मनीषा शर्मा। राजस्थान का प्रसिद्ध अंतरराष्ट्रीय पुष्कर मेला इस बार फिर रंगों, संस्कृति और परंपराओं से सराबोर दिखाई दे रहा है। रेतीले धोरों में ऊंटों की रौनक और विदेशी सैलानियों की मौजूदगी ने माहौल को जीवंत बना दिया है। जैसे-जैसे मेला आगे बढ़ रहा है, ऊंटों और घोड़ों की आवक भी लगातार बढ़ रही है।
विदेशी सैलानियों की बढ़ती आमद
पुष्कर पशु मेला शुरू हुए दो दिन ही हुए हैं, लेकिन मेला मैदान पहले से ही विदेशी पर्यटकों की आवाजाही से गुलजार है। अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी और ऑस्ट्रेलिया से आए पर्यटक यहां की ग्रामीण संस्कृति और लोक जीवन से रूबरू हो रहे हैं। धूल भरे धोरों में ऊंटों के साथ फोटोग्राफी करते सैलानियों के चेहरे पर उत्साह साफ झलक रहा है।
विदेशी मेहमान न सिर्फ ऊंट सफारी का मजा ले रहे हैं, बल्कि स्थानीय पशुपालकों से बातचीत कर उनके जीवन और पशु पालन के तरीकों को समझने में भी दिलचस्पी दिखा रहे हैं। ऊंट पालक भी अपने ऊंटों को सजाकर करतब दिखा रहे हैं, जिससे विदेशी सैलानी खूब प्रभावित हो रहे हैं।
ऊंटों की आवक ने बढ़ाई मेले की रौनक
इस बार पुष्कर पशु मेले में ऊंटों की आवक में उल्लेखनीय बढ़ोतरी देखी जा रही है। पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. सुनील घीया के अनुसार गुरुवार तक कुल 348 पशु मेला मैदान में पहुंच चुके हैं, जिनमें 281 ऊंट और 66 घोड़े शामिल हैं।
राजस्थान के बीकानेर, नागौर, जोधपुर और जैसलमेर जैसे इलाकों से पशुपालक बड़ी संख्या में यहां पहुंचे हैं। वे अपने टेंट लगाकर रेतीले धोरों में डेरा जमा रहे हैं। रात के समय ऊंटपालक अलाव जलाकर ठंड से बचाव कर रहे हैं, जिससे मेला स्थल का दृश्य और भी मनमोहक हो गया है।
‘टूरिस्ट विलेज’ की पुरानी परंपरा याद आई
करीब एक दशक पहले तक पुष्कर मेला ‘टूरिस्ट विलेज’ की परंपरा के लिए प्रसिद्ध था। पर्यटन विकास निगम और होटल व्यवसायी उस समय डीलक्स टेंट लगाकर विदेशी मेहमानों के लिए विशेष आवास की व्यवस्था करते थे। पर्यटक धार्मिक, सांस्कृतिक और पशु मेले का एकसाथ आनंद लेते थे।
हालांकि यह सिलसिला कुछ वर्षों से थम गया था, लेकिन इस बार बढ़ती विदेशी उपस्थिति देखकर स्थानीय लोगों को फिर वही पुराना दौर याद आ रहा है।
नई व्यवस्थाओं से आसान हुआ आवागमन
इस बार प्रशासन ने मेले के आयोजन के लिए कई नई व्यवस्थाएं लागू की हैं। पशुपालकों को ऑनलाइन भूखंड आवंटन की सुविधा दी गई है, जिससे टेंट लगाने में उन्हें आसानी हो रही है। हालांकि पशु सजावट और टेंट मार्केट के लिए दूर जगह आरक्षित होने से कुछ दुकानदारों ने असंतोष जताया है।
फिर भी मेले में साफ-सफाई, यातायात और सुरक्षा को लेकर प्रशासन की सक्रियता से लोगों में संतोष देखने को मिल रहा है।
प्रशासनिक तैयारी और निरीक्षण
गुरुवार शाम को जल संसाधन मंत्री सुरेश सिंह रावत ने पुष्कर मेले की तैयारियों का जायजा लिया। उन्होंने अधिकारियों के साथ मेला ग्राउंड, पार्किंग स्थल, पेयजल, स्वच्छता, यातायात और सुरक्षा प्रबंधन की समीक्षा की।
रावत ने निर्देश दिए कि श्रद्धालुओं, पर्यटकों और पशुपालकों को किसी प्रकार की असुविधा न हो। उन्होंने विशेष रूप से कहा कि इस बार मेले में आने वाले विदेशी पर्यटकों को राजस्थान की संस्कृति और आतिथ्य का सर्वश्रेष्ठ अनुभव मिलना चाहिए।
इसी क्रम में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक दीपक शर्मा, उपखंड अधिकारी गुरु प्रसाद तंवर, नगर परिषद आयुक्त जनार्दन शर्मा, ग्रामीण डीएसपी रामचंद्र चौधरी और थानाधिकारी विक्रम सिंह ने मेले की व्यवस्थाओं का स्थल निरीक्षण किया। अधिकारियों ने पुष्कर सरोवर के घाटों का भी जायजा लिया और जलस्तर अधिक होने के कारण श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए सख्त निर्देश जारी किए।
ऊंटों के साथ जीवंत हुआ राजस्थान का लोक रंग
मेले में पहुंचने वाले सैलानियों के लिए यह सिर्फ पशु मेला नहीं, बल्कि राजस्थान की आत्मा को महसूस करने का मौका है। लोक वाद्ययंत्रों की धुन, रंगीन पगड़ियां, सजे ऊंट और ऊंटनी, और मिट्टी की सौंधी खुशबू मेले को एक अद्भुत अनुभव में बदल देती है।
विदेशी सैलानियों के लिए यह संस्कृति, लोककला और परंपरा का सम्मिलित उत्सव है।


