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राजस्थान की तीन महिला सरपंच बनीं लाल किले की विशेष अतिथि

राजस्थान की तीन महिला सरपंच बनीं लाल किले की विशेष अतिथि

शोभना शर्मा। राजस्थान की धरती ने हमेशा से ही साहस, नेतृत्व और सेवा की मिसालें पेश की हैं। इस बार स्वतंत्रता दिवस 2025 के अवसर पर यह गौरव तीन महिला सरपंचों ने और बढ़ा दिया। अपने-अपने गांवों में उल्लेखनीय कार्य करने वाली इन महिला जनप्रतिनिधियों को लाल किले पर आयोजित राष्ट्रीय स्वतंत्रता दिवस समारोह में विशेष अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया। यह सम्मान न केवल उनके व्यक्तिगत प्रयासों का परिणाम है, बल्कि राजस्थान के ग्रामीण विकास और महिला नेतृत्व की उभरती शक्ति का भी प्रतीक है।

केंद्र सरकार की ओर से देशभर के 85 लोगों को इस खास मौके पर लाल किले बुलाया गया था। इन 85 में राजस्थान की तीन महिला सरपंचों का नाम शामिल होना प्रदेश के लिए गर्व की बात है। ये तीनों सरपंच — डीग जिले की रारह ग्राम पंचायत की कुसुम सिंह, जोधपुर जिले की चाली ग्राम पंचायत की गीता देवी पटेल, और कोटा जिले की गढेपान ग्राम पंचायत की रेखा बाई — आज अन्य जनप्रतिनिधियों के लिए प्रेरणा स्रोत बन चुकी हैं।

कुसुम सिंह: प्रदेश की पहली डिजिटल सक्षम ग्राम पंचायत की सरपंच

डीग जिले की रारह ग्राम पंचायत का नाम प्रदेश के मानचित्र पर एक अनूठी पहचान रखता है। यहां की सरपंच कुसुम सिंह नर्सिंग में एमएससी की डिग्री होल्डर हैं और राजनीति में आने से पहले चिकित्सा सेवा में जाने का सपना देखती थीं। लेकिन ग्राम पंचायत चुनाव में जीत हासिल करने के बाद उन्होंने अपने गांव के लिए सेवा का संकल्प लिया और कार्यकाल पूरा होने तक कई ऐतिहासिक बदलाव किए।

रारह ग्राम पंचायत को प्रदेश की पहली डिजिटल सक्षम ग्राम पंचायत बनाने का श्रेय कुसुम सिंह को जाता है। गांव में डिजिटल सेवाओं का विस्तार करते हुए उन्होंने प्रशासनिक कामकाज को पारदर्शी और तेज बनाया। यही नहीं, यह ग्राम पंचायत जिले की पहली ओडीएफ प्लस ग्राम पंचायत भी बनी, जिसने स्वच्छता और स्वास्थ्य के क्षेत्र में उदाहरण प्रस्तुत किया।

गीता देवी पटेल: नवाचारों से बदला चाली गांव का स्वरूप

जोधपुर जिले की चाली ग्राम पंचायत की सरपंच गीता देवी पटेल उच्च शिक्षित हैं और फैशन डिजाइनिंग में बीएससी की डिग्री रखती हैं। उन्होंने अपने कार्यकाल में गांव के बुनियादी ढांचे और जीवन स्तर को बदलने के लिए कई पहल कीं।

उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि गांव में डिजिटल लाइब्रेरी का निर्माण है, जिससे बच्चों और युवाओं को शिक्षा संसाधन आसानी से उपलब्ध हुए। इसके साथ ही उन्होंने ओपन जिम और सामुदायिक भवन बनवाए, जिससे ग्रामीणों के स्वास्थ्य और सामाजिक गतिविधियों में सुधार आया। जल जीवन मिशन के तहत तीन किलोमीटर लंबी पाइपलाइन बिछवाकर गांव को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराया। उन्होंने सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाकर पर्यावरण संरक्षण और पशु सुरक्षा में योगदान दिया। अपशिष्ट प्रबंधन केंद्र की स्थापना कर कचरा निस्तारण की समस्या का समाधान भी किया।

रेखा बाई: रोशनी और स्वच्छता से बदला गढेपान का चेहरा

कोटा जिले की गढेपान पंचायत समिति की सरपंच रेखा बाई ने भी अपनी सोच और कामकाज से गांव को नया रूप दिया। उन्होंने पूरे गांव में स्ट्रीट लाइट लगवाई, जिससे रात्रि में भी सुरक्षित और सुगम आवागमन संभव हो सका।

गांव की स्वच्छता पर विशेष ध्यान देते हुए उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि कहीं भी गंदगी न फैले। स्वास्थ्य और शिक्षा सुविधाओं के लिए उन्होंने आंगनबाड़ी केंद्र और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के भवनों का निर्माण कराया। मनरेगा योजना के अंतर्गत ग्रामीणों को लगातार रोजगार उपलब्ध कराना भी उनकी बड़ी उपलब्धियों में से एक है, जिससे गांव में आर्थिक स्थिरता आई।

राजस्थान सहित देश में प्रेरणा का स्रोत बनीं ये तीनों सरपंच

इन तीनों महिला सरपंचों की उपलब्धियां यह साबित करती हैं कि मजबूत इच्छाशक्ति, दूरदृष्टि और सेवा भाव से ग्रामीण क्षेत्रों में भी बड़े बदलाव संभव हैं। इनकी मेहनत और समर्पण को देखते हुए केंद्र सरकार ने उन्हें स्वतंत्रता दिवस के इस ऐतिहासिक अवसर पर लाल किले की विशेष अतिथि बनने का गौरव प्रदान किया।

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