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राजस्थान बीजेपी विधायक कंवरलाल मीणा की सदस्यता रद्द

राजस्थान बीजेपी विधायक कंवरलाल मीणा की सदस्यता रद्द

शोभना शर्मा। राजस्थान की राजनीति में बड़ा उलटफेर देखने को मिला है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ विधायक और अंता सीट से निर्वाचित कंवरलाल मीणा की विधानसभा सदस्यता को आधिकारिक रूप से रद्द कर दिया गया है। विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने यह निर्णय राज्य के महाधिवक्ता (एजी) राजेंद्र प्रसाद की विधिक रिपोर्ट के आधार पर लिया। इस फैसले से राजनीतिक हलकों में हलचल मच गई है और अब अंता विधानसभा सीट पर उपचुनाव की स्थिति बन गई है।

विधानसभा अध्यक्ष ने दी विधिक प्रक्रिया का हवाला

विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने इस निर्णय के पीछे पूरी तरह से संवैधानिक प्रक्रिया को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा कि कंवरलाल मीणा को लेकर एजी की रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा था। जैसे ही रिपोर्ट प्राप्त हुई, तुरंत सदस्यता रद्द करने का बुलेटिन जारी कर दिया गया। देवनानी ने विपक्ष के उन आरोपों को भी खारिज किया, जिसमें कांग्रेस ने इसे राजनीतिक दबाव का नतीजा बताया था। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस मामले में न तो कोई चूक हुई और न ही कोई देरी।

कांग्रेस ने बताया ‘दबाव की जीत’

इस मुद्दे पर कांग्रेस ने सत्तारूढ़ भाजपा को कठघरे में खड़ा करते हुए इसे जनता और विपक्ष के दबाव की जीत बताया है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि यदि कांग्रेस लगातार इस मामले को लेकर आवाज न उठाती, तो भाजपा इस प्रकरण को जानबूझकर लटकाए रखती। डोटासरा ने यह भी बताया कि कांग्रेस को राज्यपाल, विधानसभा अध्यक्ष और यहां तक कि न्यायालय तक का दरवाजा खटखटाना पड़ा। उन्होंने यह सवाल भी उठाया कि अगर सरकार निष्पक्ष होती, तो यह फैसला पहले क्यों नहीं लिया गया?

क्यों रद्द हुई सदस्यता?

दरअसल, कंवरलाल मीणा को एक आपराधिक मामले में अदालत से तीन साल की सजा सुनाई गई थी। सजा की घोषणा के बाद उन्होंने थाने में सरेंडर कर दिया और वर्तमान में वे जेल में हैं। संविधान के अनुसार, यदि किसी विधायक को दो साल या उससे अधिक की सजा होती है, तो उसकी विधानसभा सदस्यता स्वतः निरस्त मानी जाती है। इसी आधार पर उनकी सदस्यता रद्द की गई है।

अब अंता सीट पर उपचुनाव तय

कंवरलाल मीणा की सदस्यता रद्द होने के बाद अंता सीट को रिक्त घोषित कर दिया गया है। विधानसभा के कुल 200 सदस्यों में अब तकनीकी रूप से केवल 199 विधायक ही शेष रह गए हैं। नियमानुसार, किसी भी रिक्त सीट पर छह माह के भीतर उपचुनाव कराना आवश्यक होता है। ऐसे में अब अंता सीट पर उपचुनाव होना तय माना जा रहा है।

विपक्ष की नजर अंता सीट पर

अंता विधानसभा क्षेत्र पर अब विपक्षी दलों की पैनी नजर है। कांग्रेस पहले ही भाजपा को कटघरे में खड़ा कर चुकी है और अब इस सीट पर अपना उम्मीदवार उतारकर जनसमर्थन हासिल करने की तैयारी में जुट गई है। वहीं भाजपा के लिए यह सीट बचाना अब प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गया है।

 

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