया सरकार को निर्देश
पिछली सुनवाई में सरकार ने कोर्ट को 33 जिलों में संचालित कोचिंग सेंटर्स की लिस्ट सौंपी थी। इसके बाद हाईकोर्ट ने सवाल उठाया कि जब तक कानून नहीं बनता, तब तक कोचिंग सेंटर्स के रजिस्ट्रेशन के लिए केंद्र सरकार की गाइडलाइंस लागू क्यों नहीं की जा सकतीं। कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह इस पर स्पष्ट जवाब दे।
कोचिंग हब कोटा और बढ़ते सुसाइड के मामले
राजस्थान का कोटा देशभर में कोचिंग हब के रूप में जाना जाता है। हर साल हजारों छात्र यहां प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए आते हैं। हालांकि, यह शहर छात्रों की आत्महत्या की घटनाओं के लिए भी कुख्यात है। पिछले कुछ वर्षों में कोटा में सैकड़ों छात्रों ने दबाव और मानसिक तनाव के कारण अपनी जान दी है।
छात्रों पर परीक्षा के दबाव, अच्छे परिणाम की उम्मीद और घर से दूर रहने की चुनौतियां भारी पड़ती हैं। इसी के चलते हाईकोर्ट ने इस गंभीर समस्या को लेकर स्वप्रेरित प्रसंज्ञान लिया था।
कोचिंग सेंटर्स पर निगरानी की जरूरत
राज्य सरकार का यह कदम कोचिंग सेंटर्स के संचालन पर सख्त निगरानी और छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने के लिए लिया गया है। सरकार के प्रस्तावित कानून में कोचिंग सेंटर्स के लिए मानक तय किए जाएंगे। इसमें छात्रों पर पढ़ाई का अतिरिक्त दबाव कम करने, मानसिक स्वास्थ्य सहायता उपलब्ध कराने और छात्रों की काउंसलिंग को प्राथमिकता देने जैसे प्रावधान हो सकते हैं।
वरिष्ठ वकील और न्यायमित्र सुधीर गुप्ता ने कोर्ट में यह भी कहा कि कानून बनने में समय लग सकता है। इसलिए, तब तक केंद्र सरकार की गाइडलाइंस लागू की जानी चाहिए। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि केंद्र सरकार की गाइडलाइंस के तहत कोचिंग सेंटर्स का रजिस्ट्रेशन किया जाए और उनकी नियमित निगरानी की जाए।
सरकार के विधेयक से उम्मीदें
प्रस्तावित कानून से उम्मीद की जा रही है कि यह छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने और आत्महत्या की घटनाओं को रोकने में कारगर साबित होगा। कोचिंग सेंटर्स में छात्रों को अत्यधिक दबाव में डालने वाले अभ्यासों को खत्म करने के लिए सख्त प्रावधान किए जा सकते हैं।