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राजस्थान एडवोकेट प्रोटेक्शन बिल-2023 को राष्ट्रपति से मंजूरी नहीं मिली

राजस्थान एडवोकेट प्रोटेक्शन बिल-2023 को राष्ट्रपति से मंजूरी नहीं मिली

मनीषा शर्मा।  राजस्थान के 1.35 लाख अधिवक्ताओं को विधि कार्य के दौरान मिलने वाली सुरक्षा के लिए फिलहाल इंतजार करना होगा। राज्य सरकार द्वारा पारित राजस्थान एडवोकेट प्रोटेक्शन बिल-2023 को राष्ट्रपति से मंजूरी नहीं मिल पाई और इसे वापस लौटा दिया गया है। पूर्व कांग्रेस सरकार ने यह बिल पारित कर राज्यपाल को भेजा था, जिन्होंने इसे राष्ट्रपति के पास मंजूरी के लिए भेज दिया था। लेकिन राष्ट्रपति ने कुछ खामियों के चलते इसे वापस राज्य सरकार को लौटा दिया।

वहीं, दूसरी ओर कर्नाटक राज्य सरकार ने वकीलों के खिलाफ हिंसा निषेध अधिनियम 2023 को अधिकारिक तौर पर लागू कर दिया है। यह कानून वकीलों को हिंसा से बचाने के लिए बनाया गया है, ताकि वे बिना किसी डर या उत्पीड़न के विधिक कर्तव्यों का निर्वाह कर सकें। कर्नाटक सरकार ने 11 दिसंबर 2023 को यह बिल विधानसभा में पेश किया था और 12 दिसंबर को ही पारित हो गया था। इसके बाद राज्यपाल की मंजूरी मिलने के बाद यह कानून बन गया।

बीसीआर के चेयरमैन भुवनेश शर्मा ने कहा कि बिल प्रदेश के वकीलों की सुरक्षा से जुड़ा है। वे राज्यपाल और मुख्यमंत्री से मिलकर जल्द ही बिल से जुड़ी खामियों को दूर कर इसे लागू करवाने का आग्रह करेंगे। वहीं, आपराधिक मामलों के अधिवक्ता दीपक चौहान का कहना है कि कोर्ट परिसर सहित अन्य जगहों पर वकीलों पर आए दिन हमले हो रहे हैं। इसलिए राज्य सरकार इसे गंभीरता से ले और प्रोटेक्शन बिल को जल्द पारित कर लागू करवाए।

बीसीआर के पूर्व चेयरमैन चिरंजीलाल सैनी ने बताया कि इस मुद्दे को लेकर प्रदेश के वकील लंबे समय से आंदोलन कर रहे थे। बीसीआर ने मई 2019 में एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट का ड्राफ्ट राज्य सरकार को भेजा था। वकील अब राज्य सरकार से उम्मीद कर रहे हैं कि वे इस बिल की खामियों को दूर कर इसे जल्द लागू करेंगे, ताकि वकीलों को आवश्यक सुरक्षा मिल सके।

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